लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष सामारोह के अवसर पर सोमवार को चतुर्थ योग शिविर का आयोजन राजकीय आयुर्वेदिक, महाविद्यालय एवं चिकित्सालय आयुर्वेद फैकल्टी में आयोजित किया गया. इसका उद्घाटन प्रो. पीएस सक्सेना प्राचार्य एवं डीन आयुर्वेद फैकल्टी ने किया. प्रो. सक्सेना ने बताया कि योग आज की आवश्यकता बन गया है. आने वाले भविष्य में जीवन की निरंतरता के लिए योग आवश्यक होगा. विश्व पटल पर स्वास्थ्य की समस्यओं को निराकरण करने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.
डॉ. अमरजीत ने बताया कि मनुष्य ने विकास के उच्चतम शिखर को स्पर्श कर लिया है. वहीं, दूसरी ओर जीवन जीने की कला का ज्ञान न होने से मानव हतास और निराश भी है. पहले की अपेक्षा वर्तमान में मानशिक रोगों की संख्या बेतहाशा बढ़ रही है, जिसमें कुंठा, निराशा, क्रोध, याददाश्त कमजोर, अनिद्रा और तनाव प्रमुख हैं. यह बीमारियां व्यक्ति के स्वभाव और जीवन जीने की पद्धति को बदल देती हैं और उसके अंदर निरंतर संघर्ष बना रहता है. मानसिक बीमारियों के प्रबंधन और बचाव के लिए आज के योग शिविर में योगिक शुक्ष्म व्ययामों के साथ-साथ कपोल शक्ति विकासक क्रिया, नेत्र विकासक क्रिया, जानुशिरासन, पवनमुक्तासन, नटराजन, भद्रासन और सूर्य नमस्कार कराया गया.
प्राणायामों में नाड़ी शोधन, भ्रामरी, उद्गीत का अभ्यास कराया गया. निद्रा एवं ध्यान सत्र के बाद शिविर का समापन हुआ. इस अवसर पर आयुर्वेदिक कॉलेज के शिक्षक, चिकित्सक, कर्मचारी, स्थानीय लोग और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे.