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पीएम के संसदीय क्षेत्र में फ्लॉप हो रहे 'जन औषधि केंद्र', मरीज लगा रहे चक्कर

वाराणसी में जन औषधि केंद्र में आने वाले लोग दवाइयों के अभाव से जूझ रहे हैं. मार्च 2017 में शुरू हुई भारत सरकार की जन औषधि केंद्र योजना बुरी तरह फ्लॉप हो रही है. वहीं केन्द्रों पर दवा नहीं मिलने की वजह से लोगों को प्राइवेट दुकानों से दोगुने दाम पर खरीदनी पड़ रही है.

जन औषधि केंद्र योजना को लग रहा पलीता.
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Published : Feb 26, 2019, 3:21 PM IST

वाराणसी : प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजनाओं को उन्हीं के संसदीय क्षेत्र में जबरदस्त पलीता लग रहा है. मार्च 2017 में शुरू हुई भारत सरकार की जन औषधि केंद्र योजना बुरी तरह फ्लॉप हो रही है. वाराणसी में कबीर चौरा मंडलीय अस्पताल और दीनदयाल जिला अस्पताल जैसे 10 केंद्रों पर जन औषधि केंद्र खोल तो दिए गए, लेकिन यहां मिलने वाली सुविधाएं बस कागजों पर ही है. आम आदमी को यहां से किसी भी सुविधा की उम्मीद तक नहीं है.

जन औषधि केंद्र योजना को लग रहा पलीता.

यूं तो केंद्र सरकार ने जन औषधि केंद्र खोलने के बाद बड़े-बड़े दावे किए थे, महंगी से महंगी दवा को इन केंद्रों पर कम से कम दाम में उपलब्ध कराने के वादे किए गए थे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी को जन औषधि केंद्रों की सौगात देते हुए खुद कहा था कि अब आम आदमियों को बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज करने के लिए दवा कम से कम रुपए में मिलेगी.

केन्द्रों पर नहीं मौजूद दवाइयां
आज हालात यह है कि आम आदमी इन केंद्रों पर इस आशा में जाता तो है कि उन्हें दवा मिल जाएगी पर इन केंद्रों पर खुद दवा के स्टॉक उपलब्ध नहीं है. जन औषधि केंद्र में बहुत सी दवाएं ऐसी हैं जो कभी पहुंच ही नहीं पाती हैं. लंबी कतारों में खड़े मरीजों के परिजन और खुद मरीज भी अपना नंबर आने का इंतजार करते हैं और काउंटर पर पहुंचकर उन्हें लिखी गई दवाओं में से एक या दो दवा देकर यह कह दिया जाता है कि केंद्रों में बाकी दवाई मौजूद नहीं है.

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दवाओं की सप्लाई हुई कम
खुद जन औषधि केंद्र में दवा देने वाले कर्मचारी बताते हैं कि दवाओं की लिस्ट कई बार भेजी जाती तो है पर सप्लाई कम होने के कारण या तो दवाएं नहीं पहुंच पाती या फिर जो केंद्रों तक पहुंचती है, वह बहुत कम होती है. कर्मचारियों को खुद इस बात की जानकारी है कि मरीजों को तकलीफ उठानी पड़ रही है, लेकिन उनके भी हाथ बंधे हुए हैं. उनका कहना है कि जब तक दवाएं केंद्रों में पहुंचेंगी नहीं वो मरीजों को उपलब्ध नहीं करा पाएंगे.

फ्लॉप हो रही जन औषधिकेन्द्र योजना
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2017 में अपने वाराणसी दौरे के दौरान दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल, मंडलीय अस्पताल, मानसिक अस्पताल और रामनगर अस्पताल समेत 10 स्वास्थ्य केंद्रों में जन औषधि केंद्र की सौगात दी थी और यह दावा किया था कि कैंसर जैसी बड़ी से बड़ी बीमारियों की दवाएं भी यहां कम से कम दामों में उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन यह दावे सिर्फ कागजी रूप में ही सामने आ रहे हैं. धरा स्थल पर कोई भी दावा काम नहीं कर रहा और आम लोगों को आज भी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है.

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वाराणसी : प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजनाओं को उन्हीं के संसदीय क्षेत्र में जबरदस्त पलीता लग रहा है. मार्च 2017 में शुरू हुई भारत सरकार की जन औषधि केंद्र योजना बुरी तरह फ्लॉप हो रही है. वाराणसी में कबीर चौरा मंडलीय अस्पताल और दीनदयाल जिला अस्पताल जैसे 10 केंद्रों पर जन औषधि केंद्र खोल तो दिए गए, लेकिन यहां मिलने वाली सुविधाएं बस कागजों पर ही है. आम आदमी को यहां से किसी भी सुविधा की उम्मीद तक नहीं है.

जन औषधि केंद्र योजना को लग रहा पलीता.

यूं तो केंद्र सरकार ने जन औषधि केंद्र खोलने के बाद बड़े-बड़े दावे किए थे, महंगी से महंगी दवा को इन केंद्रों पर कम से कम दाम में उपलब्ध कराने के वादे किए गए थे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी को जन औषधि केंद्रों की सौगात देते हुए खुद कहा था कि अब आम आदमियों को बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज करने के लिए दवा कम से कम रुपए में मिलेगी.

