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राजधानी में हत्याओं पर नहीं लग रहा लगाम, प्रशासन के दावे हवा-हवाई!

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हत्याओं पर लगाम लगाने के तमाम दावे किए जाते रहे हैं. वहीं इन हत्याओं में जमीन विवाद की वजह भी मुख्य वजहों में शामिल है. प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद सितंबर महीने में राजधानी लखनऊ में 13 हत्याएं हुईं. इससे प्रशासन के दावों पर साफ तौर पर सवालिया निशान उठते दिख रहे हैं.

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राजधानी में नहीं थम रहा हत्याओं का दौर.
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Published : Nov 27, 2019, 3:17 PM IST

लखनऊ: प्रदेश की योगी सरकार कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए भले ही तमाम दावे करती हो, लेकिन इन तमाम प्रयासों के बावजूद भी राजधानी लखनऊ में हत्याओं का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा. सितंबर महीने में राजधानी लखनऊ में 13 गोलीकांड की घटनाएं सामने आईं. ऐसे में कहा जा सकता है कि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के अधिकारी हत्याओं पर लगाम लगाने में नाकामयाब हैं.

राजधानी में नहीं थम रहा हत्याओं का दौर.

राजधानी लखनऊ में पिछले दिनों हुई आपराधिक घटनाओं पर गौर करें तो हत्या के कारणों में जमीन विवाद भी एक मुख्य वजह रही है. उदाहरण के तौर पर पिछले दिनों राजधानी लखनऊ के चिनहट थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक मंदिर में रहने वाले पुजारी की भू माफियाओं ने दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी. इसके बाद इस मामले ने खूब तूल पकड़ा और यह तब किया गया, जब पीड़ित लगातार जिला प्रशासन के अधिकारियों से जमीन के निस्तारण व सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग कर रहा था.

वहीं पिछले दिनों राजधानी लखनऊ के हजरतगंज के पास दिनदहाड़े चचेरे भाइयों ने एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी. यह हत्या भी जमीनी विवाद के चलते की गई थी. राजधानी लखनऊ के हुसैनगंज में सुबह रेलवे के कर्मचारी शाहनवाज पर बदमाशों ने गोलियां बरसाई थीं. इस घटना में शाहनवाज के पेट में गोली लगी थी.

पुलिस के पास हैं सीमित अधिकार
पुलिस के पास जमीन विवाद में हस्तक्षेप के सीमित अधिकार हैं. जमीन विवाद के निस्तारण की जिम्मेदारी जिला प्रशासन के अधिकारियों की होती है. ऐसे में कई बार जमीन से जुड़े हुए मसलों को समय से निस्तारित नहीं किया जाता है और लंबे समय तक यह चलते रहते हैं. ऐसे में संबंधित व्यक्ति दूसरा रास्ता तलाश करते हुए अपराध की घटनाओं को अंजाम देता है. नायब तहसीलदार कोर्ट से लेकर डीएमबी कोर्ट तक जमीन के विवाद सुने जाते हैं, लेकिन कई बार जिला प्रशासन के निचले अधिकारियों का मनमानी रवैया और काम के प्रति कमजोर इच्छाशक्ति के चलते जमीन के विवाद में खूब खेल होते हैं. इससे समय पर विवाद का निस्तारण नहीं हो पाता है.

इसे भी पढ़ें- आजमगढ़: विदेश भेजने के नाम पर लाखों की ठगी, एसपी ग्रामीण ने दिए जांच के आदेश

वरिष्ठ पत्रकार रत्न मणि लाल का कहना है कि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन में तैनात निचले स्तर के अधिकारी कई बार अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते जमीन विवादों को लंबा खींचते हैं. इसके चलते सही समय पर जमीनों का विवाद समाप्त नहीं हो पाता है. ऐसे में कुछ अधिकारियों को इस ओर ध्यान देते हुए सक्रियता के साथ जमीनों के विवादों का तत्काल निस्तारण करने की व्यवस्था लागू करनी चाहिए, लेकिन यह हो नहीं पाता है. ऐसे में जमीन से जुड़े हुए विवाद आपराधिक गतिविधियों में परिवर्तित होते हैं.

