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ज्यादा देर तक मास्क लगाते हैं, तो हो जाएं सावधान! हो सकती है ये बीमारी

कोरोना वायरस छूने से नाक, मुंह और आंख के रास्ते फैलता है, ऐसे में इससे बचने के लिए विशेषज्ञ लोगों को मुंह पर मास्क लगाने की सलाह दे रहे हैं. सरकार ने भी लोगों को बिना मास्क के बाहर निकलने पर रोक लगा दी है. वहीं मास्क के ज्यादा इस्तेमाल से लोग हाइपरकैपेनिया जैसी बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं. इसको लेकर देखिये हमारी खास रिपोर्ट...

ballia news
मास्क के ज्यादा इस्तेमाल से लोग हाइपरकैपेनिया जैसी बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं.
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Published : Jun 13, 2020, 3:57 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलिया: कोविड-19 के बचाव के लिए मास्क सबसे महत्वपूर्ण अस्त्र है. इससे लोग न केवल खुद का बचाव कर सकते हैं बल्कि दूसरे को भी संक्रमित होने से बचा सकते हैं. वहीं अधिक देर तक मास्क का पहनना भी खतरनाक साबित हो सकता है. इस कारण व्यक्ति हाइपरकैंपेनिया बीमारी का शिकार हो सकता है. चिकित्सकों ने ट्रिपल लेयर मास्क पहनने का सुझाव दिया है. वहीं स्वास्थ सेवाओं से जुड़े व्यक्ति के लिए एन-95 मास्क को उपयुक्त बताया गया है.

मास्क का ज्यादा इस्तेमाल बन सकता है बीमारी का कारण.


अधिक देर तक मास्क पहनने से बीमारी का खतरा
देश में अब तक कोविड-19 के मरीज तीन लाख के पार हो गई है और मृतकों की संख्या 9,000 के करीब पहुंच गई है. वैश्विक महामारी से बचाव के लिए मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है. सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी के अंतर्गत मास्क के बिना किसी भी सार्वजनिक स्थान पर जाने पर रोक लगाई गई है. वहीं चिकित्सकों ने मास्क को अधिक देर तक पहनने पर बीमारी होने का खतरा बताया हैं. जिला चिकित्सालय के सीएमएस ने बताया कि लगातार कई घंटों तक मास्क पहनने से शरीर के अंदर से बाहर आने वाला कार्बन डाइऑक्साइड बाहर नहीं निकल पाता. इस कारण ऑक्सीजन के जगह वापस इसी गैस को इंसान वापस सांस के साथ अंदर ले लेता है. इस क्रिया में शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है.

घबराहट और पसीना होने लगता है
बहुत देर तक नाक ढके रहने से घबराहट होने लगती है. मास्क पहनने के कारण ऑक्सीजन बाहर से अंदर कम मात्रा में प्रवेश कर पाता है. इस कारण से शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है. ऐसी स्थिति में अधिक देर तक मास्क पहनने से पसीना भी आने लगता है और घबराहट शुरू हो जाती है. इस कारण से लोग मास्क को तत्काल अपने चेहरे से हटाते हैं और उन्हें ऑक्सीजन मिल जाती है.

विशेषज्ञ गमछे और दुपट्टे के इस्तेमाल की दे रहे सलाह
सीएमएस बीपी सिंह ने बताया कि घर से बाहर निकलने के दौरान मास्क पहनना जरूरी है. मास्क नहीं है, तो गमछा और महिलाएं दुपट्टे से अपना मुंह ढक सकती हैं. जो लोग कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज करते हैं, ऐसे हेल्थ वर्कर्स के लिए एन- 95 मास्क या थ्री लेयर मास्क आवश्यक है. सामान्य लोगों के लिए साधारण मास्क की ही आवश्यकता है.

क्या है हाइपरकैपेनिया
सीएमएस डॉ बीपी सिंह ने बताया कि हाइपरकैपेनिया वह कंडीशन है, जब शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक हो जाती है. इस दौरान शरीर में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता. अधिकांश बहुत देर तक मास्क पहनने से इस तरह की स्थिति उत्पन्न होती है. इस दौरान मास्क पहनने वाले व्यक्ति को घबराहट होती है और चेहरे पर पसीना आने लगता है. जैसे ही मास्क को हटाया जाता है तो पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलने से स्थिति सामान्य अवस्था में आनी शुरू हो जाती है.

पीएम की अपील के बाद गमछे का बढ़ा इस्तेमाल
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मास्क के स्थान पर गमछे का भी प्रयोग कर खुद को संक्रमित होने से बचाने की बात कही गई. इसके बाद लोगों ने मास्क के स्थान पर गमछे का प्रयोग शुरू कर दिया. जिला अस्पताल में योगेंद्र कुमार ने बताया कि वह अब गमछे का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके पहले वे मास्क पहनते थे और उस कारण उन्हें घबराहट होती थी, सांस लेने ने भी में दिक्कत हो रही थी और पसीना भी आता रहता था. उन्होंने बताया कि यह एक प्रकार की बीमारी है. अधिक देर तक मास्क पहनने से ऐसी स्थिति होती है, जिस कारण अब गमछे का प्रयोग करने लगे हैं.

