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जीएसटी के ढांचे को युक्तिसंगत बनाना सरकार के एजेंडे में : मुख्य आर्थिक सलाहकार

जीएसटी पर चर्चा करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के वी सुब्रमणियम ने कहा कि सरकार जीएसटी दरों के ढांचे को युक्तिसंगत बनाने पर काम करेगी. पढ़ें पूरी खबर...

मुख्य आर्थिक सलाहकार
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Published : Jul 29, 2021, 6:00 PM IST

नई दिल्ली : मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के वी सुब्रमणियम ने बृहस्पतिवार को कहा कि जीएसटी दरों के ढांचे को युक्तिसंगत बनाना सरकार के एजेंडे में है और निश्चित रूप से यह होने जा रहा है.

उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक जीएसटी का सवाल है तीन दरों वाला ढांचा काफी महत्वपूर्ण है और उल्टे शुल्क ढांचे (तैयार उत्पादों के मुकाबले कच्चे माल पर अधिक आयात शुल्क) को भी ठीक करने की जरूरत है.

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) जुलाई 2017 में अमल में आया. इसमें उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट समेत एक दर्जन से अधिक केंद्रीय और राज्य करों को समाहित किया गया है. फिलहाल इस कर व्यवस्था में पांच दरें...0.25 प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत... हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या जीएसटी के तहत दरों की संरचना को युक्तिसंगत करने की जरूरत है, सुब्रमणियत ने कहा, ''मुझे लगता है कि यह निश्चित रूप से होने जा रहा है. मूल योजना तीन-दरों वाली संरचना की थी....'

ज्यादातर आम उपयोग की वस्तुओं को जीएसटी से छूट दी गयी है जबकि विलास और समाज/स्वास्थ्य की दृष्टि से अहितकर वस्तुओं पर दर सर्वोंच्च 28 प्रतिशत है.

उद्योग मंडल एसोचैम के 'ऑनलाइन' आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ''जीएसटी, जिस तरह से वास्तव में पांच दरों के साथ बनाया गया था, मूल रूप से उत्कृष्ट था क्योंकि अब हम जीएसटी के तहत प्राप्त राशि पर उसका प्रभाव देख रहे हैं ... नीति निर्माताओं को वास्तव में व्यावहारिक होने के लिए श्रेय दिया जाना चाहिए....'

सीईए ने कहा, तीन स्तरीय ढांचा निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है और उल्टा शुल्क ढांचा भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जिसे ठीक करने की जरूरत है. मुझे लगता है कि सरकार की इस पर नजर है और जल्द ही इस संबंध में कुछ देखने को मिल सकता है.

पढ़ें :- उम्मीद है कि अमेरिका एवं यूरोप बेलारूस पर नए प्रतिबंध लगाएंगे : विपक्ष की नेता

उल्लेखनीय है कि आठ महीनों में पहली बार जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से नीचे रहा. इसका कारण कोविड महामारी की दूसरी लहर और उसकी रोकथाम के लिये विभिन्न राज्यों में लगायी गयी पाबंदियां थी. इससे कारोबार और अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा.

इस दौरान जीएसटी संग्रह 92,849 करोड़ रुपये रहा जो 10 महीने अगस्त 2020 के बाद सबसे कम है जबकि यह 86,449 करोड़ रुपये था.

सुब्रमणियम ने अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिये वित्तीय क्षेत्र के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि भारत को वैश्विक आकार के और बैंकों की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन बैंक क्षेत्र में इस स्तर के हिसाब से अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है. घरेलू स्तर पर कुछ बैंक बड़े हो सकते हैं लेकिन यह वैश्विक स्तर पर शीर्ष 50 की सूची में शामिल होने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) 100 बैंकों की वैश्विक सूची में एकमात्र घरेलू बैंक है, जो 55वें स्थान पर है. सूची में चीन के 18 बैंक जबकि अमेरिका के 12 बैंक हैं.

इस अवसर पर सेबी के पूर्णकालिक सदस्य जी महालिंगम ने कहा कि 'क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप' (सीडीएस) यानी कर्ज चूक अदला-बदली बाजार विकसित करने से कॉरपोरेट ऋण बाजार को मजबूत करने में मदद मिल सकती है.

'क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप' बाजार एक ऐसा वित्तीय डेरिवेटिव या अनुबंध वाला बाजार है जिसमें निवेशकों को अपने कर्ज जोखिम को दूसरे निवेशक से बदलने की अनुमति होती है.

