लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पूरे देश के लिए बड़े नेता थे, लेकिन लखनऊ से उनका विशेष लगाव था. लखनऊ से प्रकाशित आरएसएस की पत्रिका राष्ट्रधर्म के वह 1947 में संपादक बने. कुछ चिन्हित लोगों में से वरिष्ठ पत्रकार प्रदुम्न तिवारी का भी एक परिवार है. प्रद्युम्न तिवारी के पिताजी बजरंग तिवारी से उनका बेहद लगाव था.
अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से सांसद चुने गए थे. लखनऊ से ही सांसद रहते हुए वह प्रधानमंत्री बने. प्रधानमंत्री रहते हुए भी वह जब भी लखनऊ आते थे तो वह प्रद्युम्न तिवारी के परिवार से जरूर मुलाकात करते थे.
बेहद सरल स्वभाव के थे अटल बिहारी वाजपेयी
प्रद्युम्न तिवारी कहते हैं कि अटल जी ने कभी किसी को यह अहसास नहीं होने दिया कि वह प्रधानमंत्री बन गए हैं. पहले के उनके जितने भी संपर्क में लोग थे, उनसे उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए और प्रधानमंत्री रहने के बाद भी संपर्क बनाए रखा.
लखनऊ आने पर कभी वह बुलवा लेते थे तो कभी उनके चहेते लोग उन तक खुद पहुंच जाते थे. कभी ऐसा नहीं हुआ कि उन्होंने लोगों से मुलाकात करने से मना किया हो.
जब पीएमओ से अटल का फोन आया
प्रद्युम्न तिवारी कहते हैं कि एक बार की बात है, हमारे पिताजी पीएमओ फोन किए. फोन पर पिताजी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी को बता दीजिएगा कि लखनऊ से बजरंग तिवारी का फोन आया था तो उन्हें लगा कि ऐसा कम ही संभव होगा कि उनका फोन वापस आए, लेकिन दूसरे दिन सुबह अटल जी का फोन आया. उन्होंने पिताजी से बात की. इस दौरान काफी खुशी हुई. ऐसा व्यक्तित्व अटल जी का ही हो सकता है.
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