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सरकार ने शहीद बेटे की मूर्ति लगवाने का किया था वादा, मां की आस रह गई अधूरी - जौनपुर शहीद

जौनपुर जिले के केराकत के रहने वाले श्याम नारायण सिंह के बेटे को शहीद हुए तीन साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक सरकार ने न तो शहीद द्वार बनवाया और न हीं गांव में शहीद के लिए मूर्ति बनवाई. अब शहीद की मां भी दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं.

शहीद के पिता
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Published : Aug 13, 2019, 4:13 PM IST

जौनपुर: देश के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वाले सैनिक जब शहीद होते हैं तो उनके परिवारों से सरकार कई वादे करती है. इन वादों में से कुछ वादे तो सरकार पूरा करती है, लेकिन कई वादों को समय के साथ-साथ सरकार भूल भी जाती है. एक बाप के लिए अपने जीते जी बेटे की अर्थी को कंधा देना सबसे बड़ा दुख होता है. जब बेटा देश की सीमा के लिए शहीद हो तो बाप का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है.

कुछ ऐसा ही हुआ जौनपुर केराकत के भौरा गांव के रहने वाले श्याम नारायण सिंह के साथ. उन्होंने अपने जीते जी बेटे की अर्थी को कंधा दिया तो उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया. बेटे की शहादत के बाद सरकार ने कुछ वादे तो पूरे किए, लेकिन कई वादे अधूरे रह गए.

शहीद के मां की इच्छा रह गई अधूरी.

सरकार ने वादे पूरे नहीं किए-
संजय सिंह 25 जून 2016 को शहीद हुए थे. सैनिक कैंप से लौटते समय आतंकियों ने सीआरपीएफ की बस पर हथगोला फेंका, जिसमें आठ सैनिक शहीद हो गए. बेटे की शहादत के बाद सरकार ने वादे तो बहुत किए, लेकिन इनमें से कुछ वादों को छोड़कर बहुत से वादे अधूरे रह गए.

पढे़ं- जौनपुर में बेटियों को आगे बढ़ाएगी कन्या सुमंगला योजना

शहीद की मां जीते जी देखना चाहती थीं शहीद बेटे की मूर्ति
शहीद की मां अपने जीते जी बेटे की मूर्ति लगी हुई देखना चाहती थीं, लेकिन सरकार अपना वादा पूरा न कर पाई. अब शहीद की मां दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं. इस बात का दुख शहीद के पिता को सता रहा है. शहीद के पिता श्याम नारायण सिंह ने बताया कि उनके बेटे को शहीद हुए तीन साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक सरकार ने न तो शहीद द्वार बनवाया और न हीं गांव में शहीद के लिए मूर्ति बनवाई. उन्होंने बताया कि यहां तक की डीएम ने गांव के प्राथमिक स्कूल का नाम भी शहीद के नाम पर करने का वादा किया था, लेकिन वह वादा भी अधूरा रह गया.

शहीद के मां की इच्छा रह गई अधूरी
शहीद संजय सिंह की मां का अभी एक हफ्ते पहले ही देहांत हो गया. शहीद के मां की आखिरी इच्छा थी कि वह अपने जीते जी बेटे की मूर्ति लगी हुई देख सके, लेकिन सरकार ने वादा पूरा नहीं किया और शहीद की मां का सपना अधूरा रह गया. शहीद के पिता सरकार से इन वादों को पूरा कराने के लिए डीएम समेत कई अधिकारियों के यहां अपनी फरियाद कर चुके हैं, लेकिन हालात जस के तस हैं.

जौनपुर: देश के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वाले सैनिक जब शहीद होते हैं तो उनके परिवारों से सरकार कई वादे करती है. इन वादों में से कुछ वादे तो सरकार पूरा करती है, लेकिन कई वादों को समय के साथ-साथ सरकार भूल भी जाती है. एक बाप के लिए अपने जीते जी बेटे की अर्थी को कंधा देना सबसे बड़ा दुख होता है. जब बेटा देश की सीमा के लिए शहीद हो तो बाप का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है.

कुछ ऐसा ही हुआ जौनपुर केराकत के भौरा गांव के रहने वाले श्याम नारायण सिंह के साथ. उन्होंने अपने जीते जी बेटे की अर्थी को कंधा दिया तो उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया. बेटे की शहादत के बाद सरकार ने कुछ वादे तो पूरे किए, लेकिन कई वादे अधूरे रह गए.

शहीद के मां की इच्छा रह गई अधूरी.

सरकार ने वादे पूरे नहीं किए-
संजय सिंह 25 जून 2016 को शहीद हुए थे. सैनिक कैंप से लौटते समय आतंकियों ने सीआरपीएफ की बस पर हथगोला फेंका, जिसमें आठ सैनिक शहीद हो गए. बेटे की शहादत के बाद सरकार ने वादे तो बहुत किए, लेकिन इनमें से कुछ वादों को छोड़कर बहुत से वादे अधूरे रह गए.

