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Sri Ramanujacharya Millennium Celebration: एकता के संदेश के साथ होगा सहस्राब्दी समारोह - ओम नमो नारायणाय के पवित्र श्लोक से प्रतिध्वनित

महान संकल्प के साथ ही हाल के दिनों में किसी अन्य की तरह यह एक आध्यात्मिक घटना (it is a spiritual event) है. हर तरफ मूर्तिकला का सौंदर्य. दुखती आंखों को हरा आवरण. भावपूर्ण अनुष्ठानों के बीच 108 मॉडल मंदिरों से घिरी 216 फीट ऊंची मूर्ति. वास्तुकला की सरलता के साथ ही देश भर के 5000 पुजारी श्री रामानुज के सहस्राब्दी समारोह में (5000 priests will attend the millennium celebrations of Sri Ramanuja) भाग लेंगे. इसकी तैयारियां जोरों पर हैं.

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प्रतीकात्मक फोटो
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Published : Jan 30, 2022, 6:34 PM IST

हैदराबाद : एक महान संकल्प और एकता के संदेश के साथ श्री रामानुजाचार्य का सहस्राब्दी समारोह (Millennium Celebrations of Sri Ramanujacharya) होगा. दिव्य साकेत ओम नमो नारायणाय के पवित्र श्लोक से प्रतिध्वनित (Resonates from the holy verses of Om Namo Narayanaya) होंगे. मुचिन्तल में श्रीराम नगरम ऐसे कई कार्यक्रमों का केंद्र है.

पवित्र स्मारक में प्रवेश करने पर एक अष्टकोणीय कमल के आकार में 45 फीट ऊंचा फव्वारा (45 feet high fountain in the shape of octagonal lotus) है. फव्वारा 25 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. इसका निर्माण इस तरह से किया गया है कि भक्त कमल की पंखुड़ियों के बीच रामानुज का अभिषेक करने वाले जल को महसूस करें. रामानुज के भजन एक साथ गतिशील फव्वारे से बजाए जाएंगे.

आयोजकों ने कहा कि सूर्यास्त के बाद रामानुज द्वारा बताए गए समानता के सिद्धांतों को संगीत के साथ 3डी शो के जरिए बजाया जाएगा. प्रतिमा को अंतिम रूप देने के लिए लगभग 1200 मूर्तिकार और कारीगर चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं. राजस्थान की गुलाबी ग्रेनाइट से बनी मूर्तियां दर्शकों को खूब लुभा रही हैं. रामानुज के जीवन की घटनाओं को दर्शाने वाला एक संग्रहालय भी स्थापित किया गया है. परिसर में स्थापित मिनी गार्डन ने सुंदरता में चार चांद लगा दिए. बगीचों में अलग-अलग रंगों के लाखों पौधे लगे हैं. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे से पहले मुचिन्तल के आसपास की सड़कों को फूलों के पौधों से सजाया जा रहा है.

एकता के संदेश के साथ होगा सहस्राब्दी समारोह

पवित्र स्थान में प्रत्येक निर्माण 9 अंक से जुड़ा हुआ है, जिसे अंतहीन माना जाता है. भद्रवेदी नामक समानता की मूर्ति का आधार 54 फीट ऊंचा है, जिसमें 27 फीट ऊंची कमल की पंखुड़ियां और 3 पंक्तियों में 36 हाथी हैं. प्रतिमा की प्रत्येक आंख 4.5 फीट ऊंची है. पानी का फव्वारा 36 फीट ऊंचा है जिसमें 9 मेहराबदार सीढ़ियां हैं. मूर्ति स्वयं 108 फीट ऊंची है जबकि त्रिशूल 27 फीट ऊंचा है. दिव्यदेस नामित 108 मॉडल मंदिरों का निर्माण किया गया है. 144 यज्ञशालाओं और 1035 होमकुंडों का भी निर्माण किया गया.

