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KHELO INDIA प्रमाण पत्र की मान्यता नहीं, सिर्फ प्राइजमनी के लिए पहुंच रहे खिलाड़ी - खेल प्राधिकरण

देशभर में खेलो इंडिया ( KHELO INDIA) की धूम है. बड़ी संख्या में खिलाड़ी खेलो इंडिया टीम का हिस्सा बनने के लिए लालायित हैं, लेकिन इसका श्याह पक्ष यह है कि इन खेलों के सर्टिफिकेट का कोई मोल नहीं है. इनके प्रमाण पत्रों को न तो कोई खेल संघ मानता हैं, न ही सरकारी महकमों में इनकी पहचान है.

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Published : Feb 15, 2023, 11:00 PM IST

देखें पूरी खबर.

लखनऊ : आज देशभर में खेलो इंडिया के तहत विभिन्न खेलों को लेकर शहर-शहर धूम मची हुई है. इन खेलों में खलने के लिए देशभर के खिलाड़ी आते रहते हैं. राजधानी में इस वर्ष अप्रैल में खेलो इंडिया यूनविर्सटी गेम्स भी आयोजित किए जाने हैं, लेकिन इन खेलों में जहां खिलाड़ियों केवल खेलना है, बाकी इन खेलों में जीत दर्ज करने या सर्टिफिकेट का कोई मोल नहीं है. इनके प्रमाण पत्रों को न तो कोई खेल संघ मानता हैं, न ही सरकारी महकमों में इनकी पहचान है. खेलो इंडिया में शामिल होने वाले खिलाड़ी सिर्फ प्राइजमनी के चक्कर में इन खेलों में शामिल हो रहे हैं.

खेल जगत से जुड़े खिलाड़ियों और विभिन्न खेल संघों के पदाधिकारियों के अनुसार खेलो इंडिया की शुरुआत उन खिलाड़ियों के लिए हुई थी, जो नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं ले पाते थे. राज्य की टीम में जगह नहीं बना पाते थे. ऐसे खिलाड़ियों को प्रमोट करने के साथ खेलों में दूसरी नंबर की टीम भी तैयार करने के लिए इसकी शुरुआत हुई थी. आलम यह है कि खेल संघों की देखरेख में होने वाली चैंपियनशिप के साथ ही अव्वल दर्जे के खिलाड़ी खेलो इंडिया में भी हिस्सा ले रहे है. चैंपियनशिप के साथ ही खेलो इंडिया में भी अव्वल दर्जें के खिलाड़ियों पर शानदार प्रदर्शन का दबाव पड़ रहा है. ऐसे में उनका दम फूल रहा है.

उत्तर प्रदेश ओलंपिक एसोसिएशन के सचिव आनन्देश्वर पाण्डेय के अनुसार खेल और खिलाड़ियों के प्रमोशन के लिए खेलो इंडिया की योजना बहुत अच्छी है. इन खेलों में दूसरे नंबर के खिलाड़ियों को मौका दिया जाना बेहतर होगा. इससे अव्वल दर्जे के खिलाड़ियों पर लगातार प्रदर्शन का दबाव नहीं होगा. आनन्देश्वर पाण्डेय ने बताया कि खेलो इंडिया के मुकाबलों में मिलने वाले प्रमाण पत्रों की हमारे यहां कोई महत्व नहीं है. खेल संघों की देखरेख में होने वाली चैंपियनशिप में मिलने वाले प्रमाण पत्रों की तरह ही इनकी भी मान्यता होनी चाहिए. इससे दाखिले से लेकर सरकारी नौकरी तक में खिलाड़ी इसे प्रस्तुत कर सकें.

लखनऊ विश्वविद्यालय प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों में सर्टिफिकेट नहीं होगा मान्य : लखनऊ विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में केवल वही खेल सर्टिफिकेट मान्य हैं, जो भारतीय ओलंपिक संघ या सरकार द्वारा अधिकृत खेल प्राधिकरण से प्रमाणित हो केवल उन्हीं प्रमाणपत्रों को ही अपने यहां प्रवेश में मान्य करता है. लखनऊ विश्वविद्यालय मार्च में होली के बाद से अपना आवेदन प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है. ऐसे में जो छात्र खेलो इंडिया के सर्टिफिकेट के भरोसे विश्वविद्यालय संबद्ध डिग्री कॉलेजों में प्रवेश लेना चाहते हैं तो उनको बड़ा झटका लग सकता है.

