बाराबंकी: जिले में कोरोना संकट के दौरान पशुपालकों को पशुपालन विभाग ने बड़ी राहत दी है. विभाग ने पशुपालक किसानों के बीमार होने वाले पशुओं का नि:शुल्क इलाज करने का फैसला किया है. इसके लिए पशु चिकित्सालयों में पड़ने वाला रजिस्ट्रेशन शुल्क यानी लेवी माफ कर दिया गया है. हर वर्ष तकरीबन 7 लाख पशुओं का इलाज करने वाले विभाग को राजस्व का खासा नुकसान होगा, लेकिन किसानों को इस विपदा की घड़ी में राहत देने के लिए विभाग ये नुकसान बर्दाश्त करेगा.
पशुपालकों को मिली राहत
जिले में पशुओं की नस्लवार हुई गणना में कुल 10 लाख 68 हजार 844 पशु हैं. जिनमें दुधारू और दूसरे किस्मों के सभी छोटे बड़े पशु शामिल हैं. इनमे से करीब आठ लाख 35 हजार पशु पालतू हैं, बाकी के छुट्टा मवेशी हैं. इलाज के लिए अस्पताल ले जाने पर छोटे पशुओं के लिए पंजीकरण के लिए दो रुपये और बड़े पशुओं के लिए पांच रुपये देने होते हैं. इसी पंजीकरण को विभाग ने माफ कर दिया है. अब किसी भी मवेशी के इलाज के लिए कोई भी रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं देना होगा. पालतू कुत्तों को इससे अलग रखा गया है. इनके इलाज के लिए आने वाले इनके मालिकों को दस रुपये का रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
जिले में 36 पशु चिकित्सालय हैं और 66 पशु सेवा केंद्र हैं. जिन पर पशुओं का इलाज और बधियाकरण होता है. शासन ने बधियाकरण शुल्क पहले ही माफ कर रखा था. मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. मार्कण्डेय ने बताया कि कोरोना संकट से जूझ रहे किसानों को राहत देने के लिए उन्होंने जिलाधिकारी को रजिस्ट्रेशन यानी लेवी माफ किए जाने का प्रस्ताव रखा था जिसे मंजूर कर लिया गया.
आगामी 30 जून तक पशुपालकों को मिलेगी यह सुविधा
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि हर वर्ष औसतन 7 से 8 लाख पशुओं का इलाज होता है. पिछले वर्ष 7 लाख 35 हजार पशुओं को इलाज के लिए जिले के विभिन्न अस्पतालों में लाया गया था. लॉकडाउन के चलते इस वर्ष पशु पालक अपने पशुओं को अस्पतालों तक नहीं ले जा पा रहे हैं. यही वजह है कि अभी तक महज 14 हजार पशुओं को इलाज के लिए लोग अस्पताल ला पाए. डॉ. मार्कण्डेय ने बताया कि लेवी माफ कर देने से विभाग को राजस्व का नुकसान होगा, लेकिन किसानों को राहत देने के लिए विभाग ये नुकसान बर्दाश्त करेगा.
बाराबंकी: कोरोना संंकट के दौरान पशुपालकों को बड़ी राहत
बाराबंकी जिले में कोरोना संकट के दौरान पशुपालन विभाग ने पशुपालकों को बड़ी राहत दी है. विभाग की ओर से पशु चिकित्सालयों में पड़ने वाला रजिस्ट्रेशन शुल्क माफ कर दिया गया है.
बाराबंकी: जिले में कोरोना संकट के दौरान पशुपालकों को पशुपालन विभाग ने बड़ी राहत दी है. विभाग ने पशुपालक किसानों के बीमार होने वाले पशुओं का नि:शुल्क इलाज करने का फैसला किया है. इसके लिए पशु चिकित्सालयों में पड़ने वाला रजिस्ट्रेशन शुल्क यानी लेवी माफ कर दिया गया है. हर वर्ष तकरीबन 7 लाख पशुओं का इलाज करने वाले विभाग को राजस्व का खासा नुकसान होगा, लेकिन किसानों को इस विपदा की घड़ी में राहत देने के लिए विभाग ये नुकसान बर्दाश्त करेगा.
पशुपालकों को मिली राहत
जिले में पशुओं की नस्लवार हुई गणना में कुल 10 लाख 68 हजार 844 पशु हैं. जिनमें दुधारू और दूसरे किस्मों के सभी छोटे बड़े पशु शामिल हैं. इनमे से करीब आठ लाख 35 हजार पशु पालतू हैं, बाकी के छुट्टा मवेशी हैं. इलाज के लिए अस्पताल ले जाने पर छोटे पशुओं के लिए पंजीकरण के लिए दो रुपये और बड़े पशुओं के लिए पांच रुपये देने होते हैं. इसी पंजीकरण को विभाग ने माफ कर दिया है. अब किसी भी मवेशी के इलाज के लिए कोई भी रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं देना होगा. पालतू कुत्तों को इससे अलग रखा गया है. इनके इलाज के लिए आने वाले इनके मालिकों को दस रुपये का रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
जिले में 36 पशु चिकित्सालय हैं और 66 पशु सेवा केंद्र हैं. जिन पर पशुओं का इलाज और बधियाकरण होता है. शासन ने बधियाकरण शुल्क पहले ही माफ कर रखा था. मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. मार्कण्डेय ने बताया कि कोरोना संकट से जूझ रहे किसानों को राहत देने के लिए उन्होंने जिलाधिकारी को रजिस्ट्रेशन यानी लेवी माफ किए जाने का प्रस्ताव रखा था जिसे मंजूर कर लिया गया.
आगामी 30 जून तक पशुपालकों को मिलेगी यह सुविधा
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि हर वर्ष औसतन 7 से 8 लाख पशुओं का इलाज होता है. पिछले वर्ष 7 लाख 35 हजार पशुओं को इलाज के लिए जिले के विभिन्न अस्पतालों में लाया गया था. लॉकडाउन के चलते इस वर्ष पशु पालक अपने पशुओं को अस्पतालों तक नहीं ले जा पा रहे हैं. यही वजह है कि अभी तक महज 14 हजार पशुओं को इलाज के लिए लोग अस्पताल ला पाए. डॉ. मार्कण्डेय ने बताया कि लेवी माफ कर देने से विभाग को राजस्व का नुकसान होगा, लेकिन किसानों को राहत देने के लिए विभाग ये नुकसान बर्दाश्त करेगा.