लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों में बड़ी जीत के लिए अभी से अपनी तैयारी में जुट गई है. भाजपा अपनी जीती हुई सीटों पर तो सर्वे करा ही रही है कि मौजूदा सांसद को लेकर क्षेत्र की जनता का रुख कैसा है, साथ ही पार्टी अपनी हारी हुई सीटों पर आगामी चुनावों में कैसे बढ़त बना सकती है, इस पर भी रणनीति बना रही है. पार्टी का राज्य और शीर्ष नेतृत्व इन विषयों पर गहन मंथन कर रहे हैं. इन्हीं विषयों को लेकर मंगलवार को पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाई गई है.
2019 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी गठबंधन ने प्रदेश में 64 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं सपा-बसपा गठबंधन में 15 सीटें जीती थीं, जिनमें बसपा को 10 और सपा को पांच सीटें प्राप्त हुई थीं. कांग्रेस पार्टी सिर्फ एक सीट जीतने में कामयाब हुई थी. वहीं 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा गठबंधन रिकॉर्ड 73 सीटें जीतने में कामयाब हुआ था. तब सपा को पांच और कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें प्राप्त हुई थीं और बसपा का खाता तक नहीं खुला था. अब भाजपा चाहती है कि वह 2014 की स्थिति में दोबारा लौटे और उस समय जीती गई 73 सीटों का आंकड़ा भी पार करे. हालांकि यह इतना आसान भी नहीं है. इसके लिए भाजपा को बहुत अधिक मेहनत करनी होगी. यही कारण है कि पार्टी अब हारी हुई सीटों को जीतने के लिए गंभीरता से काम कर रही है. पार्टी हारी हुई सीटों पर जीत के लिए लाभार्थियों को जोड़ने की योजना बना रही है. इसके साथ ही हर 5-7 बूथों का क्लस्टर बनाकर प्रभारी नियुक्त किए जाएंगे.
हारी हुई सीटों पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी आदि जैसे बड़े नेताओं के दौरे तय किए जाएंगे, ताकि सरकार अपनी उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचा सके. इसके साथ ही लोकसभा चुनाव को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को पार्टी से जोड़ने के लिए भी रणनीति तैयार की जा रही है.लोकसभा सीटों पर मतदाता बढ़ाने के लिए पार्टी जल्दी ही अभियान चलाने की तैयारी कर रही है. मतदाता अभियान की तैयारी के लिए कल (22 अगस्त) महत्वपूर्ण बैठक की जाएगी.
इस बैठक में प्रदेश के सभी जिला अध्यक्षों को आमंत्रित किया गया. पार्टी अन्य राज्य में विपक्ष के गठजोड़ को देखते हुए उत्तर प्रदेश से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना चाहती है, ताकि उसे केंद्र में एक बार और सरकार बनाने में कठिनाइयों का सामना न करना पड़े.