केन्द्रों पर नहीं मौजूद दवाइयां
आज हालात यह है कि आम आदमी इन केंद्रों पर इस आशा में जाता तो है कि उन्हें दवा मिल जाएगी पर इन केंद्रों पर खुद दवा के स्टॉक उपलब्ध नहीं है. जन औषधि केंद्र में बहुत सी दवाएं ऐसी हैं जो कभी पहुंच ही नहीं पाती हैं. लंबी कतारों में खड़े मरीजों के परिजन और खुद मरीज भी अपना नंबर आने का इंतजार करते हैं और काउंटर पर पहुंचकर उन्हें लिखी गई दवाओं में से एक या दो दवा देकर यह कह दिया जाता है कि केंद्रों में बाकी दवाई मौजूद नहीं है.

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दवाओं की सप्लाई हुई कम
खुद जन औषधि केंद्र में दवा देने वाले कर्मचारी बताते हैं कि दवाओं की लिस्ट कई बार भेजी जाती तो है पर सप्लाई कम होने के कारण या तो दवाएं नहीं पहुंच पाती या फिर जो केंद्रों तक पहुंचती है, वह बहुत कम होती है. कर्मचारियों को खुद इस बात की जानकारी है कि मरीजों को तकलीफ उठानी पड़ रही है, लेकिन उनके भी हाथ बंधे हुए हैं. उनका कहना है कि जब तक दवाएं केंद्रों में पहुंचेंगी नहीं वो मरीजों को उपलब्ध नहीं करा पाएंगे.

फ्लॉप हो रही जन औषधिकेन्द्र योजना
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2017 में अपने वाराणसी दौरे के दौरान दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल, मंडलीय अस्पताल, मानसिक अस्पताल और रामनगर अस्पताल समेत 10 स्वास्थ्य केंद्रों में जन औषधि केंद्र की सौगात दी थी और यह दावा किया था कि कैंसर जैसी बड़ी से बड़ी बीमारियों की दवाएं भी यहां कम से कम दामों में उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन यह दावे सिर्फ कागजी रूप में ही सामने आ रहे हैं. धरा स्थल पर कोई भी दावा काम नहीं कर रहा और आम लोगों को आज भी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है.

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Intro:वाराणसी। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में उन्हीं की बनाई हुई योजनाओं को जबरदस्त पलीता लग रहा है। मार्च 2017 में शुरू हुई भारत सरकार की जन औषधि केंद्र योजना बुरी तरह फ्लॉप हो रही है। वाराणसी में कबीर चौरा मंडलीय अस्पताल और दीनदयाल जिला अस्पताल जैसे 10 केंद्रों पर जन औषधि केंद्र खोल तो दिए गए हैं, लेकिन यहां मिलने वाली सुविधाएं बस कागजों पर ही है। आम आदमी को यहां से किसी भी सुविधा की उम्मीद तक नहीं है। जन औषधि केंद्र में आने वाले लोग दवाइयों के अभाव से जूझ रहे हैं। दवा के पर्चे पर डॉक्टर से लिखवा करके आने के बाद जन औषधि केंद्र में लगी लंबी कतार में खड़े होकर उन्हें यह सुनने को मिलता है कि दवा केंद्रों में भी मौजूद नहीं है और उन्हें प्राइवेट दुकानों से दुगने दाम पर यह दवा खरीदनी पड़ेगी।


Body:VO1: यूं तो केंद्र सरकार ने जन औषधि केंद्र खोलने के बाद बड़े-बड़े दावे किए थे, महंगी से महंगी दवा को इन केंद्रों पर कम से कम दाम में उपलब्ध कराने के वादे किए गए थे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी को जन औषधि केंद्रों की सौगात देते हुए खुद कहा था कि अब आम आदमियों को बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज करने के लिए दवा कम से कम रुपए में मिलेगी। आज हालात यह है कि आम आदमी इन केंद्रों पर इस आशा में जाता तो है कि उन्हें दवाई मिल जाएंगी पर इन केंद्रों पर खुद दवा के स्टॉक उपलब्ध नहीं है। जन औषधि केंद्र में बहुत सी दवाई ऐसी हैं जो कभी पहुंच ही नहीं पाती हैं। लंबी कतारों में खड़े मरीजों के परिजन और खुद मरीज भी अपना नंबर आने का इंतजार करते हैं और काउंटर पर पहुंचकर उन्हें लिखी गई दवाओं में से एक या दो दवा देकर यह कह दिया जाता है कि केंद्रों में बाकी दवाई मौजूद नहीं है। खुद जन औषधि केंद्र मैं दवा देने वाले कर्मचारी बताते हैं कि दवाओं की लिस्ट कई बार भेजी जाती तो है पर सप्लाई कम होने के कारण या तो दवाएं नहीं पहुंच पाती या फिर जो केंद्रों तक पहुंचती है वह बहुत कम होती है। कर्मचारियों को खुद इस बात की जानकारी है कि मरीजों को तकलीफ उठानी पड़ रही है पर उनके भी हाथ बंधे हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक दवाएं केंद्रों में पहुँचेंगी नहीं हम मरीजों को उपलब्ध नहीं करा पाएंगे।

बाइट: जन औषधि केंद्र कर्मचारी


Conclusion:VO2: गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2017 में अपने वाराणसी दौरे के दौरान दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल, मंडलीय अस्पताल, मानसिक अस्पताल और रामनगर अस्पताल समेत 10 स्वास्थ्य केंद्रों में जन औषधि केंद्र की सौगात दी थी और यह दावा किया था कि कैंसर जैसी बड़ी से बड़ी बीमारियों की दवाएं भी यहां कम से कम दामों में उपलब्ध कराई जाएगी। लेकिन यह दावे सिर्फ कागजी रूप में ही सामने आ रहे हैं। धरा स्थल पर कोई भी दावा काम नहीं कर रहा और आम लोगों को आज भी तकलीफ ओं का ही सामना करना पड़ रहा है।

Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
7523863236
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