लखनऊ: प्रदेश की योगी सरकार कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए भले ही तमाम दावे करती हो, लेकिन इन तमाम प्रयासों के बावजूद भी राजधानी लखनऊ में हत्याओं का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा. सितंबर महीने में राजधानी लखनऊ में 13 गोलीकांड की घटनाएं सामने आईं. ऐसे में कहा जा सकता है कि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के अधिकारी हत्याओं पर लगाम लगाने में नाकामयाब हैं.

राजधानी में नहीं थम रहा हत्याओं का दौर.

राजधानी लखनऊ में पिछले दिनों हुई आपराधिक घटनाओं पर गौर करें तो हत्या के कारणों में जमीन विवाद भी एक मुख्य वजह रही है. उदाहरण के तौर पर पिछले दिनों राजधानी लखनऊ के चिनहट थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक मंदिर में रहने वाले पुजारी की भू माफियाओं ने दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी. इसके बाद इस मामले ने खूब तूल पकड़ा और यह तब किया गया, जब पीड़ित लगातार जिला प्रशासन के अधिकारियों से जमीन के निस्तारण व सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग कर रहा था.

वहीं पिछले दिनों राजधानी लखनऊ के हजरतगंज के पास दिनदहाड़े चचेरे भाइयों ने एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी. यह हत्या भी जमीनी विवाद के चलते की गई थी. राजधानी लखनऊ के हुसैनगंज में सुबह रेलवे के कर्मचारी शाहनवाज पर बदमाशों ने गोलियां बरसाई थीं. इस घटना में शाहनवाज के पेट में गोली लगी थी.

पुलिस के पास हैं सीमित अधिकार
पुलिस के पास जमीन विवाद में हस्तक्षेप के सीमित अधिकार हैं. जमीन विवाद के निस्तारण की जिम्मेदारी जिला प्रशासन के अधिकारियों की होती है. ऐसे में कई बार जमीन से जुड़े हुए मसलों को समय से निस्तारित नहीं किया जाता है और लंबे समय तक यह चलते रहते हैं. ऐसे में संबंधित व्यक्ति दूसरा रास्ता तलाश करते हुए अपराध की घटनाओं को अंजाम देता है. नायब तहसीलदार कोर्ट से लेकर डीएमबी कोर्ट तक जमीन के विवाद सुने जाते हैं, लेकिन कई बार जिला प्रशासन के निचले अधिकारियों का मनमानी रवैया और काम के प्रति कमजोर इच्छाशक्ति के चलते जमीन के विवाद में खूब खेल होते हैं. इससे समय पर विवाद का निस्तारण नहीं हो पाता है.

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वरिष्ठ पत्रकार रत्न मणि लाल का कहना है कि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन में तैनात निचले स्तर के अधिकारी कई बार अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते जमीन विवादों को लंबा खींचते हैं. इसके चलते सही समय पर जमीनों का विवाद समाप्त नहीं हो पाता है. ऐसे में कुछ अधिकारियों को इस ओर ध्यान देते हुए सक्रियता के साथ जमीनों के विवादों का तत्काल निस्तारण करने की व्यवस्था लागू करनी चाहिए, लेकिन यह हो नहीं पाता है. ऐसे में जमीन से जुड़े हुए विवाद आपराधिक गतिविधियों में परिवर्तित होते हैं.

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लखनऊ। प्रदेश की योगी सरकार कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए भले ही तमाम दावे करती हो लेकिन इन तमाम प्रयासों के बावजूद भी राजधानी लखनऊ में हत्याओं का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा। सितंबर महीने में राजधानी लखनऊ में 13 गोलीकांड की घटनाएं सामने आई। प्रोफेशनल क्राइम लखनऊ पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए हैं वहीं दूसरी ओर जमीन विवाद के चलते भी अपराधिक घटनाएं होती हैं। ऐसा मे कहा जा सकता है कि जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के अधिकारी जमीनों से जुड़े हुए विवादों पर लगाम लगाने में नाकामयाब है।