स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी दुनिया में किसी बैठे हुए व्यक्ति की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा बन जाएगी. गर्भगृह के अंदर खंभों पर नक्काशी प्रभावशाली है. मूर्ति के पास 120 किलो वजनी सोने से बनी श्री रामानुज की एक और मूर्ति होगी. इस मूर्ति को नियमित पूजा के लिए वेदी पर रखा जाएगा. प्रतिमा के चारों ओर इंद्रधनुषी रोशनी की व्यवस्था की जा रही है. देश भर से 5000 पुजारी श्री रामानुजाचार्य के सहस्राब्दी समारोह में भाग लेंगे. 12 दिवसीय उत्सव के एक भाग के रूप में सार्वभौमिक शांति के लिए 144 यज्ञशालाओं में सहस्रा कुंदत्माका महाविष्णु यज्ञ किया जाएगा. 36 यज्ञशालाओं का एक समूह 4 दिशाओं में बनाया गया है. कुल 144 यज्ञशालाओं में से 114 यज्ञ अनुष्ठानों के लिए हैं.

शेष संकल्प मंडपम, अंकुररपन मंडपम, नित्यपरायण मंडपम और दो इश्तिसला हैं. इन यज्ञशालाओं में 1035 होमकुंड बनाए जा रहे हैं. 12 दिनों के उत्सव के दौरान हर दिन, पवित्र मंत्र ओम नमो नारायणाय का एक करोड़ बार जाप किया जाएगा. 2 लाख किलो गाय के घी का उपयोग वैदिक अग्नि अनुष्ठानों के लिए किया जाएगा. राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश की देशी गायों से शुद्ध घी लाया जा रहा है. सहस्र कुण्डत्माका यज्ञ पीपल, अंजीर और आम के पेड़ों की जलाऊ लकड़ी और गाय के गोबर से बनी टहनियों से किया जाएगा.

आयोजकों का कहना है कि यागा से निकलने वाला धुआं बैक्टीरिया और वायरस को नष्ट कर देगा. प्रत्येक होमकुंड में 3 पुजारी वैदिक पाठ करेंगे. एक मुख्य पुजारी या उपद्रष्टा अनुष्ठान की देखरेख करेंगे. केंद्रीय स्थल पर वैदिक, महाकाव्य और अर्ध-ऐतिहासिक पाठों का आयोजन किया जाएगा. श्रद्धालुओं के लिए यज्ञशालाओं के बाहर विशेष व्यवस्था की जा रही है. अनुष्ठान करने वाले पुजारियों को छोड़कर किसी को भी यज्ञशाला में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है. अनुष्ठान दिन में दो बार सुबह और शाम को होगा.

यह भी पढ़ें- Gandhi Smriti Prathna Sabha : बापू की याद में सर्वधर्म प्रार्थना सभा, पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

चिन्ना जीयर स्वामी को यकीन है कि सहस्राब्दी समारोह इतिहास में श्री रामानुज के दर्शन को सुनिश्चित करेंगे. उन्होंने कहा कि रामानुज की विचारधारा अगले हजार वर्षों तक भी प्रासंगिक रहेगी. उन्होंने कहा कि समाज में भेदभाव को समाप्त करने के लिए समानता के ऐसे विचार महत्वपूर्ण हैं. उन्हें उम्मीद है कि सेंटर ऑफ इक्वलिटी दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित होगी.

हैदराबाद : एक महान संकल्प और एकता के संदेश के साथ श्री रामानुजाचार्य का सहस्राब्दी समारोह (Millennium Celebrations of Sri Ramanujacharya) होगा. दिव्य साकेत ओम नमो नारायणाय के पवित्र श्लोक से प्रतिध्वनित (Resonates from the holy verses of Om Namo Narayanaya) होंगे. मुचिन्तल में श्रीराम नगरम ऐसे कई कार्यक्रमों का केंद्र है.

पवित्र स्मारक में प्रवेश करने पर एक अष्टकोणीय कमल के आकार में 45 फीट ऊंचा फव्वारा (45 feet high fountain in the shape of octagonal lotus) है. फव्वारा 25 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. इसका निर्माण इस तरह से किया गया है कि भक्त कमल की पंखुड़ियों के बीच रामानुज का अभिषेक करने वाले जल को महसूस करें. रामानुज के भजन एक साथ गतिशील फव्वारे से बजाए जाएंगे.

