लखनऊ: लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के छह से ज्यादा दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, लेकिन सभी को हार झेलनी पड़ी. 1977 के बाद इस बार यूपी में कांग्रेस का बेहद बुरा हाल हुआ है. प्रत्याशी हारे हैं तो वहीं कांग्रेस का वोट परसेंटेज का ग्राफ भी नीचे खिसक गया है.
चुनावी मैदान में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को मिली हार
- कांग्रेसी दिग्गजों में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ ही यूपी प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर के अलावा कई बड़ी हस्तियां चुनाव मैदान में ताल ठोक रही थीं.
- सोनिया और राहुल को छोड़ 2014 में कांग्रेस के इन सभी दिग्गजों को मुंह की खानी पड़ी थी.
- 2019 कांग्रेस के लिए और भी बुरा साबित हुआ. इस बार राजनीति के मैदान में राहुल गांधी भी गच्चा खा गए.
- हालांकि सोनिया गांधी ने रायबरेली सीट पर जीत दर्ज करके यूपी में कांग्रेस को क्लीन स्वीप होने से बचा लिया.
- कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भारतीय जनता पार्टी की स्मृति ईरानी ने हराकर यूपी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.
- 2004 से लेकर 2014 तक तीन बार राहुल गांधी अमेठी से जीतते आए हैं.
- कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर 2014 में गाजियाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े थे, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के वीके सिंह से बुरी तरह पराजित हुए.
- इस बार वह फतेहपुर सीकरी से लड़े, लेकिन बुरी तरह हारे.
- कानपुर से तीन बार सांसद रहे श्रीप्रकाश जायसवाल भी कानपुर से चलते बने.
- कांग्रेस के फर्रुखाबाद से प्रत्याशी सलमान खुर्शीद भी हारकर नतमस्तक हो गए.
- धौराहरा से कांग्रेस के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद को पिछले बार की तरह इस बार भी मोदी लहर ले डूबी.
- कुशीनगर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आरपीएन सिंह भी चुनाव हार गए.
- यूपी कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष रहे फैजाबाद से कांग्रेस के प्रत्याशी निर्मल खत्री को भी हार का सामना करना पड़ा.
- उन्नाव सीट पर 2009 में कांग्रेस का पंजा मजबूत करने वाली सांसद अनु टंडन 2014 की तरह इस बार भी मोदी मैजिक के आगे धराशाई हो गईं.
- कांग्रेस के राज्यसभा सांसद संजय सिंह का मेनका गांधी ने काम तमाम कर दिया.
- सहारनपुर से कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद भी मोदी की बोटी बोटी करने का 2014 में बयान देने के बाद पिछले बार की तरह इस बार भी सांसद बनने का सपना ही देखते रह गए.
सोनिया गांधी यूपीए की चेयरपर्सन हैं. उनका बहुत बड़ा कद है. रायबरेली कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. यहां से इंदिरा गांधी जी चुनाव जीतीं. जनता ने अब जो जनादेश दिया है हम उसको स्वीकार करते हैं. अब हम उस पर मंथन करेंगे.
आराधना मिश्रा, विधायक, कांग्रेस.
लाज सोनिया ने राहुल की नहीं बचाई है बल्कि पूरे कांग्रेस की ही इज्जत बचाई है. अमेठी में राहुल हारे तो सच मानिए राहुल गांधी ने वहां पर कोई काम नहीं किया. प्रियंका गांधी आखिरी दिनों में अमेठी गईं, लेकिन वह कारगर साबित नहीं हुआ. राहुल का जनता से भी कोई संपर्क नहीं है और स्मृति ईरानी लगातार पांच साल तक वहां जाती रहीं. अब राहुल वायनाड गए हैं और यकीन मानिए अगर 5 साल वहां भी अमेठी की ही तरह उनका रवैया रहा तो वह वायनाड से भी जीत नहीं पाएंगे.
अतुल चंद्रा, राजनीतिक विश्लेषक.
यूपी में कांग्रेस के सभी प्रत्याशियों की हार हुई, लेकिन यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने अपने बेटे राहुल के साथ ही उन कांग्रेसियों की भी इज्जत यूपी में जाने से थोड़ी सी बचा ली, नहीं तो यूपी भी ऐसा 18वां राज्य बनता जहां पर कांग्रेस एक भी सीट नहीं पाती. यूपी में कांग्रेस का वोटिंग प्रतिशत सिर्फ 6.22 रह गया.