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गोरखपुर: राप्ती नदी की धारा मोड़े जाने से ग्रमीणों ने किया विरोध

जनपद में करजही गांव के लोग राप्ती नदी की धारा मोड़े जाने को लेकर विरोध कर रहे हैं. ऐसे में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने राप्ती नदी की समसया को लेकर मुख्यमंत्री से निवेदन किया कि नदियों की आजादी न छीने.

जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने राप्ती नदी की समसया को लेकर मुख्यमंत्री से किया निवेदन
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Published : Apr 24, 2019, 8:54 AM IST

गोरखपुर: पिछले कई दिनों से राप्ती नदी के किनारे बसे करजही गांव के लोग नदी की धारा मोड़े जाने का विरोध कर रहे हैं. ऐसे में लोगों का कहना है कि अगर नदी की धारा मुड़ती है तो दर्जनों गांव बंजर हो जाएंगे. सीथ ही यहां के हजारों लोग भुखमरी के शिकार होंगे. जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले 2015 में पानी के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित जल पुरुष के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह लोगों के बीच पहुंचे और वहां पर जल संसद का गठन किया.

जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने राप्ती नदी की समसया को लेकर मुख्यमंत्री से किया निवेदन

इस दौरान उन्होंने जल संवाद किया जिसमे पर्यावरण, जल संरक्षण आदि मुद्दे पर चर्चा की गई. इस दौरान संसद में 3 प्रस्ताव भी पारित किए गए. वहीं ग्रामीणों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नदियों की आजादी न छीने नहीं तो जनता उनकी आजादी छीन लेगी. यूपी में इस बार 27 जिले सूखाग्रस्त हैं जिनके पास अपना पानी नहीं है. भारत में 365 जिले सूखाग्रस्त हैं और 17 राज्य सूखे की चपेट में है. किसी भी राजनीतिक दल के घोषणापत्र में सूखा और बाढ़ से बचने के वादे नहीं किए गए हैं.

मैं मुख्यमंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि अगर आप को आजादी चाहिए तो नदियों को भी आजादी चाहिए. नदीयों को आप विकास के नाम पर मारना चाहते हैं, वह विनाश का बड़ा कारण बनेगी. हमारा देश बाढ़ और सूखे से जूझ रहा है. राप्ती नदी को लेकर संसद में 3 बड़े महत्वपूर्ण फैसले हुए हैं.

-राजेन्द्र सिंह, जल पुरुष, नोबेल अवार्ड से सम्मानित

गोरखपुर: पिछले कई दिनों से राप्ती नदी के किनारे बसे करजही गांव के लोग नदी की धारा मोड़े जाने का विरोध कर रहे हैं. ऐसे में लोगों का कहना है कि अगर नदी की धारा मुड़ती है तो दर्जनों गांव बंजर हो जाएंगे. सीथ ही यहां के हजारों लोग भुखमरी के शिकार होंगे. जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले 2015 में पानी के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित जल पुरुष के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह लोगों के बीच पहुंचे और वहां पर जल संसद का गठन किया.

जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने राप्ती नदी की समसया को लेकर मुख्यमंत्री से किया निवेदन

इस दौरान उन्होंने जल संवाद किया जिसमे पर्यावरण, जल संरक्षण आदि मुद्दे पर चर्चा की गई. इस दौरान संसद में 3 प्रस्ताव भी पारित किए गए. वहीं ग्रामीणों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नदियों की आजादी न छीने नहीं तो जनता उनकी आजादी छीन लेगी. यूपी में इस बार 27 जिले सूखाग्रस्त हैं जिनके पास अपना पानी नहीं है. भारत में 365 जिले सूखाग्रस्त हैं और 17 राज्य सूखे की चपेट में है. किसी भी राजनीतिक दल के घोषणापत्र में सूखा और बाढ़ से बचने के वादे नहीं किए गए हैं.

मैं मुख्यमंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि अगर आप को आजादी चाहिए तो नदियों को भी आजादी चाहिए. नदीयों को आप विकास के नाम पर मारना चाहते हैं, वह विनाश का बड़ा कारण बनेगी. हमारा देश बाढ़ और सूखे से जूझ रहा है. राप्ती नदी को लेकर संसद में 3 बड़े महत्वपूर्ण फैसले हुए हैं.

