कुशीनगर: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में समाजवादी पार्टी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के टिकट की घोषणा की. कुशीनगर की पडरौना सीट छोड़कर वो फाजिलनगर विधानसभा सीट पर अपना भाग्य आजमाएंगे. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी में आरपीएन सिंह के शामिल होने के वजह से मौर्य को पडरौना विधानसभा की परम्परागत सीट बदलनी पड़ी.
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह के कांग्रेस से इस्तीफा देने और भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के पीछे की सबसे बड़ी वजह स्वामी प्रसाद मौर्य को बताया जा रहा है. स्वामी प्रसाद मौर्य और आरपीएन सिंह के बीच राजनीतिक नूराकुश्ती 2009 से चल रही है. सपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने लगातार तीन बार जीत दिलाने वाली पडरौना सीट छोड़कर फाजिलनगर विधानसभा सीट से चुनावी ताल ठोंकी है.
उनको कांग्रेस के आरपीएन सिंह से हार का सामना करना पडा था. पडरौना सीट खाली होने पर उप चुनाव में मौर्य पडरौना विधानसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार के रूप में उतरे और आरपीएन सिंह की माता कुंवरानी मोहिनी देवी को हराकर विधायक बने. बसपा से ही मौर्य ने 2012 में भी इस सीट से जीत हासिल की थी. इसके बाद वर्ष 2017 में मौर्य भाजपा में शामिल हुए और चुनाव लड़कर जीत की हैट्रिक लगाई. इसी बीच आरपीएन सिंह भाजपा में आ गए, तो पडरौना सीट से उनके चुनाव लड़ने को लेकर अटकलें शुरू हो गईं. तब स्वामी ने कहा था कि पडरौना उनकी प्राथमिकता है.
आरपीएन सिंह पडरौना सीट से 1996, 2002 और 2007 में विधायक रहे. कुर्मी-सैंथवार जाति से आने वाले आरपीएन सिंह को राजा साहेब के नाम से भी पुकारा जाता है. पडरौना में कुर्मी वोटों की संख्या काफी है और अपने इलाके के सजातीय वोटों पर उनकी खासी पकड़ मानी जाती है. पहले से ही संभावनाएं जताई जा रही हैं कि पडरौना से भाजपा आरपीएन सिंह को टिकट देकर स्वामी प्रसाद मौर्या की मुश्किलें बढ़ा सकती है. पडरौना से भाजपा उम्मीदवार की घोषणा से पहले ही स्वामी प्रसाद ने सीट बदल ली. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि भाजपा आरपीएन को विधानसभा चुनाव लड़वाती है या उन्हें राज्यसभा भेजती है.
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स्वामी प्रसाद अब समाजवादी के टिकट से कुशीनगर की फाजिलनगर सीट से भाग्य आजमाएंगे. हालांकि उनके लिए यह लड़ाई भी आसान नहीं होगी. इस सीट पर अब भी भाजपा का दबदबा है. फाजिलनगर विधानसभा सीट से भाजपावर्ष 2012 और 2017 में जीती थी. बीजेपी ने यहां गंगा सिंह कुशवाहा के बेटे सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है. गंगा सिंह कुशवाहा जनसंघ के जमाने से ही आरएसएस के करीब रहे. यह विधानसभा कुशवाहा बाहुल्य के रूप में जाने जानी जाती है. 2012 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर गंगा सिंह कुशवाहा जीते थे. इसके बाद 2017 में दोबारा विधानसभा पंहुचे.
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