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सपा ने युवाओं पर जताया भरोसा, 3 दिग्गजों के कटे टिकट

समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेताओं में सुमार राधेश्याम सिंह, नंदकिशोर मिश्रा और बालेश्वर यादव पर पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2022 में भरोसा नहीं जताया है. इसके बाद इन नेताओं को चाहने वाले लगभग 30 से 40 हजार समर्थक मायूस है.

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Published : Feb 9, 2022, 5:28 PM IST

कुशीनगर: समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेताओं में सुमार राधेश्याम सिंह, नंदकिशोर मिश्रा और बालेश्वर यादव पर पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2022 में भरोसा नहीं जताया है. जबकि अपने संघर्षों के बल पर इलाके के मशहूर सपा के दिग्गजों का टिकट कटने से इनकी नाराजगी की वजह से कहीं न कहीं पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. सत्ताधारी पार्टी को उन सीटों पर कड़ा मुकाबला और हार जैसी शिकस्त हो सकती है. पार्टी ने तो इन नेताओं को मनचाहे जगह टिकट न देकर, दूसरी पार्टी के प्रत्याशियों को वाकओवर दे दिया है. इसके बाद इन नेताओं को चाहने वाले लगभग 30 से 40 हजार समर्थक मायूस है.

पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के समय से पार्टी के मिनी मुख्यमंत्री कहे जाने वाले बालेश्वर यादव अपने संघर्षों के दम पर पूर्वांचल सहित बिहार में भी अपनी एक अलग पहचान बनायी है. कहते हैं कि मुलायम सिंह के बाद कोई नाम पूर्वांचल में पार्टी के निष्ठा का था तो, वह नाम बालेश्वर यादव का ही था. कहा जाता है कि एक दशक में राजनीतिक हवाएं खूब चली थी लेकिन बालेश्वर की निष्ठा पर सवाल नहीं खड़ा हो सके. वहीं, किसानों के गन्ना समस्या की गोद से निकले नेता पूर्व राज्यमंत्री राधेश्याम सिंह को उत्तर-प्रदेश में किसान नेता के नाम से जाना जाता है.

इसे भी पढ़ेंः सपा प्रत्याशी लक्ष्मी धनगर को नहीं पता है पार्टी फाउंडर का नाम, अखिलेश ने दी ये सफाई...

पूर्वांचल के बच्चा-बच्चा राधेश्याम के संघर्ष के जीवन से रूबरू है. कहा जाता है कि जब राधेश्याम किसी आंदोलन में शरीक होने के लिए अपना कदम बढ़ाते है तो शासन प्रशासन की नींद तक उड़ जाती है. चर्चा है कि पार्टी से अलग इस किसान नेता के पास भारी समर्थकों की संख्या है, जिसका रुख राधेश्याम के एक इशारे से किसी भी ओर मुड़ सकता है.

तमकुहीराज के बेटे के नाम से जाने जाने वाले नंदकिशोर मिश्रा जुझारू नेता के नाम से जनपद में जाने जाते हैं. अपने संघर्षों के दम पर जनपद में एक अलग पहचान बनाने वाले नंदकिशोर पर समाजवादी पार्टी ने भरोसा नहीं जताया है. कहा जाता रहा है कि यदि सपा के टिकट पर नंदकिशोर मैदान में रहे तो हराना किसी भी पार्टी के लिए काफी मुश्किल होगा.

गौरतलब है कि, पडरौना से पूर्व सांसद बालेश्वर यादव ने अपने पुत्र बबलू यादव के लिए पार्टी से टिकट की मांग की थी, जबकि कुशीनगर से पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह ने दो टिकटों पर अपने और बड़े बेटे के लिए टिकट की दावेदारी प्रस्तुत की. वहीं, नंदकिशोर मिश्रा तमकुहीराज से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं.

इन तीनों का टिकट न मिलना कुशीनगर सहित पूर्ववांचल में चर्चा का विषय बन हुआ है. समाजवादी पार्टी ने टिकट की घोषणा करते हुए राधेश्याम सिंह के बड़े बेटे रणविजय उर्फ मोहन पर भरोसा जताते हुए उनको टिकट दिया है. ऐसे में कुशीनगर जिले की राजनीति में समाजवादी पार्टी की लड़ाई अब इन कद्दावर नेताओं के रुख पर भी निर्भर करती है. अब यह देखने वाली बात होगी कि इन सभी द्वारा क्या निर्णय लिया जाता है. पार्टी नेतृत्व अब इन दिग्गजों को मनाने के लिए क्या करती हैं.