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राजधानी लखनऊ में पिछले दिनों हुई आपराधिक घटनाओं पर नजर दौड़ आएं तो बड़ी संख्या में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जिनमें झगड़े व हत्या का कारण जमीनी विवाद है। उदाहरण के तौर पर पिछले दिनों राजधानी लखनऊ के चिनहट थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक मंदिर में रहने वाले पुजारी की भू माफियाओं ने दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद इस मामले ने खूब तूल पकड़ा और यह तब की गई जब पीड़ित लगातार जिला प्रशासन के अधिकारियों से जमीन के निस्तारण व सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग कर रहा था। सरकारी जमीन पर कब्जे की शिकायत पर पैमाइश करने पहुंची जिला प्रशासन की टीम के सामने ही हिस्ट्रीशीटर ने अपने दबंग साथियों के साथ गांव के पुजारी दिनेशानंद सरस्वती नाम के एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दि थी। इसमें एक अन्य व्यक्ति को भी गोली लगी थी।

पिछले दिनों राजधानी लखनऊ के बीचो-बीच हजरतगंज के पास दिनदहाड़े चचेरे भाइयों ने एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी। यह हत्या भी जमीनी विवाद के चलते की गई थी।राजधानी लखनऊ के हुसैनगंज मे सुबह रेलवे के कर्मचारी शाहनवाज पर बदमाशों ने गोलिया बरसाई थी। घटना में शहनवाज के पेट में गोली लगी थी।

जमीनी विवाद के चलते होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने को लेकर पुलिस महकमे की अपनी मजबूरियां है। पुलिस के पास जमीन विवाद में हस्तक्षेप के नियमित अधिकार है। जमीन विवाद के निस्तारण की जिम्मेदारी जिला प्रशासन के अधिकारियों की होती है ऐसे में कई बार जमीन से जुड़े हुए मसलों को समय से निस्तारित नहीं किया जाता है और लंबे समय तक यह चलते रहते हैं तो फिर संबंधित व्यक्ति दूसरा रास्ता तलाश करते हुए अपराध की घटनाओं को अंजाम देता है। नैब तहसीलदार कोर्ट से लेकर डीएमबी कोर्ट तक जमीन के विवाद सोने जाते हैं लेकिन कई बार जिला प्रशासन के निचले अधिकारियों के मनमानी रवैया वह काम के प्रति कमजोर इच्छाशक्ति के चलते जमीन के विवाद में खूब खेल होते हैं। जिससे समय पर विवाद का निस्तारण नहीं हो पाता है।

सरकार ने भले ही जिला प्रशासन व पुलिस अधिकारियों के समन्वय के लिए संपूर्ण समाधान दिवस की व्यवस्था की लेकिन संपूर्ण समाधान दिवस में भी जमीनों का निस्तारण तत्काल नहीं हो पाता है। जिसके बाद मामले कोर्ट में जाते हैं और कोर्ट में लंबी प्रक्रिया चलती है इसी लंबी प्रक्रिया के चलते हैं कई बार जमीन को लेकर चल रहा विवाद अपराध में बदल जाता है।

वरिष्ठ पत्रकार रत्न मणि लाल का कहना है कि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन में तैनात निचले स्तर के अधिकारी कई बार अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते जमीनी विवादों को लंबा खींचते हैं। जिसके चलते सही समय पर जमीनों का विवाद समाप्त नहीं हो पाता है ऐसे में कुछ अधिकारियों को इस ओर ध्यान देते हुए सक्रियता के साथ जमीनों के विवादों का तत्काल निस्तारण करने की व्यवस्था लागू करनी चाहिए, लेकिन यह हो नहीं पाता है जिसके चलते जमीन से जुड़े हुए विवाद आपराधिक गतिविधियों में परिवर्तित होते हैं।




Conclusion:बाइट- वरिष्ठ पत्रकार रत्न मणि लाल

बाइट दो- लखनऊ dm अभिषेक प्रकाश

(संवाददाता प्रशांत मिश्रा 90 2639 25 26)
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