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प्रदेश की जनता के साथ छल कर रही है भाजपाः अखिलेश

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्री प्रदेश की झूठी तस्वीर दिखा रहे हैं. गलत आंकड़े व तथ्य बताए जा रहे हैं. जमीनी हकीकत चिंताजनक है.

लखनऊः
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Published : Apr 16, 2021, 9:27 PM IST

लखनऊः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा की सरकार अपनी सत्ता की भूख में प्रदेश की जनता के साथ छल करने में भी नहीं हिचक रही है. लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट है. कोरोना संक्रमण से लाकडाउन की आशंका है. विगत वर्ष की भांति एक बार फिर मुंबई तथा दूसरे प्रांतों से श्रमिकों का पलायन शुरू हो गया है. गतवर्ष की त्रासदी झेल चुके विस्थापितों के सामने फिर अनिश्चित भविष्य के स्याह दिन नजर आने लगे हैं.

झूठे आश्वासनों की होर्डिंग
शुक्रवार को अखिलेश यादव ने मीडिया को विज्ञप्ति के माध्यम से बयान जारी किया. इसमें प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में भाजपा सरकार और इसके मुख्यमंत्री सिर्फ झूठे आश्वासनों की होर्डिंग लगा रहे हैं. जनता को भरमाने के लिए अखबारी विज्ञापनों में जनता की कमाई लुटा रहे हैं. भाजपा सरकार कुप्रचार में माहिर है. उसने हिटलर की जर्मनी के महाझूठों के सरदार गोएबल्स को भी मात दे दी है. चार साल में चार लाख नौकरियां दिए जाने का एलान हो रहा है. कहां-किसको कौन सी नौकरी मिली, इसका ब्यौरा नहीं दिया जा रहा है. निवेश के हो-हल्ले के बावजूद एक भी उद्योग नहीं लगा. एक यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं हुआ. जो कल-कारखाने चल रहे थे, वो भी एक-एक कर बंद होते जा रहे हैं.

इसे भी पढ़ेंः महिला सुरक्षा को लेकर योगी सरकार के दावे की खुली पोल

रोजी-रोटी के लिए महानगरों की तरफ रुख कर रहे लोग
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि गतवर्ष कोरोना त्रासदी में जो लाखों लोग आए उन्हें अमानवीय स्थितियों में गुजर बसर करनी पड़ी. मुख्यमंत्री मनरेगा से काम देने के आंकड़े जारी करते रहे पर जमीनी हालात बदले नहीं. लोगों को रोटी-रोजगार के चक्कर में फिर बड़े महानगरों की ओर रुख करना पड़ गया. अभी दूसरी जगहों पर वे ठौर-ठिकाना ढूंढ़ ही रहे थे कि फिर कोरोना का नया वज्रपात हो गया. रेल, बस और हवाई अड्डों पर फिर प्रवासी भारतीयों की भीड़ बढ़ गई है. लोग आ रहे हैं पर आगे जिंदगी कैसे गुजरेगी, इसका पता नहीं. गतवर्ष की तरह अब कोई मदद में भी नहीं आ रहा है. सरकार तो कान में रूई डालकर बैठी हुई है. उसे गरीबों की चीखें नहीं सुनाई पड़ती हैं. चारों तरफ हाहाकार मचा है. भाजपा की सरकार पिछले कोरोना संक्रमण काल में दीया-बत्ती, ताली और थाली से सब कुछ कंट्रोल करने का भरोसा देती रही थी. इस बार कोरोना महामारी का जोर ज्यादा है. हालात बेकाबू हैं. अस्पतालों में अफरा-तफरी मची हुई है. जनता में गहरी निराशा के साथ आक्रोश भी पनप रहा है. शासन-प्रशासन पूरी तरह पंगु है. वह अपनी नाकामी श्मसान घाट पर पर्दे लगाकर छुपा रहा है. मुख्यमंत्री जब खुद संक्रमित हो गए हैं तो वह प्रदेश के बिगड़ते हालात को काबू करने का टोटका कर रहे हैं.

लखनऊः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा की सरकार अपनी सत्ता की भूख में प्रदेश की जनता के साथ छल करने में भी नहीं हिचक रही है. लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट है. कोरोना संक्रमण से लाकडाउन की आशंका है. विगत वर्ष की भांति एक बार फिर मुंबई तथा दूसरे प्रांतों से श्रमिकों का पलायन शुरू हो गया है. गतवर्ष की त्रासदी झेल चुके विस्थापितों के सामने फिर अनिश्चित भविष्य के स्याह दिन नजर आने लगे हैं.

झूठे आश्वासनों की होर्डिंग
शुक्रवार को अखिलेश यादव ने मीडिया को विज्ञप्ति के माध्यम से बयान जारी किया. इसमें प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में भाजपा सरकार और इसके मुख्यमंत्री सिर्फ झूठे आश्वासनों की होर्डिंग लगा रहे हैं. जनता को भरमाने के लिए अखबारी विज्ञापनों में जनता की कमाई लुटा रहे हैं. भाजपा सरकार कुप्रचार में माहिर है. उसने हिटलर की जर्मनी के महाझूठों के सरदार गोएबल्स को भी मात दे दी है. चार साल में चार लाख नौकरियां दिए जाने का एलान हो रहा है. कहां-किसको कौन सी नौकरी मिली, इसका ब्यौरा नहीं दिया जा रहा है. निवेश के हो-हल्ले के बावजूद एक भी उद्योग नहीं लगा. एक यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं हुआ. जो कल-कारखाने चल रहे थे, वो भी एक-एक कर बंद होते जा रहे हैं.

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रोजी-रोटी के लिए महानगरों की तरफ रुख कर रहे लोग
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि गतवर्ष कोरोना त्रासदी में जो लाखों लोग आए उन्हें अमानवीय स्थितियों में गुजर बसर करनी पड़ी. मुख्यमंत्री मनरेगा से काम देने के आंकड़े जारी करते रहे पर जमीनी हालात बदले नहीं. लोगों को रोटी-रोजगार के चक्कर में फिर बड़े महानगरों की ओर रुख करना पड़ गया. अभी दूसरी जगहों पर वे ठौर-ठिकाना ढूंढ़ ही रहे थे कि फिर कोरोना का नया वज्रपात हो गया. रेल, बस और हवाई अड्डों पर फिर प्रवासी भारतीयों की भीड़ बढ़ गई है. लोग आ रहे हैं पर आगे जिंदगी कैसे गुजरेगी, इसका पता नहीं. गतवर्ष की तरह अब कोई मदद में भी नहीं आ रहा है. सरकार तो कान में रूई डालकर बैठी हुई है. उसे गरीबों की चीखें नहीं सुनाई पड़ती हैं. चारों तरफ हाहाकार मचा है. भाजपा की सरकार पिछले कोरोना संक्रमण काल में दीया-बत्ती, ताली और थाली से सब कुछ कंट्रोल करने का भरोसा देती रही थी. इस बार कोरोना महामारी का जोर ज्यादा है. हालात बेकाबू हैं. अस्पतालों में अफरा-तफरी मची हुई है. जनता में गहरी निराशा के साथ आक्रोश भी पनप रहा है. शासन-प्रशासन पूरी तरह पंगु है. वह अपनी नाकामी श्मसान घाट पर पर्दे लगाकर छुपा रहा है. मुख्यमंत्री जब खुद संक्रमित हो गए हैं तो वह प्रदेश के बिगड़ते हालात को काबू करने का टोटका कर रहे हैं.

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