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आगरा: स्पोर्ट्स स्टेडियम में पिस्टल का अभाव, खिलाड़ियों के भविष्य पर उठे सवाल

आगरा जनपद के एकलव्य स्पोर्ट्स स्टेडियम में खराब पिस्टल के सहारे निशानेबाज खिलाड़ी तैयारी करने को मजबूर हैं. स्टेडियम में प्रशिक्षण के लिए उपयोगी पिस्टल के अभाव के चलते खिलाड़ियों के प्रैक्टिस में कमी आ रही है. जहां कोच अपनी खुद की पिस्टल देकर खिलाड़ियों से तैयारी करवा रहे हैं.

निशानेबाज खिलाड़ी.
निशानेबाज खिलाड़ी.
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Published : Aug 20, 2021, 12:34 PM IST

आगरा: जनपद के एकलव्य स्पोर्ट्स स्टेडियम में खराब पिस्टल के सहारे खिलाड़ी निशानेबाजी की तैयारी कर रहे हैं. हाल ही में ओलंपिक में भारत देश के निशानेबाजों से भारत को उम्मीद थी, लेकिन उस उम्मीद पर हर कोई भी खड़ा नहीं उतर सका. हालांकि आगरा के खिलाड़ी निशानेबाजी में निशाना लगा पदक जीत देश का नाम रोशन करना चाहते हैं पर खराब पिस्टल के सहारे व सुविधाओं के अभाव में खिलाड़ियों की तैयारी राम भरोसे चल रही है. फिलहाल कोच अपनी खुद की पिस्टल देकर खिलाड़ियों से तैयारी करवा रहे हैं. दो पिस्टल एक राइफल के सहारे घंटों इंतजार के बाद खिलाड़ी शूटिंग में प्रशिक्षण ले पा रहे हैं.

कई सालों से खराब पड़ी है पिस्टल
कोच हिमांशु ने बताया कि मार्च में उनकी कोच के पद पर ज्वाइनिंग हुई थी. उससे पहले ही पिस्टल खराब पड़ी हुई है. लॉकडाउन खत्म होने के बाद धीरे-धीरे खिलाड़ियों का रजिस्ट्रेशन होने लगा, लेकिन पिस्टल खराब होने के कारण 10 मीटर शूटिंग रेंज में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देना मुश्किल हो रहा था. खिलाड़ी अपने नंबर का इंतजार करते-करते घर चले जा रहे थे. ऐसे में खिलाड़ियों के लिए कोच हिमांशु में खुद की दो पिस्टल देकर खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देना शुरू करवाया. 25 मीटर शूटिंग रेंज के लिए खिलाड़ियों को दिल्ली जाकर प्रशिक्षण लेना पड़ता है.

खिलाड़ियों ने बताया कि अभी तो कोरोना वायरस वजह से खिलाड़ियों की संख्या कम है. सीखने वाले खिलाड़ी भी बहुत अभी कम रहे हैं, लेकिन फिर भी 15 से 20 खिलाड़ी शूटिंग सीखने के लिए आते हैं. 2 पिस्टल होने की वजह से घंटो-घंटो बैठकर खिलाड़ियों को इंतजार करना पड़ता है. कोच ने बताया कि राइफल भी उनके पास से एक है और सीखने वाले खिलाड़ी 2, लेकिन इसके बावजूद उन्हें 2-2 घंटे इंतजार करना पड़ता है. जबकि स्टेडियम में प्रशिक्षण देने का टाइम दोपहर 2 से 6 का है.

जानकारी देते निशानेबाज खिलाड़ी.

खिलाड़ियों ने बताया कि एक पिस्टल 1 लाख 80 हजार की आती है. ऐसे में एक मध्यम वर्ग के खिलाड़ी के लिए इतनी महंगी पिस्टल खरीद पाना संभव नहीं है. वहीं राइफल की कीमत 2-3 लाख की है और खराब पिस्टल को बनवाने का खर्च 80 हजार रुपये आता है. ऐसे में इतनी महंगी पिस्टल खरीद कर खिलाड़ियों का खेलना बहुत ही मुश्किल है.

