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राजधानी में ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों के लिए जल्द खुलेगा चाइल्ड न्यूरोलॉजी हॉस्पिटल - autism

लखनऊ में ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों का इलाज करने के लिए बहुत जल्द ही चाइल्ड न्यूरोलॉजी हॉस्पिटल खुल जाएगा, जहां ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के साथ ही अन्य न्यूरो डिसऑर्डर से ग्रसित मरीजों का इलाज किया जाएगा.

3 साल में चाइल्ड न्यूरोलॉजी हॉस्पिटल का संचालन शुरू कर दिया जाएगा
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Published : Apr 2, 2019, 8:15 AM IST

लखनऊ : राजधानी में करीब ढाई सौ बच्चे ऑटिज्म से पीड़ित हैं. बच्चों का इलाज मामूली दवाई देकर काउंसलिंग के जरिए किया जा रहा है. जो बच्चे 3 साल से कम उम्र के हैं, उनकी रिकवरी दर करीब 70 फीसदी है. ऐसे बच्चों को विदेशी सुविधाओं से सुसज्जित चिकित्सा सुविधा देने के लिए लखनऊ में जल्द ही चाइल्ड न्यूरोलॉजी हॉस्पिटल खोला जाएगा.

न्यूरो डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चे का अगर 3 साल के अंदर इलाज शुरू कर दिया जाए तो उसके ठीक होने की संभावना 80 फ़ीसदी रहती है, लेकिन 3 साल से 5 साल के बीच उम्र होने पर 50 प्रतिशत बच्चे ही ठीक होते हैं. करीब 100 बच्चों में 3 बच्चों में यह जेनेटिक बीमारी होती है. इसमें करीब 60 फीसदी बालक एवं 40 फीसदी बालिका होती हैं.

3 साल में चाइल्ड न्यूरोलॉजी हॉस्पिटल का संचालन शुरू कर दिया जाएगा

डॉ. राहुल ने बताया कि राजधानी में बहुत जल्द ही चाइल्ड न्यूरोलॉजी हॉस्पिटल खुल जाएगा. जहां ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के साथ ही अन्य न्यूरो डिसऑर्डर से ग्रसित मरीजों का इलाज किया जाएगा. इसके लिए नवा फाउंडेशन ने गोमती नगर में जमीन उपलब्ध करा दी है और करीब 3 साल में इस अस्पताल का संचालन शुरू कर दिया जाएगा.

डॉ. राहुल ने बताया कि भारत में न्यूरो डिसऑर्डर की अन्य बीमारियों का समुचित इलाज नहीं हो रहा है. इलाज की पद्धत्ति भी बदलने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि गोमती नगर स्थित एसोसिएशन ऑफ चाइल्ड ब्रेन रिसर्च सेंटर पर अब तक करीब 11 सौ बच्चों का पंजीयन किया गया है. इसमें उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक बच्चे हैं.

लखनऊ : राजधानी में करीब ढाई सौ बच्चे ऑटिज्म से पीड़ित हैं. बच्चों का इलाज मामूली दवाई देकर काउंसलिंग के जरिए किया जा रहा है. जो बच्चे 3 साल से कम उम्र के हैं, उनकी रिकवरी दर करीब 70 फीसदी है. ऐसे बच्चों को विदेशी सुविधाओं से सुसज्जित चिकित्सा सुविधा देने के लिए लखनऊ में जल्द ही चाइल्ड न्यूरोलॉजी हॉस्पिटल खोला जाएगा.

न्यूरो डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चे का अगर 3 साल के अंदर इलाज शुरू कर दिया जाए तो उसके ठीक होने की संभावना 80 फ़ीसदी रहती है, लेकिन 3 साल से 5 साल के बीच उम्र होने पर 50 प्रतिशत बच्चे ही ठीक होते हैं. करीब 100 बच्चों में 3 बच्चों में यह जेनेटिक बीमारी होती है. इसमें करीब 60 फीसदी बालक एवं 40 फीसदी बालिका होती हैं.

3 साल में चाइल्ड न्यूरोलॉजी हॉस्पिटल का संचालन शुरू कर दिया जाएगा

डॉ. राहुल ने बताया कि राजधानी में बहुत जल्द ही चाइल्ड न्यूरोलॉजी हॉस्पिटल खुल जाएगा. जहां ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के साथ ही अन्य न्यूरो डिसऑर्डर से ग्रसित मरीजों का इलाज किया जाएगा. इसके लिए नवा फाउंडेशन ने गोमती नगर में जमीन उपलब्ध करा दी है और करीब 3 साल में इस अस्पताल का संचालन शुरू कर दिया जाएगा.

डॉ. राहुल ने बताया कि भारत में न्यूरो डिसऑर्डर की अन्य बीमारियों का समुचित इलाज नहीं हो रहा है. इलाज की पद्धत्ति भी बदलने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि गोमती नगर स्थित एसोसिएशन ऑफ चाइल्ड ब्रेन रिसर्च सेंटर पर अब तक करीब 11 सौ बच्चों का पंजीयन किया गया है. इसमें उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक बच्चे हैं.