यह भी पढ़ें : Job in Indian Army : सेना में नौकरी के नाम पर नहीं रुक रही ठगी, जवानों की ही मदद से फैल रहा गिरोह

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लखनऊ : आज देशभर में खेलो इंडिया के तहत विभिन्न खेलों को लेकर शहर-शहर धूम मची हुई है. इन खेलों में खलने के लिए देशभर के खिलाड़ी आते रहते हैं. राजधानी में इस वर्ष अप्रैल में खेलो इंडिया यूनविर्सटी गेम्स भी आयोजित किए जाने हैं, लेकिन इन खेलों में जहां खिलाड़ियों केवल खेलना है, बाकी इन खेलों में जीत दर्ज करने या सर्टिफिकेट का कोई मोल नहीं है. इनके प्रमाण पत्रों को न तो कोई खेल संघ मानता हैं, न ही सरकारी महकमों में इनकी पहचान है. खेलो इंडिया में शामिल होने वाले खिलाड़ी सिर्फ प्राइजमनी के चक्कर में इन खेलों में शामिल हो रहे हैं.

खेल जगत से जुड़े खिलाड़ियों और विभिन्न खेल संघों के पदाधिकारियों के अनुसार खेलो इंडिया की शुरुआत उन खिलाड़ियों के लिए हुई थी, जो नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं ले पाते थे. राज्य की टीम में जगह नहीं बना पाते थे. ऐसे खिलाड़ियों को प्रमोट करने के साथ खेलों में दूसरी नंबर की टीम भी तैयार करने के लिए इसकी शुरुआत हुई थी. आलम यह है कि खेल संघों की देखरेख में होने वाली चैंपियनशिप के साथ ही अव्वल दर्जे के खिलाड़ी खेलो इंडिया में भी हिस्सा ले रहे है. चैंपियनशिप के साथ ही खेलो इंडिया में भी अव्वल दर्जें के खिलाड़ियों पर शानदार प्रदर्शन का दबाव पड़ रहा है. ऐसे में उनका दम फूल रहा है.

उत्तर प्रदेश ओलंपिक एसोसिएशन के सचिव आनन्देश्वर पाण्डेय के अनुसार खेल और खिलाड़ियों के प्रमोशन के लिए खेलो इंडिया की योजना बहुत अच्छी है. इन खेलों में दूसरे नंबर के खिलाड़ियों को मौका दिया जाना बेहतर होगा. इससे अव्वल दर्जे के खिलाड़ियों पर लगातार प्रदर्शन का दबाव नहीं होगा. आनन्देश्वर पाण्डेय ने बताया कि खेलो इंडिया के मुकाबलों में मिलने वाले प्रमाण पत्रों की हमारे यहां कोई महत्व नहीं है. खेल संघों की देखरेख में होने वाली चैंपियनशिप में मिलने वाले प्रमाण पत्रों की तरह ही इनकी भी मान्यता होनी चाहिए. इससे दाखिले से लेकर सरकारी नौकरी तक में खिलाड़ी इसे प्रस्तुत कर सकें.

लखनऊ विश्वविद्यालय प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों में सर्टिफिकेट नहीं होगा मान्य : लखनऊ विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में केवल वही खेल सर्टिफिकेट मान्य हैं, जो भारतीय ओलंपिक संघ या सरकार द्वारा अधिकृत खेल प्राधिकरण से प्रमाणित हो केवल उन्हीं प्रमाणपत्रों को ही अपने यहां प्रवेश में मान्य करता है. लखनऊ विश्वविद्यालय मार्च में होली के बाद से अपना आवेदन प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है. ऐसे में जो छात्र खेलो इंडिया के सर्टिफिकेट के भरोसे विश्वविद्यालय संबद्ध डिग्री कॉलेजों में प्रवेश लेना चाहते हैं तो उनको बड़ा झटका लग सकता है.

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