नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने रामपुर की एक विशेष अदालत में समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खान के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को कथित 'उत्पीड़न' के आधार पर उत्तर प्रदेश के बाहर स्थानांतरित करने से बुधवार को इनकार कर दिया. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एस. ए. नज़ीर और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि खान के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को स्थानांतरित करने के लिए अधिक ठोस कारणों की जरूरत है.
खान की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने उनके हवाले से कहा, 'मुझे राज्य में न्याय नहीं मिलेगा. मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है...यह न्यायाधीश के बारे में नहीं... यह राज्य के बारे में है. राज्य में कहीं भी स्थिति ऐसी ही रहेगी.' पीठ ने कहा, 'हमें कोई मामला स्थानांतरित करने के लिए और ठोस कारण चाहिए होते हैं. बहरहाल, हम आपको इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाने की अनुमति देते हैं.'
समाजवादी पार्टी के नेता ने रामपुर में एक विशेष सुनवाई अदालत में उनके खिलाफ चल रहे कई आपराधिक मामलों को उत्तर प्रदेश के बाहर स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था. खान को हाल ही में आपत्तिजनक भाषण से संबंधित एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया था और राज्य विधानसभा में एक विधायक के रूप में उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
वकील कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि राज्य में उनके (खान ) खिलाफ दर्ज सैकड़ों प्राथमिकियों से खान को परेशान किया जा रहा है. उन्होंने तर्क दिया कि पुलिस द्वारा उनके खिलाफ जाली दस्तावेज पेश किए जा रहे थे और ट्रायल कोर्ट उनकी आपत्तियों पर विचार किए बिना मामले में आगे बढ़ रही है.
हालांकि, पीठ इन कारणों को मामलों को ट्रांसफर करने के लिए पर्याप्त नहीं माना. खंडपीठ ने कहा कि अगर खान किसी आदेश से असंतुष्ट हैं, तो वह इसे उच्च न्यायालयों के समक्ष चुनौती दे सकते हैं. पीठ ने कहा कि एक गलत आदेश पूर्वाग्रह का अनुमान लगाने और मुकदमे को राज्य से बाहर ट्रांसफर करने का आधार नहीं हो सकता है.
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(एक्सट्रा इनपुट भाषा)