Intro:एंकर- राजधानी में करीब ढाई सौ बच्चे ऑटिज्म से पीड़ित हैं। बच्चों का इलाज मामूली दवाई देकर काउंसलिंग के जरिए किया जा रहा है। जो बच्चे 3 साल से कम उम्र के हैं उनकी रिकवरी दर करीब 70 फ़ीसदी है। ऐसे बच्चों को मुकम्मल और विदेशी सुविधाओं से सुसज्जित चिकित्सा सुविधा देने के लिए राजधानी में जल्द ही चाइल्ड न्यूरोलॉजी हॉस्पिटल खोला जाएगा।


Body:वी.ओ-राजधानी में करीब ढाई सौ बच्चे ऑटिज्म से पीड़ित हैं। बच्चों का इलाज मामूली दवाई देकर काउंसलिंग के जरिए किया जा रहा है। जो बच्चे 3 साल से कम उम्र के हैं। उनकी रिकवरी दर करीब 70 फ़ीसदी है। ऐसे बच्चों को मुकम्मल और विदेशी सुविधाओं से सुसज्जित चिकित्सा सुविधा देने के लिए राजधानी में जल्द ही चाइल्ड न्यूरोलॉजी हॉस्पिटल खोला जाएगा। यह कहना है इंग्लैंड निवासी और वर्तमान में राजधानी में रहकर और 30 पीड़ित बच्चों का इलाज करने वाले डॉक्टर राहुल भारत इस विषय पर पूर्ण जानकारी दी। डॉ राहुल ने बताया कि भारत में ऑफिस में ही नहीं न्यूरो डिसऑर्डर की अन्य बीमारियों का समुचित इलाज नहीं हो रहा है। इलाज की पद्धत्ति भी बदलने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि गोमती नगर स्थित एसोसिएशन ऑफ चाइल्ड ब्रेन रिसर्च सेंटर पर अब तक करीब 11 सौ बच्चों का पंजीयन किया गया है। इसमें उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक बच्चे हैं। यदि 3 साल के अंदर बच्चे का इलाज शुरू कर दिया जाए तो उसके ठीक होने की संभावना 80 फ़ीसदी रहती है। लेकिन 3 साल से 5 साल के बीच उम्र होने पर 50 प्रतिशत क बच्चे ही ठीक होते हैं। करीब 100 बच्चों में 3 बच्चों में या जेनेटिक बीमारी होती है यह अलग बात है कि किसी में कम तो किसी मे ज्यादा होती है। राहुल ने बताया कि जन्म के समय बच्चों में करीब पांच किसी न किसी रूप में चोटिल हो जाते हैं। बाद में यह मानसिक बीमारी की वजह बनता है। इसका मूल कारण इस सवाल पर डॉ राहुल ने बताया कि अभी तक इसके में होने के कारण का पता पूरी तरह नहीं चल पाया है। लक्षण भी शत प्रतिशत उपलब्ध नहीं है। इतना जरूर है कि आज न्यूरो संबंधी डिसऑर्डर है और इसमें करीब 60 फ़ीसदी बालक एवं 40 फ़ीसदी बालिका होती है।

बाइट- डॉ. राहुल भारत, एमबीबीएस, ACBR

वी.ओ-डॉ राहुल भरत ने ऑटिज्म के बच्चों का इलाज करने के लिए बताया कि राजधानी में बहुत जल्द ही चाइल्ड इन यूरोलॉजी हॉस्पिटल खुल जाएगा। इसमें ऑफिस में पीड़ित बच्चों के साथ ही अन्य नीरो डिसऑर्डर से ग्रसित मरीजों का इलाज किया जाएगा। इसके लिए नवा फाउंडेशन ने गोमती नगर में जमीन उपलब्ध करा दी है और करीब 3 साल में इस अस्पताल का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। इसमें भारतीय चिकित्सकों के साथ ही विदेशी चिकित्सकों की मदद ली जाएगी यह संभव होगा।


बाइट- डॉ. राहुल भारत, एमबीबीएस, ACBR


Conclusion:वी.ओ-दरअसल एसोसिएशन ऑफ साइड ब्रेन रिसर्च के जरिए इस एसोसिएशन ने दुनियाभर के चिकित्सकों को जोड़ रखा है। इस अस्पताल में इमरजेंसी न्यूरो सर्जिकल सेंटर होगा। यहां मिर्गी वाले बच्चों का इलाज किया जाएगा। राजधानी में रहकर बीमारियों से ग्रसित बच्चों का इलाज कर रहे। डॉक्टर राहुल ने बताया कि मॉडल पर चलने वाले इस अस्पताल में सप्ताह में 2 दिन गरीब मरीज देखे जाएंगे जिनमें निशुल्क सुविधाएं दी जाएंगी। इसके अलावा अन्य दिनों में प्राइवेट अस्पताल के चिकित्सकों की निर्धारित की जाएगी मध्यमवर्ग को ध्यान में रखकर तय किया जाएगा।
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