बजट के अभाव में नहीं मिल रही कोई सुविधा

कोच ने बताया कि उन्होंने बहुत समय पहले डीएम प्रभु नारायण सिंह को पिस्टल खराब होने की जानकारी दी थी. 2 नई पिस्टल और 1 नई राइफल खरीदने को लेकर पत्र भी दिया था, लेकिन डीएम ने सारा बजट कोरोना काल में खत्म होने की बात कहकर सवाल से पल्ला झाड़ लिया.

इसे भी पढें- प्रयागराज: पंडित जवाहरलाल नेहरू की याद में बना है बाल भवन, बच्चों को दी जाती है ट्रेनिंग

आगरा: जनपद के एकलव्य स्पोर्ट्स स्टेडियम में खराब पिस्टल के सहारे खिलाड़ी निशानेबाजी की तैयारी कर रहे हैं. हाल ही में ओलंपिक में भारत देश के निशानेबाजों से भारत को उम्मीद थी, लेकिन उस उम्मीद पर हर कोई भी खड़ा नहीं उतर सका. हालांकि आगरा के खिलाड़ी निशानेबाजी में निशाना लगा पदक जीत देश का नाम रोशन करना चाहते हैं पर खराब पिस्टल के सहारे व सुविधाओं के अभाव में खिलाड़ियों की तैयारी राम भरोसे चल रही है. फिलहाल कोच अपनी खुद की पिस्टल देकर खिलाड़ियों से तैयारी करवा रहे हैं. दो पिस्टल एक राइफल के सहारे घंटों इंतजार के बाद खिलाड़ी शूटिंग में प्रशिक्षण ले पा रहे हैं.

कई सालों से खराब पड़ी है पिस्टल
कोच हिमांशु ने बताया कि मार्च में उनकी कोच के पद पर ज्वाइनिंग हुई थी. उससे पहले ही पिस्टल खराब पड़ी हुई है. लॉकडाउन खत्म होने के बाद धीरे-धीरे खिलाड़ियों का रजिस्ट्रेशन होने लगा, लेकिन पिस्टल खराब होने के कारण 10 मीटर शूटिंग रेंज में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देना मुश्किल हो रहा था. खिलाड़ी अपने नंबर का इंतजार करते-करते घर चले जा रहे थे. ऐसे में खिलाड़ियों के लिए कोच हिमांशु में खुद की दो पिस्टल देकर खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देना शुरू करवाया. 25 मीटर शूटिंग रेंज के लिए खिलाड़ियों को दिल्ली जाकर प्रशिक्षण लेना पड़ता है.

खिलाड़ियों ने बताया कि अभी तो कोरोना वायरस वजह से खिलाड़ियों की संख्या कम है. सीखने वाले खिलाड़ी भी बहुत अभी कम रहे हैं, लेकिन फिर भी 15 से 20 खिलाड़ी शूटिंग सीखने के लिए आते हैं. 2 पिस्टल होने की वजह से घंटो-घंटो बैठकर खिलाड़ियों को इंतजार करना पड़ता है. कोच ने बताया कि राइफल भी उनके पास से एक है और सीखने वाले खिलाड़ी 2, लेकिन इसके बावजूद उन्हें 2-2 घंटे इंतजार करना पड़ता है. जबकि स्टेडियम में प्रशिक्षण देने का टाइम दोपहर 2 से 6 का है.

जानकारी देते निशानेबाज खिलाड़ी.

खिलाड़ियों ने बताया कि एक पिस्टल 1 लाख 80 हजार की आती है. ऐसे में एक मध्यम वर्ग के खिलाड़ी के लिए इतनी महंगी पिस्टल खरीद पाना संभव नहीं है. वहीं राइफल की कीमत 2-3 लाख की है और खराब पिस्टल को बनवाने का खर्च 80 हजार रुपये आता है. ऐसे में इतनी महंगी पिस्टल खरीद कर खिलाड़ियों का खेलना बहुत ही मुश्किल है.

बजट के अभाव में नहीं मिल रही कोई सुविधा

कोच ने बताया कि उन्होंने बहुत समय पहले डीएम प्रभु नारायण सिंह को पिस्टल खराब होने की जानकारी दी थी. 2 नई पिस्टल और 1 नई राइफल खरीदने को लेकर पत्र भी दिया था, लेकिन डीएम ने सारा बजट कोरोना काल में खत्म होने की बात कहकर सवाल से पल्ला झाड़ लिया.

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