उन्होंने कहा, हम अपने स्तर पर पूरा प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जहां तक ​​सीडीएस का संबंध है, वहां बहुत सी बाधाएं हैं. यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां हमें काम करने की जरूरत है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के वी सुब्रमणियम ने बृहस्पतिवार को कहा कि जीएसटी दरों के ढांचे को युक्तिसंगत बनाना सरकार के एजेंडे में है और निश्चित रूप से यह होने जा रहा है.

उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक जीएसटी का सवाल है तीन दरों वाला ढांचा काफी महत्वपूर्ण है और उल्टे शुल्क ढांचे (तैयार उत्पादों के मुकाबले कच्चे माल पर अधिक आयात शुल्क) को भी ठीक करने की जरूरत है.

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) जुलाई 2017 में अमल में आया. इसमें उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट समेत एक दर्जन से अधिक केंद्रीय और राज्य करों को समाहित किया गया है. फिलहाल इस कर व्यवस्था में पांच दरें...0.25 प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत... हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या जीएसटी के तहत दरों की संरचना को युक्तिसंगत करने की जरूरत है, सुब्रमणियत ने कहा, ''मुझे लगता है कि यह निश्चित रूप से होने जा रहा है. मूल योजना तीन-दरों वाली संरचना की थी....'

ज्यादातर आम उपयोग की वस्तुओं को जीएसटी से छूट दी गयी है जबकि विलास और समाज/स्वास्थ्य की दृष्टि से अहितकर वस्तुओं पर दर सर्वोंच्च 28 प्रतिशत है.

उद्योग मंडल एसोचैम के 'ऑनलाइन' आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ''जीएसटी, जिस तरह से वास्तव में पांच दरों के साथ बनाया गया था, मूल रूप से उत्कृष्ट था क्योंकि अब हम जीएसटी के तहत प्राप्त राशि पर उसका प्रभाव देख रहे हैं ... नीति निर्माताओं को वास्तव में व्यावहारिक होने के लिए श्रेय दिया जाना चाहिए....'

सीईए ने कहा, तीन स्तरीय ढांचा निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है और उल्टा शुल्क ढांचा भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जिसे ठीक करने की जरूरत है. मुझे लगता है कि सरकार की इस पर नजर है और जल्द ही इस संबंध में कुछ देखने को मिल सकता है.

पढ़ें :- उम्मीद है कि अमेरिका एवं यूरोप बेलारूस पर नए प्रतिबंध लगाएंगे : विपक्ष की नेता

उल्लेखनीय है कि आठ महीनों में पहली बार जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से नीचे रहा. इसका कारण कोविड महामारी की दूसरी लहर और उसकी रोकथाम के लिये विभिन्न राज्यों में लगायी गयी पाबंदियां थी. इससे कारोबार और अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा.

इस दौरान जीएसटी संग्रह 92,849 करोड़ रुपये रहा जो 10 महीने अगस्त 2020 के बाद सबसे कम है जबकि यह 86,449 करोड़ रुपये था.

सुब्रमणियम ने अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिये वित्तीय क्षेत्र के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि भारत को वैश्विक आकार के और बैंकों की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन बैंक क्षेत्र में इस स्तर के हिसाब से अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है. घरेलू स्तर पर कुछ बैंक बड़े हो सकते हैं लेकिन यह वैश्विक स्तर पर शीर्ष 50 की सूची में शामिल होने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) 100 बैंकों की वैश्विक सूची में एकमात्र घरेलू बैंक है, जो 55वें स्थान पर है. सूची में चीन के 18 बैंक जबकि अमेरिका के 12 बैंक हैं.

इस अवसर पर सेबी के पूर्णकालिक सदस्य जी महालिंगम ने कहा कि 'क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप' (सीडीएस) यानी कर्ज चूक अदला-बदली बाजार विकसित करने से कॉरपोरेट ऋण बाजार को मजबूत करने में मदद मिल सकती है.

'क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप' बाजार एक ऐसा वित्तीय डेरिवेटिव या अनुबंध वाला बाजार है जिसमें निवेशकों को अपने कर्ज जोखिम को दूसरे निवेशक से बदलने की अनुमति होती है.

उन्होंने कहा, हम अपने स्तर पर पूरा प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जहां तक ​​सीडीएस का संबंध है, वहां बहुत सी बाधाएं हैं. यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां हमें काम करने की जरूरत है.

(पीटीआई-भाषा)

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