गोरखपुर: पिछले कई दिनों से राप्ती नदी के किनारे बसे करजही गांव के लोग नदी की धारा मोड़े जाने का विरोध कर रहे हैं. ऐसे में लोगों का कहना है कि अगर नदी की धारा मुड़ती है तो दर्जनों गांव बंजर हो जाएंगे. सीथ ही यहां के हजारों लोग भुखमरी के शिकार होंगे. जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले 2015 में पानी के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित जल पुरुष के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह लोगों के बीच पहुंचे और वहां पर जल संसद का गठन किया.
इस दौरान उन्होंने जल संवाद किया जिसमे पर्यावरण, जल संरक्षण आदि मुद्दे पर चर्चा की गई. इस दौरान संसद में 3 प्रस्ताव भी पारित किए गए. वहीं ग्रामीणों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नदियों की आजादी न छीने नहीं तो जनता उनकी आजादी छीन लेगी. यूपी में इस बार 27 जिले सूखाग्रस्त हैं जिनके पास अपना पानी नहीं है. भारत में 365 जिले सूखाग्रस्त हैं और 17 राज्य सूखे की चपेट में है. किसी भी राजनीतिक दल के घोषणापत्र में सूखा और बाढ़ से बचने के वादे नहीं किए गए हैं.
मैं मुख्यमंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि अगर आप को आजादी चाहिए तो नदियों को भी आजादी चाहिए. नदीयों को आप विकास के नाम पर मारना चाहते हैं, वह विनाश का बड़ा कारण बनेगी. हमारा देश बाढ़ और सूखे से जूझ रहा है. राप्ती नदी को लेकर संसद में 3 बड़े महत्वपूर्ण फैसले हुए हैं.
-राजेन्द्र सिंह, जल पुरुष, नोबेल अवार्ड से सम्मानित