बाहर निकलने पर करें साधारण मास्क का प्रयोग
स्थानीय युवा सागर सिंह ने बताया कि मास्क अधिक देर तक पहनने से कार्बन डाइऑक्साइड वापस हमारे शरीर में जाती है. इस कारण बहुत सी परेशानियां होती हैं. उन्होंने बताया कि मास्क के लिए अलग-अलग कैटेगरी बनाई गई हैं. जो स्वास्थ्य कर्मी कोरोना संक्रमित रोगियों का इलाज कर रहे हैं, उनके लिए एन- 95 मास्क आवश्यक है. बाकी सामान्य लोगों के लिए घर से बाहर निकलने पर ही साधारण मास्क का प्रयोग ही करना चाहिए.

3 तरह के होते है मास्क
मास्क मुख्यतया तीन प्रकार के होते हैं. इनमें एन- 95 मास्क उन हेल्थ वर्कर्स के लिए है, जो कोविड 19 के पॉजिटिव मरीजो का आईसीयू के अंदर इलाज कर रहे है. इसके बाद थ्री लेयर मास्क है, जो हॉस्पिटल में कार्यरत अन्य स्वास्थकर्मियों के लिए है. तीसरा, कपड़े का बना मास्क है. यह तीन परत में तैयार होता है, जो आम इस्तेमाल के लिए होता है. इस मास्क को इस्तेमाल के बाद धोकर दोबारा प्रयोग में लाया जा सकता है.


10 से 100 रूपये तक बिक रहे मास्क
बाजार में महामारी के बाद से विभिन्न प्रकार के मास्क दिख रहे हैं. 10 रुपये की कीमत से लेकर 100 रुपये तक ये मास्क उपलब्ध हैं. राजेश कुमार गुप्ता बस स्टैंड के पास धार्मिक और सामान्य ज्ञान की पुस्तकें बेचते हैं, लेकिन कोविड-19 महामारी के बाद से उन्होंने मास्क बेचना शुरू कर दिया है. राजेश ने बताया कि उनके पास अलग-अलग कैटेगरी के मास्क उपलब्ध हैं, जिसे लोग आवश्यकतानुसार खरीद रहे हैं.


इन सबके बीच बलिया जिले में लोग सामान्यत: एन- 95 मास्क पहने हुए दिख रहे हैं, जो कि हेल्थ वर्कर्स के लिए अप्रूव है. इसके अलावा कॉटन के स्थान पर नेटदार और सिल्क के कपड़ों के बने हुए मास्क भी लोग पहन रहे हैं, जो कहीं न कहीं उन्हें इस बीमारी की ओर धकेल रहा है.

बलिया: कोविड-19 के बचाव के लिए मास्क सबसे महत्वपूर्ण अस्त्र है. इससे लोग न केवल खुद का बचाव कर सकते हैं बल्कि दूसरे को भी संक्रमित होने से बचा सकते हैं. वहीं अधिक देर तक मास्क का पहनना भी खतरनाक साबित हो सकता है. इस कारण व्यक्ति हाइपरकैंपेनिया बीमारी का शिकार हो सकता है. चिकित्सकों ने ट्रिपल लेयर मास्क पहनने का सुझाव दिया है. वहीं स्वास्थ सेवाओं से जुड़े व्यक्ति के लिए एन-95 मास्क को उपयुक्त बताया गया है.

मास्क का ज्यादा इस्तेमाल बन सकता है बीमारी का कारण.


अधिक देर तक मास्क पहनने से बीमारी का खतरा
देश में अब तक कोविड-19 के मरीज तीन लाख के पार हो गई है और मृतकों की संख्या 9,000 के करीब पहुंच गई है. वैश्विक महामारी से बचाव के लिए मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है. सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी के अंतर्गत मास्क के बिना किसी भी सार्वजनिक स्थान पर जाने पर रोक लगाई गई है. वहीं चिकित्सकों ने मास्क को अधिक देर तक पहनने पर बीमारी होने का खतरा बताया हैं. जिला चिकित्सालय के सीएमएस ने बताया कि लगातार कई घंटों तक मास्क पहनने से शरीर के अंदर से बाहर आने वाला कार्बन डाइऑक्साइड बाहर नहीं निकल पाता. इस कारण ऑक्सीजन के जगह वापस इसी गैस को इंसान वापस सांस के साथ अंदर ले लेता है. इस क्रिया में शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है.

घबराहट और पसीना होने लगता है
बहुत देर तक नाक ढके रहने से घबराहट होने लगती है. मास्क पहनने के कारण ऑक्सीजन बाहर से अंदर कम मात्रा में प्रवेश कर पाता है. इस कारण से शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है. ऐसी स्थिति में अधिक देर तक मास्क पहनने से पसीना भी आने लगता है और घबराहट शुरू हो जाती है. इस कारण से लोग मास्क को तत्काल अपने चेहरे से हटाते हैं और उन्हें ऑक्सीजन मिल जाती है.