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कुशीनगर: समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेताओं में सुमार राधेश्याम सिंह, नंदकिशोर मिश्रा और बालेश्वर यादव पर पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2022 में भरोसा नहीं जताया है. जबकि अपने संघर्षों के बल पर इलाके के मशहूर सपा के दिग्गजों का टिकट कटने से इनकी नाराजगी की वजह से कहीं न कहीं पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. सत्ताधारी पार्टी को उन सीटों पर कड़ा मुकाबला और हार जैसी शिकस्त हो सकती है. पार्टी ने तो इन नेताओं को मनचाहे जगह टिकट न देकर, दूसरी पार्टी के प्रत्याशियों को वाकओवर दे दिया है. इसके बाद इन नेताओं को चाहने वाले लगभग 30 से 40 हजार समर्थक मायूस है.

पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के समय से पार्टी के मिनी मुख्यमंत्री कहे जाने वाले बालेश्वर यादव अपने संघर्षों के दम पर पूर्वांचल सहित बिहार में भी अपनी एक अलग पहचान बनायी है. कहते हैं कि मुलायम सिंह के बाद कोई नाम पूर्वांचल में पार्टी के निष्ठा का था तो, वह नाम बालेश्वर यादव का ही था. कहा जाता है कि एक दशक में राजनीतिक हवाएं खूब चली थी लेकिन बालेश्वर की निष्ठा पर सवाल नहीं खड़ा हो सके. वहीं, किसानों के गन्ना समस्या की गोद से निकले नेता पूर्व राज्यमंत्री राधेश्याम सिंह को उत्तर-प्रदेश में किसान नेता के नाम से जाना जाता है.

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पूर्वांचल के बच्चा-बच्चा राधेश्याम के संघर्ष के जीवन से रूबरू है. कहा जाता है कि जब राधेश्याम किसी आंदोलन में शरीक होने के लिए अपना कदम बढ़ाते है तो शासन प्रशासन की नींद तक उड़ जाती है. चर्चा है कि पार्टी से अलग इस किसान नेता के पास भारी समर्थकों की संख्या है, जिसका रुख राधेश्याम के एक इशारे से किसी भी ओर मुड़ सकता है.

तमकुहीराज के बेटे के नाम से जाने जाने वाले नंदकिशोर मिश्रा जुझारू नेता के नाम से जनपद में जाने जाते हैं. अपने संघर्षों के दम पर जनपद में एक अलग पहचान बनाने वाले नंदकिशोर पर समाजवादी पार्टी ने भरोसा नहीं जताया है. कहा जाता रहा है कि यदि सपा के टिकट पर नंदकिशोर मैदान में रहे तो हराना किसी भी पार्टी के लिए काफी मुश्किल होगा.

गौरतलब है कि, पडरौना से पूर्व सांसद बालेश्वर यादव ने अपने पुत्र बबलू यादव के लिए पार्टी से टिकट की मांग की थी, जबकि कुशीनगर से पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह ने दो टिकटों पर अपने और बड़े बेटे के लिए टिकट की दावेदारी प्रस्तुत की. वहीं, नंदकिशोर मिश्रा तमकुहीराज से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं.

इन तीनों का टिकट न मिलना कुशीनगर सहित पूर्ववांचल में चर्चा का विषय बन हुआ है. समाजवादी पार्टी ने टिकट की घोषणा करते हुए राधेश्याम सिंह के बड़े बेटे रणविजय उर्फ मोहन पर भरोसा जताते हुए उनको टिकट दिया है. ऐसे में कुशीनगर जिले की राजनीति में समाजवादी पार्टी की लड़ाई अब इन कद्दावर नेताओं के रुख पर भी निर्भर करती है. अब यह देखने वाली बात होगी कि इन सभी द्वारा क्या निर्णय लिया जाता है. पार्टी नेतृत्व अब इन दिग्गजों को मनाने के लिए क्या करती हैं.

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