-राजेन्द्र सिंह, जल पुरुष, नोबेल अवार्ड से सम्मानित

Intro:गोरखपुर। पिछले कई दिनों से राप्ती नदी के किनारे बसे करजही गांव के लोग नदी की धारा मोड़े जाने का विरोध कर रहे हैं, ऐसे में लोगों का कहना है कि यदि नदी की धारा मुड़ती है तो दर्जनों गांव बंजर हो जाएंगे और यहां के हजारो लोग भुखमरी के शिकार होंगे। इनकी पीड़ा को देखते हुए जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले, 2015 ने पानी के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित जल पुरुष के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह इनके बीच पहुंचे और वहां पर जल संसद का गठन किया। इस दौरान उन्होंने जल संवाद किया, जिसमें पर्यावरण, जल संरक्षण आदि मुद्दे पर चर्चा की गई। इस दौरान संसद में 3 प्रस्ताव भी पारित किए, वहीं ग्रामीणों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नदियों की आजादी ना छीने, नहीं तो जनता उनकी आजादी छीन लेगी।


Body:इस दौरान मीडिया से बात करते हुए जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने बताया कि मैंने किसी भी राजनीतिक दल के घोषणा पत्र, संकल्प पत्र कई बार पढ़ा है। किसी भी संकल्प पत्र में लोगों के जीवन, जीविका, जमीन से जुड़े हुए सवाल नहीं है, ना पानी का सवाल है, ना सेहत का सवाल है और ना ही शिक्षा का सवाल है। ऐसा लगता है कि यह जो घोषणा पत्र है, वह केवल वोट के लिए भ्रम फैलाने का काम करते हैं। जबकि घोषणा पत्र इस लिए बनाया जाता है, कि राजनेता हमसे वोट मांगता है और उसके बदले लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करेगा। इसलिए संकल्प लिया जाता है, मुझे लगता है कि सारे राजनीतिक दल सत्ता को कब्जाने का काम कर रही है, समाज का भला हो इसके लिए नहीं सोच रहे।

हमने पूरे देश में पिछले 9 महीने में जनता का प्रतिबद्धता पत्र तैयार किया है, इस प्रतिबद्धता में जनता ने जिस तरह के सवाल उठाए हैं। उसमें तीन छोटी बातें आपके सामने रखना चाहता हूं भारत की जनता क्या चाहती है, मानवता और प्रकृति इन दोनों को बराबर अधिकार, नदियों का बराबर संरक्षण होना चाहिए। जिससे लोगों को जीने के लिए पानी भी मिल जाए और नदियां साफ-सुथरी होंगी तो नदी के किनारे घूमने का आनंद भी मिलेगा। दूसरा उन्होंने कहा कि यदि विकास के नाम पर ऐसा विनाश चलता रहा तो यह धरती अकाल और बाढ़ से नष्ट हो जाएगी। इसलिए इसको रोकने की जरूरत है, कोई भी राजनीतिक दल अपनी घोषणा पत्र में यह नहीं लिख रहा है कि यूपी में इस बार 27 जिले सूखाग्रस्त है जिनके पास अपना पानी नहीं है। भारत में 365 जिले सूखाग्रस्त है और 17 राज्य सूखे की चपेट में है। किसी भी राजनीतिक दल के घोषणापत्र में सूखा और बाढ़ से बचने के वादे नहीं किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी नदियों की आजादी बरकरार रहने दीजिए, यदि आप को आजादी चाहिए तो नदियों को भी आजादी चाहिए। नदीयो को आप विकास के नाम पर मारना चाहते हैं, वह विनाश का बड़ा कारण बनेगी। इसलिए इंजीनियरों के चक्कर में मत आइए इंजीनियर ऐसे ही विकास के नाम पर विनाश करते आ रहे हैं और उसी के कारण हमारा देश बाढ़ और सूखा से जूझ रहा है। हमारी राप्ती नदी कि संसद में 3 बड़े महत्वपूर्ण फैसले हुए हैं एक तो सर्वसम्मति से लोगों ने कहा है कि हम जब तक जिंदा हैं राप्ती नदी को मरने नहीं देंगे, आखिरी दम तक हम राप्ती नदी की संसद बनाकर इस लड़ाई को जारी रखेंगे और तीसरा कहां है जो सरकार ने जो भी कागजी कार्रवाई की है उस कागजी कार्रवाई को नष्ट कराने तक यह संसद काम करती रहेगी। वहां के लोगों ने कहा है कि हमारे नदियों की आजादी छीन कर नदियों को मारना है, उसको हम वोट नहीं देंगे, हम चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

बाइट - राजेन्द्र सिंह, जल पुरुष- नोबेल अवार्ड से सम्मानित



निखिलेश प्रताप
गोरखपुर
9453623738


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