विशेषज्ञ गमछे और दुपट्टे के इस्तेमाल की दे रहे सलाह
सीएमएस बीपी सिंह ने बताया कि घर से बाहर निकलने के दौरान मास्क पहनना जरूरी है. मास्क नहीं है, तो गमछा और महिलाएं दुपट्टे से अपना मुंह ढक सकती हैं. जो लोग कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज करते हैं, ऐसे हेल्थ वर्कर्स के लिए एन- 95 मास्क या थ्री लेयर मास्क आवश्यक है. सामान्य लोगों के लिए साधारण मास्क की ही आवश्यकता है.

क्या है हाइपरकैपेनिया
सीएमएस डॉ बीपी सिंह ने बताया कि हाइपरकैपेनिया वह कंडीशन है, जब शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक हो जाती है. इस दौरान शरीर में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता. अधिकांश बहुत देर तक मास्क पहनने से इस तरह की स्थिति उत्पन्न होती है. इस दौरान मास्क पहनने वाले व्यक्ति को घबराहट होती है और चेहरे पर पसीना आने लगता है. जैसे ही मास्क को हटाया जाता है तो पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलने से स्थिति सामान्य अवस्था में आनी शुरू हो जाती है.

पीएम की अपील के बाद गमछे का बढ़ा इस्तेमाल
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मास्क के स्थान पर गमछे का भी प्रयोग कर खुद को संक्रमित होने से बचाने की बात कही गई. इसके बाद लोगों ने मास्क के स्थान पर गमछे का प्रयोग शुरू कर दिया. जिला अस्पताल में योगेंद्र कुमार ने बताया कि वह अब गमछे का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके पहले वे मास्क पहनते थे और उस कारण उन्हें घबराहट होती थी, सांस लेने ने भी में दिक्कत हो रही थी और पसीना भी आता रहता था. उन्होंने बताया कि यह एक प्रकार की बीमारी है. अधिक देर तक मास्क पहनने से ऐसी स्थिति होती है, जिस कारण अब गमछे का प्रयोग करने लगे हैं.

बाहर निकलने पर करें साधारण मास्क का प्रयोग
स्थानीय युवा सागर सिंह ने बताया कि मास्क अधिक देर तक पहनने से कार्बन डाइऑक्साइड वापस हमारे शरीर में जाती है. इस कारण बहुत सी परेशानियां होती हैं. उन्होंने बताया कि मास्क के लिए अलग-अलग कैटेगरी बनाई गई हैं. जो स्वास्थ्य कर्मी कोरोना संक्रमित रोगियों का इलाज कर रहे हैं, उनके लिए एन- 95 मास्क आवश्यक है. बाकी सामान्य लोगों के लिए घर से बाहर निकलने पर ही साधारण मास्क का प्रयोग ही करना चाहिए.

3 तरह के होते है मास्क
मास्क मुख्यतया तीन प्रकार के होते हैं. इनमें एन- 95 मास्क उन हेल्थ वर्कर्स के लिए है, जो कोविड 19 के पॉजिटिव मरीजो का आईसीयू के अंदर इलाज कर रहे है. इसके बाद थ्री लेयर मास्क है, जो हॉस्पिटल में कार्यरत अन्य स्वास्थकर्मियों के लिए है. तीसरा, कपड़े का बना मास्क है. यह तीन परत में तैयार होता है, जो आम इस्तेमाल के लिए होता है. इस मास्क को इस्तेमाल के बाद धोकर दोबारा प्रयोग में लाया जा सकता है.


10 से 100 रूपये तक बिक रहे मास्क
बाजार में महामारी के बाद से विभिन्न प्रकार के मास्क दिख रहे हैं. 10 रुपये की कीमत से लेकर 100 रुपये तक ये मास्क उपलब्ध हैं. राजेश कुमार गुप्ता बस स्टैंड के पास धार्मिक और सामान्य ज्ञान की पुस्तकें बेचते हैं, लेकिन कोविड-19 महामारी के बाद से उन्होंने मास्क बेचना शुरू कर दिया है. राजेश ने बताया कि उनके पास अलग-अलग कैटेगरी के मास्क उपलब्ध हैं, जिसे लोग आवश्यकतानुसार खरीद रहे हैं.


इन सबके बीच बलिया जिले में लोग सामान्यत: एन- 95 मास्क पहने हुए दिख रहे हैं, जो कि हेल्थ वर्कर्स के लिए अप्रूव है. इसके अलावा कॉटन के स्थान पर नेटदार और सिल्क के कपड़ों के बने हुए मास्क भी लोग पहन रहे हैं, जो कहीं न कहीं उन्हें इस बीमारी की ओर धकेल रहा है.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST
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