बाराबंकीः जिलाधिकारी डॉ. आदर्श सिंह और पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी की ओर से प्रतिष्ठित स्कॉच अवार्ड के लिए पेश किए गए प्रोजेक्ट्स को स्कॉच ऑर्डर ऑफ मेरिट में जगह मिलने से जिलेवासियों में उत्साह है. डीएम के कल्याणी नदी का पुनरुद्धार और एसपी के मिशन कायाकल्प प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने से लोग गौरवांवित हैं.
डीएम का प्रोजेक्ट-कल्याणी नदी का पुनरुद्धार
दरअसल कल्याणी नदी अत्यधिक सिल्टिंग और अतिक्रमण के कारण लुप्त हो गई थी. बरसात के दौरान पर्याप्त गहराई और ढलान न मिलने के कारण पानी आसपास के खेतों में भर जाता था और रबी की फसल को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता था. डीएम बाराबंकी ने अपने सहयोगी अधिकारियों के साथ मिलकर एक ऐसी योजना बनाई जिसमें कोविड-19 के दौरान प्रवासी कामगारों को रोजगार दिया जा सके और नदी के तटीय गांव के लोगों को सुरक्षित खेती भी कर सकें. विशेषज्ञों की मदद से बनी इस योजना के क्रियान्वयन के बाद इस वर्ष कल्याणी नदी के तट पर स्थित खेतों में बरसात के पानी से कोई नुकसान नहीं हुआ. इसके बाद जिलाधिकारी ने कल्याणी नदी के संपूर्ण बहाव क्षेत्र में डि -सिल्टिंग करा कर कल्याणी को पुनर्जीवित कर दिया. कल्याणी नदी को पुनर्जीवित करने की इस पहल का उल्लेख माननीय प्रधानमंत्री द्वारा अपने कार्यक्रम मन की बात में भी किया गया था.
एसपी का प्रोजेक्ट-मिशन कायाकल्प
पुलिस अधीक्षक बाराबंकी डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने अवैध शराब बनाने और पीने वालों के विरुद्ध सघन अभियान छेड़ रखा है .पुलिस की दबिश और बरामदगी का विश्लेषण करते समय उन्हें पता चला कि थाना रामनगर का चैनपुरवा एक ऐसा गांव है जहां 94 परिवारों में से 90 परिवार अवैध शराब बनाने के धंधे में लिप्त हैं. अधिकांश पुरुष ऐसी शराब के सेवन से अशक्त हो गए हैं.
ग्रामीणों को शराब के धंधे से कराया मुक्त
इसके बाद अगस्त में चौपाल लगाकर पुलिस अधीक्षक ने उनमें परिवर्तन की अलख जगाई और दीपावली के दृष्टिगत गांव के लोगों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित किया. इसके साथ ही मधुमक्खी के मोम के दिए बनवाकर स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से बाजार में बिकवाये. लगभग साढ़े पांच लाख की बिक्री से गांव वालों को लगभग सात लाख रुपयों की आमदनी हुई .जिससे उनमें एक नया आत्मविश्वास पैदा हुआ.
गांव की महिलाओं ने शुरू किया अपना कारोबार
इस गांव में 5 महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर मिठाई के डिब्बे, पूजा के लिए रुई की बत्ती,स्टोल में गांठ लगाने और गोबर से दीपक और दूसरी सामग्री बनाने का काम चल रहा है. इसके अतिरिक्त गांव में उत्तर प्रदेश सरकार की सभी योजनाओं से आच्छादित करने, गांव में वर्किंग शेड बनाने, आयुष्मान कार्ड बनाने आदि का काम किया जा रहा है .दीर्घ कालीन योजना के तहत मधुमक्खी पालन, सिलाई केंद्र, अगरबत्ती बनाने का केंद्र की योजनाएं भी तैयार की गई हैं. गांव के समग्र विकास के लिए चैनपुरवा कायाकल्प फाउंडेशन ट्रस्ट का पंजीकरण कराया जा रहा है, जिससे इस गांव और अन्य पिछड़े गांव का विकास करने की योजना है.
यह है स्कॉच अवार्ड
स्कॉच अवार्ड भारत को बेहतर राष्ट्र बनाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने वाले व्यक्तियों, परियोजनाओं और संस्थानों को प्रदान किया जाता है. यह किसी स्वतंत्र संगठन यानी स्कॉच फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया जाने वाला देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. यह पुरस्कार डिजिटल, वित्तीय और सामाजिक समावेशन के क्षेत्र में किये गए सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के लिए दिया जाता है.
स्कॉच अवार्ड में भाग लेने की प्रक्रिया
सर्वप्रथम स्कॉच अवार्ड के लिए प्रोजेक्ट का नॉमिनेशन किया जाता है. फिर प्रोजेक्ट की कैटेगरी, योग्यता और अध्धयन के आधार पर चयन किया जाता है.उसके बाद जूरी सदस्य उस प्रोजेक्ट का हर ऐंगल से वेरिफिकेशन करते हैं और फिर मार्किंग करते हैं. अगले चरण में वोटिंग के जरिये प्रोजेक्ट स्कॉच ऑर्डर ऑफ मेरिट हासिल करते हुए सेमी फाइनल में अपनी जगह पक्की कर लेता है. इसके बाद स्कॉच अवार्ड के लिए अपने प्रतिद्वंदी प्रोजेक्ट्स से मुकाबला करता है. अवॉर्ड के चयन में लगभग दो महीने लगते हैं.
स्कॉच अवार्ड की चयन प्रक्रिया 7 चरणों में
1- काल फ़ॉर नामिनेशन
2- फर्स्ट शार्ट लिस्ट
3- फेस टू फेस इंटरेक्शन
4- पॉपुलर वोट्स- बीकॉन्स ऑफ होप
5- वे टू सेमी फाइनल
6- वे टू फाइनल - एक्सपर्ट वोट्स
7- वे टू फाइनल- लाइव पोल
03 दिसंबर को एसपी और डीएम ने प्रस्तुत किया था प्रजेंटेशन
जिले के दोनों प्रोजेक्ट्स को अवार्ड के लिए नामिनेशन भेजा गया था. बीती 03 दिसम्बर को देश के विभिन्न क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स के सम्मुख डीएम और एसपी ने अपने अपने प्रोजेक्ट्स का ऑनलाइन प्रेजेंटेशन दिया था. मंगलवार को आये रिजल्ट में जिले के इन दोनों प्रोजेक्ट्स को स्कॉच ऑर्डर ऑफ मेरिट के लिए चयनित होना घोषित किया गया है.