लखनऊः राजधानी के कोतवाली महोबा में दर्ज रिश्वतखोरी के दूसरे मामले में भी महोबा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मणिलाल पाटीदार को भ्रष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश लोकेश वरुण ने न्यायिक अभिरक्षा में लेते हुए 31 अक्टूबर तक के लिए जेल भेज दिया है. इसके पूर्व महोबा के क्रेशर व्यवसाई की मृत्यु के मामले में भी उसके आत्मसमर्पण के बाद हिरासत में लिया जा चुका है.
सरकारी वकील एमके सिंह के अनुसार, मणिलाल पाटीदार ने महोबा के कोतवाली नगर थाने में दर्ज एक अन्य मुकदमे में आत्मसमर्पण के लिए 15 अक्टूबर को अर्जी दी थी. इस पर अदालत ने विवेचक से वांछित होने की रिपोर्ट 19 अक्टूबर के लिए तलब की थी. सोमवार को विवेचक ने मणिलाल पाटीदार के वांछित होने की रिपोर्ट अदालत में दी. इसी के साथ मामले में मणिलाल पाटीदार का जेल में बयान दर्ज किए जाने की अदालत से अनुमति मांगी. विवेचक के अनुरोध को स्वीकार करते हुए अदालत ने मणिलाल पाटीदार को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर उसका बयान दर्ज करने की अनुमति दे दी है.
अभियोजन के अनुसार कोतवाली नगर महोबा में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मणिलाल पाटीदार, तत्कालीन थानाध्यक्ष खरेला राजू सिंह व चरखारी थाने के तत्कालीन प्रभारी राकेश कुमार सरोज के विरुद्ध पीपी पांडे इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर नीतीश पांडे ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी कंपनी के ट्रक बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे में मिट्टी ढोने का काम कर रहे हैं. ट्रकों के कागजात पूरे हैं फिर भी ट्रकों को रोककर पैसों की मांग की जाती है ना देने पर उनका चालान काटा जाता है. पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने के साथ-साथ एक-एक हफ्ते तक ट्रकों को थाने पर रोका जाता है. वादी का यह भी आरोप है कि कप्तान मणिलाल पाटीदार ने फोन करके उनके कर्मचारी अमित तिवारी को बुलाया तथा दो लाख रुपए प्रतिमाह देने को कहा.
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