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...जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का इस शख्स के घर आया फोन

पूरा देश पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती मना रहा है. वे आम जनमानस के नेता थे. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी वह जब भी लखनऊ आते थे तो अपने कार्यकर्ताओं से जरूर मिलते थे.

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बातचीत करते वरिष्ठ पत्रकार प्रद्युम्न तिवारी..
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Published : Dec 25, 2019, 2:10 PM IST

Updated : Dec 25, 2019, 2:53 PM IST

लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पूरे देश के लिए बड़े नेता थे, लेकिन लखनऊ से उनका विशेष लगाव था. लखनऊ से प्रकाशित आरएसएस की पत्रिका राष्ट्रधर्म के वह 1947 में संपादक बने. कुछ चिन्हित लोगों में से वरिष्ठ पत्रकार प्रदुम्न तिवारी का भी एक परिवार है. प्रद्युम्न तिवारी के पिताजी बजरंग तिवारी से उनका बेहद लगाव था.

बातचीत करते वरिष्ठ पत्रकार प्रद्युम्न तिवारी.

अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से सांसद चुने गए थे. लखनऊ से ही सांसद रहते हुए वह प्रधानमंत्री बने. प्रधानमंत्री रहते हुए भी वह जब भी लखनऊ आते थे तो वह प्रद्युम्न तिवारी के परिवार से जरूर मुलाकात करते थे.

बेहद सरल स्वभाव के थे अटल बिहारी वाजपेयी

प्रद्युम्न तिवारी कहते हैं कि अटल जी ने कभी किसी को यह अहसास नहीं होने दिया कि वह प्रधानमंत्री बन गए हैं. पहले के उनके जितने भी संपर्क में लोग थे, उनसे उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए और प्रधानमंत्री रहने के बाद भी संपर्क बनाए रखा.

लखनऊ आने पर कभी वह बुलवा लेते थे तो कभी उनके चहेते लोग उन तक खुद पहुंच जाते थे. कभी ऐसा नहीं हुआ कि उन्होंने लोगों से मुलाकात करने से मना किया हो.

जब पीएमओ से अटल का फोन आया

प्रद्युम्न तिवारी कहते हैं कि एक बार की बात है, हमारे पिताजी पीएमओ फोन किए. फोन पर पिताजी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी को बता दीजिएगा कि लखनऊ से बजरंग तिवारी का फोन आया था तो उन्हें लगा कि ऐसा कम ही संभव होगा कि उनका फोन वापस आए, लेकिन दूसरे दिन सुबह अटल जी का फोन आया. उन्होंने पिताजी से बात की. इस दौरान काफी खुशी हुई. ऐसा व्यक्तित्व अटल जी का ही हो सकता है.
इसे भी पढ़ें:-लखनऊ महोत्सव में इस बार टूरिज्म एक्सपो और सखी दिवस का होगा आयोजन

लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पूरे देश के लिए बड़े नेता थे, लेकिन लखनऊ से उनका विशेष लगाव था. लखनऊ से प्रकाशित आरएसएस की पत्रिका राष्ट्रधर्म के वह 1947 में संपादक बने. कुछ चिन्हित लोगों में से वरिष्ठ पत्रकार प्रदुम्न तिवारी का भी एक परिवार है. प्रद्युम्न तिवारी के पिताजी बजरंग तिवारी से उनका बेहद लगाव था.

बातचीत करते वरिष्ठ पत्रकार प्रद्युम्न तिवारी.

अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से सांसद चुने गए थे. लखनऊ से ही सांसद रहते हुए वह प्रधानमंत्री बने. प्रधानमंत्री रहते हुए भी वह जब भी लखनऊ आते थे तो वह प्रद्युम्न तिवारी के परिवार से जरूर मुलाकात करते थे.

बेहद सरल स्वभाव के थे अटल बिहारी वाजपेयी

प्रद्युम्न तिवारी कहते हैं कि अटल जी ने कभी किसी को यह अहसास नहीं होने दिया कि वह प्रधानमंत्री बन गए हैं. पहले के उनके जितने भी संपर्क में लोग थे, उनसे उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए और प्रधानमंत्री रहने के बाद भी संपर्क बनाए रखा.

लखनऊ आने पर कभी वह बुलवा लेते थे तो कभी उनके चहेते लोग उन तक खुद पहुंच जाते थे. कभी ऐसा नहीं हुआ कि उन्होंने लोगों से मुलाकात करने से मना किया हो.

जब पीएमओ से अटल का फोन आया

प्रद्युम्न तिवारी कहते हैं कि एक बार की बात है, हमारे पिताजी पीएमओ फोन किए. फोन पर पिताजी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी को बता दीजिएगा कि लखनऊ से बजरंग तिवारी का फोन आया था तो उन्हें लगा कि ऐसा कम ही संभव होगा कि उनका फोन वापस आए, लेकिन दूसरे दिन सुबह अटल जी का फोन आया. उन्होंने पिताजी से बात की. इस दौरान काफी खुशी हुई. ऐसा व्यक्तित्व अटल जी का ही हो सकता है.
इसे भी पढ़ें:-लखनऊ महोत्सव में इस बार टूरिज्म एक्सपो और सखी दिवस का होगा आयोजन

Intro:लखनऊ। वैसे तो अटल बिहारी वाजपेई पूरे देश के लिए बड़े नेता थे लेकिन लखनऊ से उनका विशेष लगाव रहा है। लखनऊ से प्रकाशित आरएसएस की पत्रिका राष्ट्रधर्म के वह 1947 में ही संपादक बने। इसके बाद वह यहां से सांसद चुने गए। लखनऊ से ही सांसद रहते हुए वह प्रधानमंत्री बने। लखनऊ के लोगों से उनका विशेष लगाव रहा है। पीएम रहते हुए भी अटल जी का उन लोगों से संपर्क रहा। कुछ चिन्हित लोगों में से वरिष्ठ पत्रकार प्रदुम्न तिवारी का भी एक परिवार है। प्रद्युम्न तिवारी के पिताजी बजरंग तिवारी से उनका बेहद लगाव था। प्रधानमंत्री रहते हुए भी वह जब भी लखनऊ आते थे तो उनसे मुलाकात जरूर करते थे। प्रद्युम्न तिवारी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए अटल जी के तमाम संस्मरण सुनाए।


Body:प्रद्युम्न तिवारी कहते हैं अटल जी ने कभी किसी को यह अहसास नहीं होने दिया कि वह प्रधानमंत्री बन गए हैं। पहले के उनके जितने भी संपर्क में लोग थे, उनसे उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए और प्रधानमंत्री रहने के बाद भी संपर्क बनाए रखा। लखनऊ आने पर कभी वह बुलवा लेते थे तो कभी उनके चहेते लोग उन तक खुद पहुंच जाते थे। कभी ऐसा नहीं हुआ कि उन्होंने लोगों से मुलाकात करने से मना किया हो। एक बार की बात है जब हमारे पिताजी पीएमओ फोन किए। फोन पर कहा कि प्रधानमंत्री जी को बता दीजिएगा कि लखनऊ से बजरंग तिवारी का फोन आया था। तो उन्हें लगा कि ऐसा कम ही संभव होगा कि उनका फोन वापस आए लेकिन दूसरे दिन सुबह अटल जी का फोन आया। उन्होंने पिता जी से बात की।


Conclusion:
Last Updated : Dec 25, 2019, 2:53 PM IST
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