लखनऊ : जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ रही है, ऑनलाइन ठगी के नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं. खासकर उत्तर प्रदेश में ऑनलाइन ठगी के कुछ ज्यादा ही मामले सामने आने लगे हैं. इसमें रेस्टोरेंट की तरफ से एक लुभावना ऑफर मोबाइल पर आता है. इस ऑफर को पाने के लिए जैसे ही आपने मैसेज पर क्लिक किया तो पलक झपकते ही बैंक अकाउंट साफ हो सकता है.
बीते गुरुवार को मेरठ जिले में ऐसा ही एक मामला सामने आया. मेरठ के छीपी टैंक इलाके की रहने वाली महिला टीचर विनीता के मोबाइल के मैसेज बॉक्स में एक ब्रांडेड नामी रेस्टोरेंट का मैसेज आया जिसमें जिले के एक प्रसिद्ध रेस्टोरेंट की थाली 10 रुपये में देने का ऑफर था.
महिला मैसेज देख उसके जाल में फंस गई. पूरे परिवार को सरप्राइज पार्टी देने के लिए जल्दबाजी में बिना परखे उन्होंने जैसे ही लिंक पर क्लिक किया तो थोड़ी ही देर में उनके अकाउंट से 49 हजार कट गए. जब महिला को एहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हो गई है तो उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.
उधर, इसी पांच सितंबर को लखनऊ में कृष्णानगर इंद्रलोक कॉलोनी के आशीष सिंह वीकेंड नाइट परिवार को दावत देने के लिए एप पर रेस्टोरेंट के ऑफर चेक कर रहे थे. तभी मोबाइल के मैसेज बॉक्स में 70 फीसद छूट का एक सस्ता ऑफर मिला. मैसेज में लिंक था. जैसे ही उन्होंने क्लिक किया तो उनके खाते से 20 हजार साफ हो गए.
वह केस दर्ज कराने को स्थानीय थाने गए तो उन्हें साइबर सेल में इसकी शिकायत करने की सलाह देकर वापस कर दिया गया. आशीष ने साइबर सेल में तहरीर दी है. मामले की छानबीन की जा रही है.
एडीजी साइबर क्राइम राम कुमार का कहना है कि जिले में साइबर क्राइम टीम बनाई गई है जो सर्विलांस के जरिए ऐसे गैंग पर निगरानी रखती है. लोगों को भी ऐसे भ्रामक मैसेज से सावधान रहना चाहिए. एडीजी ने अपील की कि ठगी की शिकायत मिलने के तत्काल बाद केंद्रीय हेल्पलाइन नंबर 155260 पर शिकायत करें. ठगी में प्रयुक्त मोबाइल नंबर के साथ विस्तृत जानकारी उस बैंक या ई-वॉलेट के पास भेज दी जाती है जिस बैंक में ठगी का पैसा गया होता है.
बैंक के सिस्टम में यह जानकारी फ्लैश करने लगती है. यदि पैसे संबंधित बैंक या वालेट के पास ही हैं तो वह उसे तत्काल फ्रीज कर देगा. यदि पैसा किसी और बैंक या वालेट में चला गया हो तो वह उसे संबंधित बैंक या वालेट को भेज देगा. यह प्रक्रिया तब तक चलती रहेगी जब तक उस पैसे की पहचान कर उसे फ्रीज नहीं कर दिया जाता.
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यह जानकार हैरानी होगी कि पिछले तीन साल में 24849 मुकदमे धोखाधड़ी के दर्ज हुए. वर्ष 2018 में कुल मुकदमे 5229 जबकि 1722 मामलों में आरोप पत्र और 3150 में अंतिम रिपोर्ट दाखिल की गई. वर्ष 2019 में कुल मुकदमे 9005, आरोप पत्र 2181 में और अंतिम रिपोर्ट 5079 में और वर्ष 2020 में कुल मुकदमे 10620, आरोप पत्र 2198 और अंतिम रिपोर्ट 3673 में लगाई गई.
अभी तक साइबर ठगों ने अलग-अलग कई घटनाओं को अंजाम दे 57 करोड़ से अधिक की रकम बैंक खातों से उड़ाई है जबकि पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से करीब दो करोड़ बरामद किए हैं और करीब छह करोड़ रुपये विभिन्न खातों में फ्रीज कराए हैं.
यह हो सकते हैं बचाव के तरीके
- अपने ब्राउजर के एड्रेस बार में URL टाइप करके ही बैंक वेबसाइट तक पहुंचें.
- ऑनलाइन बैंकिंग वाले मोबाइल एप्लिकेशन स्टोर (गूगल प्लेस्टोर, एप्पल एप स्टोर, ब्लैकबेरी ऐप वर्ल्ड, ओवि स्टोर, विंडोज मार्केटप्लेस आदि) से कोई दुर्भावनापूर्ण एप्लिकेशन डाउनलोड करने से सावधान रहें.
- डाउनलोड करने से पहले कृपया अपने बैंक से संपर्क करके उनकी वास्तविकता की जांच करें.
- वेबसाइट पर पहुंचने के लिए किसी ई-मेल मैसेज में दिए गए लिंक पर क्लिक न करें.
- आपकी व्यक्तिगत जानकारी, पासवर्ड या वन टाइम पासवर्ड (हाईसिक्योरिटी) पाने के लिए बैंक या इनका कोई भी कर्मचारी या अधिकारी कभी भी आपको ई-मेल या एसएमएस नहीं भेजते हैं. वह आपको फोन भी नहीं करते हैं.
- इस प्रकार का ई-मेल/एसएमएस या फोन कॉल इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से आपके अकाउंट तक पहुंच कर धोखे से कैश निकालने का प्रयास है.
- कभी भी इस प्रकार के ई-मेल/एसएमएस या फोन कॉल का जवाब न दें.