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अलीगढ़ में शिक्षा का मंदिर बना व्यापार का अड्डा, स्कूली दुकानदार जमकर कर रहे लूट

यूपी के अलीगढ़ में शहर की कुछ चुनिंदा दुकानों से अभिभावक बच्चों की स्कूल ड्रेस खरीदने को मजबूर हैं. अधिक कीमत होने के बावजूद भी अभिभावक उन्हीं दुकानों से ड्रेस खरीदने को मजबूर हैं.

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स्कूल की चुनिंदा दुकानों से अभिभावक स्कूल ड्रेस खरीदने को मजबूर
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Published : Nov 30, 2019, 5:54 PM IST

अलीगढ़: शहर में निजी स्कूलों में किताब और यूनिफॉर्म के नाम पर चल रहा गोरखधंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है. कुछ चुनिंदा दुकानों पर ही स्कूल की ड्रेस बेची जा रही है. अधिक कीमत होने के बाद भी उन्हीं दुकानों से ड्रेस खरीदना स्कूलों ने अनिवार्य कर दिया है. जो ब्लेजर बाजार में 200 रुपये का मिल रहा है, वही ब्लेजर स्कूल की चुनिंदा दुकानों से 500 रुपये का खुलेआम बेचा जा रहा है.

स्कूल की चुनिंदा दुकानों से अभिभावक स्कूल ड्रेस खरीदने को मजबूर.
  • स्कूलों में किताब और यूनिफॉर्म के नाम पर निजी दुकानों से खरीदारी का गोरखधंधा फल-फूल रहा है.
  • शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले स्कूलों में अब लगातार कमीशनखोरी हो रही है.
  • बाजार में 200 रुपये का बेचा जाने वाला ब्लेजर स्कूल की ड्रेस मिलने वाली दुकानों पर 500 रुपये का बेचा जा रहा है.
  • कमीशन के चलते स्कूल और कॉलेज से मिलकर दुकानदार महंगे दामों पर स्वेटर बेच रहे हैं.
  • चुनिंदा दुकानों पर ही स्कूल की जरूरत का सामान मिलने को लेकर अभिभावक परेशान हैं.

अभिभावक दीपक दुबे ने बताया कि मेरे बच्चे पब्लिक कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ते हैं. जब हम ड्रेस और स्वेटर खरीदने जाते हैं तो 200 रुपये वाला स्वेटर 400 से 500 रुपये में मिलता है. जिसकी वजह से हम खरीदने में असमर्थ हैं. स्कूल और दुकानदारों के बीच जो धंधा चल रहा है, उसको खत्म होना चाहिए.

छात्रा निशा पाठक ने कहा कि हम ठंड में अपने भाइयों के लिए गरम कपड़े लेने जाते हैं, तो स्कूल की ड्रेस किसी अन्य शॉप पर नहीं मिलती है. एक ही शॉप पर मिलती है जो स्कूल वाले बताते हैं. जो चीज हमें मार्केट में 100 रुपए में मिलती है उसके लिए डेढ़ सौ से दो सौ रुपये ज्यादा देने पड़ते हैं.

यूनिफॉर्म एक जगह से मिलने की जो बात है इस संदर्भ में मेरे पास कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है. यदि ऐसी कोई शिकायत आती है तो उसको देखा जाएगा. वास्तव में क्या पोजीशन है. मेरे संज्ञान में तो यह चीज नहीं है. फिर भी अगर ऐसी कोई शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी.
-धर्मेंद्र शर्मा, जिला विद्यालय निरीक्षक

अलीगढ़: शहर में निजी स्कूलों में किताब और यूनिफॉर्म के नाम पर चल रहा गोरखधंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है. कुछ चुनिंदा दुकानों पर ही स्कूल की ड्रेस बेची जा रही है. अधिक कीमत होने के बाद भी उन्हीं दुकानों से ड्रेस खरीदना स्कूलों ने अनिवार्य कर दिया है. जो ब्लेजर बाजार में 200 रुपये का मिल रहा है, वही ब्लेजर स्कूल की चुनिंदा दुकानों से 500 रुपये का खुलेआम बेचा जा रहा है.

स्कूल की चुनिंदा दुकानों से अभिभावक स्कूल ड्रेस खरीदने को मजबूर.
  • स्कूलों में किताब और यूनिफॉर्म के नाम पर निजी दुकानों से खरीदारी का गोरखधंधा फल-फूल रहा है.
  • शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले स्कूलों में अब लगातार कमीशनखोरी हो रही है.
  • बाजार में 200 रुपये का बेचा जाने वाला ब्लेजर स्कूल की ड्रेस मिलने वाली दुकानों पर 500 रुपये का बेचा जा रहा है.
  • कमीशन के चलते स्कूल और कॉलेज से मिलकर दुकानदार महंगे दामों पर स्वेटर बेच रहे हैं.
  • चुनिंदा दुकानों पर ही स्कूल की जरूरत का सामान मिलने को लेकर अभिभावक परेशान हैं.

अभिभावक दीपक दुबे ने बताया कि मेरे बच्चे पब्लिक कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ते हैं. जब हम ड्रेस और स्वेटर खरीदने जाते हैं तो 200 रुपये वाला स्वेटर 400 से 500 रुपये में मिलता है. जिसकी वजह से हम खरीदने में असमर्थ हैं. स्कूल और दुकानदारों के बीच जो धंधा चल रहा है, उसको खत्म होना चाहिए.

छात्रा निशा पाठक ने कहा कि हम ठंड में अपने भाइयों के लिए गरम कपड़े लेने जाते हैं, तो स्कूल की ड्रेस किसी अन्य शॉप पर नहीं मिलती है. एक ही शॉप पर मिलती है जो स्कूल वाले बताते हैं. जो चीज हमें मार्केट में 100 रुपए में मिलती है उसके लिए डेढ़ सौ से दो सौ रुपये ज्यादा देने पड़ते हैं.

