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आखिर कैसे लिंक होगा 'आधार', जब एक से अधिक स्कूल में पढ़ रहे बच्चे - यूपी सरकार

लखनऊ मंडल के छह जिलों में प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को आधार कार्ड से लिंक करने की प्रक्रिया शुरू की गई. कई महीनों की कवायद के बाद लखनऊ में पंजीकृत करीब दो लाख में से 66 हजार बच्चों के आधार कार्ड नहीं मिले. अधिकारियों का कहना है कि इन बच्चों की सूचनाएं संकलित कराई जा रही हैं. उसके बाद आधार कार्ड बनवाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. जानकारों की मानें तो इनमें कई बच्चे ऐसे भी हैं, जिनका पंजीकरण एक से ज्यादा विद्यालय में है.

कॉन्सेप्ट इमेज.
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Published : Feb 28, 2021, 3:24 PM IST

लखनऊ: प्रदेश की योगी सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को आधार कार्ड से जोड़ने की कवायद शुरू की. पायलट प्रोटेक्ट के रूप में लखनऊ मंडल के छह जिलों से इसकी शुरुआत की गई. स्कूली बच्चों के आधार कार्ड मांगे गए. महीनों चली लंबी कवायद के बाद भी राजधानी लखनऊ में 25 प्रतिशत से ज्यादा स्कूली बच्चों के आधार कार्ड नहीं मिल पाए हैं. कुल 2 लाख 2 हजार 421 पंजीकृत स्कूली बच्चों में से 66,909 के आधार कार्ड नहीं हैं.

जानकारी देते बेसिक शिक्षा अधिकारी.

फर्जी आंकड़ों को दुरुस्त करने की कवायद
सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को प्रदेश सरकार की ओर से यूनिफार्म, जूता और स्वेटर से लेकर किताब और मिड-डे-मील तक दिया जाता है. जानकारों की मानें तो कई बार शिक्षक छात्र-छात्राओं की संख्या दिखाने के चक्कर में फर्जी नाम जोड़ देते हैं. ऐसे में एक ही बच्चे का नाम कई स्कूलों में दिखाया जाता है. प्रदेश सरकार ने इस पर लगाम लगाने के लिए स्कूली बच्चों को आधार से जोड़ने की योजना शुरू की है.

10,249 के आधार कार्ड का नहीं हो पाया सत्यापन
राजधानी लखनऊ में करीब 1,625 सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल हैं. इस वर्ष करीब 2 लाख 2 हजार 421 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से सिर्फ 1 लाख 21 हजार 824 छात्र-छात्राओं के आधार सत्यापित हो पाए हैं. इसमें 66,909 स्कूली बच्चों के आधार उपलब्ध ही नहीं हैं. 10 हजार से ज्यादा स्कूली बच्चों के आधार सत्यापित ही नहीं हो पाए हैं.

शिक्षकों को सौंपी गई है जिम्मेदारी
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि छात्र संख्या में होने वाले फर्जीवाड़े पर लगाम लगाई जाएगी. आधार कार्ड को लिंक करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है. बड़ी संख्या में ऐसे छात्र हैं, जिनके स्कूल के दस्तावेज में सूचना और आधार पर अंकित सूचना अलग-अलग है. इसके चलते कई छात्र-छात्राओं के आधार कार्ड का सत्यापन नहीं हो पा रहा है.

वहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार ने बताया कि शिक्षकों के स्तर पर इन सभी छूटे हुए छात्र-छात्राओं की सूचनाएं इकट्ठी की जा रही हैं. जिन छात्रों की सूचनाएं गलत हैं, उनमें सुधार किया जा रहा है. इसके अलावा, हर ब्लॉक में आधार मशीन उपलब्ध हैं. सूचनाओं में सुधार होने के बाद उन्हें अपलोड किया जाएगा, जिनके आधार नहीं हैं, उनके लिए विशेष कैम्प लगाकर आधार बनवाए जाएंगे.

सबसे ज्यादा नगर क्षेत्र में नहीं हैं आधार
सबसे ज्यादा खराब स्थिति नगर क्षेत्र के स्कूलों की है. यहां पंजीकृत छात्र-छात्राओं की संख्या 29,420 है, जबकि 12,767 के पास आधार कार्ड नहीं हैं. मोहनलालगंज में 31,221 में 9,224, काकोरी में 15,810 में 4,102, गोसाईंगंज में 23,082 में 5,001, बीकेटी में 32,632 में 10,499, माल में 18,137 में 5,294, सरोजनीनगर में 21,895 में 9,067, मलिहाबाद में 17,703 में 5,432 और चिनहट में 12,521 में 5,523 के पास आधार कार्ड नहीं हैं.