पढे़ं- जौनपुर में बेटियों को आगे बढ़ाएगी कन्या सुमंगला योजना

शहीद की मां जीते जी देखना चाहती थीं शहीद बेटे की मूर्ति
शहीद की मां अपने जीते जी बेटे की मूर्ति लगी हुई देखना चाहती थीं, लेकिन सरकार अपना वादा पूरा न कर पाई. अब शहीद की मां दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं. इस बात का दुख शहीद के पिता को सता रहा है. शहीद के पिता श्याम नारायण सिंह ने बताया कि उनके बेटे को शहीद हुए तीन साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक सरकार ने न तो शहीद द्वार बनवाया और न हीं गांव में शहीद के लिए मूर्ति बनवाई. उन्होंने बताया कि यहां तक की डीएम ने गांव के प्राथमिक स्कूल का नाम भी शहीद के नाम पर करने का वादा किया था, लेकिन वह वादा भी अधूरा रह गया.

शहीद के मां की इच्छा रह गई अधूरी
शहीद संजय सिंह की मां का अभी एक हफ्ते पहले ही देहांत हो गया. शहीद के मां की आखिरी इच्छा थी कि वह अपने जीते जी बेटे की मूर्ति लगी हुई देख सके, लेकिन सरकार ने वादा पूरा नहीं किया और शहीद की मां का सपना अधूरा रह गया. शहीद के पिता सरकार से इन वादों को पूरा कराने के लिए डीएम समेत कई अधिकारियों के यहां अपनी फरियाद कर चुके हैं, लेकिन हालात जस के तस हैं.

Intro:जौनपुर।। देश के लिए अपनी जान निछावर करने वाले सैनिक जब शहीद होते हैं तो उनके परिवारों से सरकार कई वादे करती है। इन वादों में से कुछ वादे तो सरकार पूरा करती है लेकिन कई ऐसे वादों को समय के साथ-साथ भुला दिया जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ जौनपुर केराकत की भौरा गांव के रहने वाले शहीद संजय कुमार सिंह के परिवार के साथ । संजय सिंह 25 जून 2016 को शहीद हुआ था। अपने सैनिक कैंप लौटते समय आतंकियों ने सीआरपीएफ की बस पर हथगोला फेंका था जिसमें 8 सैनिक शहीद हुए थे।बेटे की शहादत के बाद सरकार ने वादे तो बहुत किए लेकिन इनमें से कुछ वादों को छोड़कर बहुत से वादे अधूरे रह गए। शहीद की मां अपने जीते जी बेटे की मूर्ति लगी हुई देखना चाहती थी लेकिन सरकार अपना वादा पूरा न कर पाई और उनकी मां की मृत्यु हो गई। इस बात का दुख शहीद के पिता को सता रहा है।


Body:वीओ।। एक बाप के लिए अपने जीते जी अपने बेटे की अर्थी को कंधा देना सबसे बड़ा दुख होता है । लेकिन जब बेटा देश की सीमा के लिए शहीद हो तो बाप का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ जौनपुर केराकत के भौरा गांव के रहने वाले श्याम नारायण सिंह के साथ उन्होंने अपने जीते जी बेटे की अर्थी को कंधा दिया तो उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया। बेटे की शहादत के बाद सरकार ने कुछ वादे तो पूरे किए लेकिन कई वादे अधूरे रह गए । उनके बेटे कुछ शहीद हुए 3 साल हो चुके हैं लेकिन अभी तक सरकार ने न तो शहीद द्वार बनवाया और नहीं गांव में शहीद के लिए मूर्ति बनवाई। यहां तक की जिला अधिकारी के द्वारा गांव के प्राथमिक स्कूल का नाम भी शहीद के नाम पर करने का वादा हुआ लेकिन वह वादा भी अधूरा रह गया। शहीद संजय सिंह की मां का अभी 1 हफ्ते पहले ही देहांत हो गया । उनकी मां की आखिरी इच्छा थी कि वह अपने जीते जी बेटे की मूर्ति लगी हुई देख सके । लेकिन सरकार अपना वादा ना पूरा कर पाई और उनकी मां का सपना अधूरा रह गया । शहीद के पिता सरकार से इन वादों को पूरा कराने के लिए जिलाधिकारी समेत कई अधिकारियों के यहां अपनी फरियाद कर चुके हैं लेकिन हालात जस के तस है। ऐसे में सही परिवार का दर्द और भी ज्यादा बढ़ जाता है।


Conclusion:बाइट- श्याम नारायण सिंह- शहीद के पिता

पीटीसी


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