यूनिफॉर्म एक जगह से मिलने की जो बात है इस संदर्भ में मेरे पास कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है. यदि ऐसी कोई शिकायत आती है तो उसको देखा जाएगा. वास्तव में क्या पोजीशन है. मेरे संज्ञान में तो यह चीज नहीं है. फिर भी अगर ऐसी कोई शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी.
-धर्मेंद्र शर्मा, जिला विद्यालय निरीक्षक

Intro:अलीगढ़: अलीगढ़ में शहर की कुछ चुनिंदा दुकानों से ही बच्चों की स्कूल ड्रेस खरीदने को मजबूर हैं अभिभावक. शहर की चुनिंदा दुकानों पर ही मिल रही है स्कूल की ड्रेस. जिन पर स्कूल का लोगो लगा होना अनिवार्य है. जो ब्लेजर बाजार में 200 रुपये का मिल रहा है, स्कूल का लोगो लगने के बाद वहीं ब्लेजर 500 रुपये का मिलने का लगा रहे हैं अभिभावक आरोप. योगी सरकार चाहे कितना भी बनाले, लेकिन निजी स्कूलों में किताब और यूनिफार्म के नाम पर चल रहा गोरखधंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है. सर्दियां आ चुकी है तो अब अभिभावकों पर स्कूल का दबाव बनना शुरू हो गया है, कि वह सर्दियों की यूनिफार्म लेले जिन पर स्कूल का लोगो होना अनिवार्य है.


Body:शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाला स्कूल अब व्यापार की श्रेणी में पूर्ण रुप से आ चुका है. जहां व्यापार जुड़ जाता है वहां कमीशन खोरी होना लाजमी हैं. जिससे जिला प्रशासन अनजान बना हुआ बैठा है. फिलहाल सर्दियों का मौसम आ चुका है और हर कान्वेंट स्कूल में हफ्ते के दिनों के हिसाब से यूनिफॉर्म बनाई जाती है. वहीं मौसम के हिसाब से हर बच्चों को यूनिफॉर्म की जरूरत होती है. इसी के चलते सर्दियों के मौसम के हिसाब से स्कूली बच्चों को जूते गरम, जुराब, स्वेटर, ब्लेजर और हाथों के ग्लव्स की आवश्यकता पड़ना प्रारंभ हो रही हैं. इन सभी चीजों की जरूरत को देखते हुए अभिभावक स्कूल ड्रेस व अन्य सामान कुछ चुनिंदा दुकानों पर ही बिकने को लेकर परेशान हैं.

अभिभावक दीपक दुबे ने बताया मेरे बच्चे पब्लिक कान्वेंट स्कूल में पढ़ते हैं. परंतु जो सर्दियां बढ़ गई है, उसके उपरांत जब हम ड्रेस और स्वेटर वगैरा वह ड्रेस लेने जाते हैं, दुकानों पर जाना पड़ता है और दुकान वालों से स्कूल वालों का इतना कांटेक्ट है जो 200 रुपये में स्वेटर मिल जाता है वह 400, 450 व 500 रुपये में मिल रहा है. जिसकी वजह से हम खरीदने में असमर्थ हैं. हालांकि योगी जी की सरकार है और जनता को उन पर इतना विश्वास है फिर भी यह काला धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है. और इस वजह से स्कूल और जो दुकानदार हैं उनके बीच जो धंधा चल रहा है उसको खत्म होना चाहिए. वह खत्म हो जाएगा तो गरीबों को राहत मिल जाएगी, उनके बच्चे भी पढ़ पाएंगे और स्वेटर वगैरा भी पहन पायेंगे.


Conclusion:छात्रा निशा पाठक ने बताया जो हम ठंड में बच्चों के लिए कपड़े लेने जाते हैं, मेरे भी छोटे भतीजे भतीजी हैं. उनके लिए किसी भी शॉप से नहीं मिलते. उनका एक नाम होता है शॉप का. वह स्कूल वाले बताते हैं तो उसी शॉप पर सारी चीजें उपलब्ध होती हैं. वरना अन्य किसी शॉप पर उपलब्ध नहीं होती. जो चीज हमें मार्केट में सो रुपए में मिल रही है वह उस पर डेढ़ सौ या दो सौ रुपये की मिलती है. इस वजह से हमें काफी सारी प्रॉब्लम हो रही है. दुकानदार और स्कूल संचालकों के बीच में जो चल रहा है उसका तो हमें पता नहीं, जो मार्केट में मिलता है हमें वह उससे महंगा देते हैं. इस मामले में हर दुकानदार पर हर चीज उपलब्ध होनी चाहिए. हमें भी अपनी ड्रेस खरीदने में काफी सारी दिक्कत होती है तकलीफ होती है .

जिला विद्यालय निरीक्षक धर्मेंद्र शर्मा ने बताया जहां तक यह बात है यूनिफॉर्म एक जगह से मिलती है इस संदर्भ में मेरे पास कोई शिकायत प्राप्त नहीं है. यदि ऐसा कुछ है किसी की शिकायत आती है तो उसको देखते हैं वास्तव में क्या पोजीशन है. मेरे संज्ञान में तो यह चीज नहीं है फिर भी अगर ऐसा कोई मैटर है शिकायत आती है तो उस पर ध्यान दिया जाएगा. फिर भी अगर किसी को यह शिकायत लगती है तो बताई जाए उसके विरुद्ध कार्यवाही करेंगे.

बाईट- दीपक दुबे, अभिभावक
बाईट- निशा पाठक, छात्रा
बाईट- धर्मेंद्र शर्मा, जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS)

ललित कुमार, अलीगढ़
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