शहरी क्षेत्र के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे गरीब और निचले तबके के परिवारों से हैं. शिक्षकों का कहना है कि ज्यादातर के अभिभावक मजदूरी जैसे कामों में लगे हुए हैं. यह झोपड़पट्टी में रहते हैं. जहां काम मिलता है, वहां चले जाते हैं. ऐसे में यहां ज्यादा समस्या आ रही है.

लखनऊ: प्रदेश की योगी सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को आधार कार्ड से जोड़ने की कवायद शुरू की. पायलट प्रोटेक्ट के रूप में लखनऊ मंडल के छह जिलों से इसकी शुरुआत की गई. स्कूली बच्चों के आधार कार्ड मांगे गए. महीनों चली लंबी कवायद के बाद भी राजधानी लखनऊ में 25 प्रतिशत से ज्यादा स्कूली बच्चों के आधार कार्ड नहीं मिल पाए हैं. कुल 2 लाख 2 हजार 421 पंजीकृत स्कूली बच्चों में से 66,909 के आधार कार्ड नहीं हैं.

जानकारी देते बेसिक शिक्षा अधिकारी.

फर्जी आंकड़ों को दुरुस्त करने की कवायद
सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को प्रदेश सरकार की ओर से यूनिफार्म, जूता और स्वेटर से लेकर किताब और मिड-डे-मील तक दिया जाता है. जानकारों की मानें तो कई बार शिक्षक छात्र-छात्राओं की संख्या दिखाने के चक्कर में फर्जी नाम जोड़ देते हैं. ऐसे में एक ही बच्चे का नाम कई स्कूलों में दिखाया जाता है. प्रदेश सरकार ने इस पर लगाम लगाने के लिए स्कूली बच्चों को आधार से जोड़ने की योजना शुरू की है.

10,249 के आधार कार्ड का नहीं हो पाया सत्यापन
राजधानी लखनऊ में करीब 1,625 सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल हैं. इस वर्ष करीब 2 लाख 2 हजार 421 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से सिर्फ 1 लाख 21 हजार 824 छात्र-छात्राओं के आधार सत्यापित हो पाए हैं. इसमें 66,909 स्कूली बच्चों के आधार उपलब्ध ही नहीं हैं. 10 हजार से ज्यादा स्कूली बच्चों के आधार सत्यापित ही नहीं हो पाए हैं.

शिक्षकों को सौंपी गई है जिम्मेदारी
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि छात्र संख्या में होने वाले फर्जीवाड़े पर लगाम लगाई जाएगी. आधार कार्ड को लिंक करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है. बड़ी संख्या में ऐसे छात्र हैं, जिनके स्कूल के दस्तावेज में सूचना और आधार पर अंकित सूचना अलग-अलग है. इसके चलते कई छात्र-छात्राओं के आधार कार्ड का सत्यापन नहीं हो पा रहा है.

वहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार ने बताया कि शिक्षकों के स्तर पर इन सभी छूटे हुए छात्र-छात्राओं की सूचनाएं इकट्ठी की जा रही हैं. जिन छात्रों की सूचनाएं गलत हैं, उनमें सुधार किया जा रहा है. इसके अलावा, हर ब्लॉक में आधार मशीन उपलब्ध हैं. सूचनाओं में सुधार होने के बाद उन्हें अपलोड किया जाएगा, जिनके आधार नहीं हैं, उनके लिए विशेष कैम्प लगाकर आधार बनवाए जाएंगे.

सबसे ज्यादा नगर क्षेत्र में नहीं हैं आधार
सबसे ज्यादा खराब स्थिति नगर क्षेत्र के स्कूलों की है. यहां पंजीकृत छात्र-छात्राओं की संख्या 29,420 है, जबकि 12,767 के पास आधार कार्ड नहीं हैं. मोहनलालगंज में 31,221 में 9,224, काकोरी में 15,810 में 4,102, गोसाईंगंज में 23,082 में 5,001, बीकेटी में 32,632 में 10,499, माल में 18,137 में 5,294, सरोजनीनगर में 21,895 में 9,067, मलिहाबाद में 17,703 में 5,432 और चिनहट में 12,521 में 5,523 के पास आधार कार्ड नहीं हैं.

शहरी क्षेत्र के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे गरीब और निचले तबके के परिवारों से हैं. शिक्षकों का कहना है कि ज्यादातर के अभिभावक मजदूरी जैसे कामों में लगे हुए हैं. यह झोपड़पट्टी में रहते हैं. जहां काम मिलता है, वहां चले जाते हैं. ऐसे में यहां ज्यादा समस्या आ रही है.

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