आयोजकों ने कहा कि सूर्यास्त के बाद रामानुज द्वारा बताए गए समानता के सिद्धांतों को संगीत के साथ 3डी शो के जरिए बजाया जाएगा. प्रतिमा को अंतिम रूप देने के लिए लगभग 1200 मूर्तिकार और कारीगर चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं. राजस्थान की गुलाबी ग्रेनाइट से बनी मूर्तियां दर्शकों को खूब लुभा रही हैं. रामानुज के जीवन की घटनाओं को दर्शाने वाला एक संग्रहालय भी स्थापित किया गया है. परिसर में स्थापित मिनी गार्डन ने सुंदरता में चार चांद लगा दिए. बगीचों में अलग-अलग रंगों के लाखों पौधे लगे हैं. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे से पहले मुचिन्तल के आसपास की सड़कों को फूलों के पौधों से सजाया जा रहा है.

एकता के संदेश के साथ होगा सहस्राब्दी समारोह

पवित्र स्थान में प्रत्येक निर्माण 9 अंक से जुड़ा हुआ है, जिसे अंतहीन माना जाता है. भद्रवेदी नामक समानता की मूर्ति का आधार 54 फीट ऊंचा है, जिसमें 27 फीट ऊंची कमल की पंखुड़ियां और 3 पंक्तियों में 36 हाथी हैं. प्रतिमा की प्रत्येक आंख 4.5 फीट ऊंची है. पानी का फव्वारा 36 फीट ऊंचा है जिसमें 9 मेहराबदार सीढ़ियां हैं. मूर्ति स्वयं 108 फीट ऊंची है जबकि त्रिशूल 27 फीट ऊंचा है. दिव्यदेस नामित 108 मॉडल मंदिरों का निर्माण किया गया है. 144 यज्ञशालाओं और 1035 होमकुंडों का भी निर्माण किया गया.

स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी दुनिया में किसी बैठे हुए व्यक्ति की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा बन जाएगी. गर्भगृह के अंदर खंभों पर नक्काशी प्रभावशाली है. मूर्ति के पास 120 किलो वजनी सोने से बनी श्री रामानुज की एक और मूर्ति होगी. इस मूर्ति को नियमित पूजा के लिए वेदी पर रखा जाएगा. प्रतिमा के चारों ओर इंद्रधनुषी रोशनी की व्यवस्था की जा रही है. देश भर से 5000 पुजारी श्री रामानुजाचार्य के सहस्राब्दी समारोह में भाग लेंगे. 12 दिवसीय उत्सव के एक भाग के रूप में सार्वभौमिक शांति के लिए 144 यज्ञशालाओं में सहस्रा कुंदत्माका महाविष्णु यज्ञ किया जाएगा. 36 यज्ञशालाओं का एक समूह 4 दिशाओं में बनाया गया है. कुल 144 यज्ञशालाओं में से 114 यज्ञ अनुष्ठानों के लिए हैं.

शेष संकल्प मंडपम, अंकुररपन मंडपम, नित्यपरायण मंडपम और दो इश्तिसला हैं. इन यज्ञशालाओं में 1035 होमकुंड बनाए जा रहे हैं. 12 दिनों के उत्सव के दौरान हर दिन, पवित्र मंत्र ओम नमो नारायणाय का एक करोड़ बार जाप किया जाएगा. 2 लाख किलो गाय के घी का उपयोग वैदिक अग्नि अनुष्ठानों के लिए किया जाएगा. राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश की देशी गायों से शुद्ध घी लाया जा रहा है. सहस्र कुण्डत्माका यज्ञ पीपल, अंजीर और आम के पेड़ों की जलाऊ लकड़ी और गाय के गोबर से बनी टहनियों से किया जाएगा.

आयोजकों का कहना है कि यागा से निकलने वाला धुआं बैक्टीरिया और वायरस को नष्ट कर देगा. प्रत्येक होमकुंड में 3 पुजारी वैदिक पाठ करेंगे. एक मुख्य पुजारी या उपद्रष्टा अनुष्ठान की देखरेख करेंगे. केंद्रीय स्थल पर वैदिक, महाकाव्य और अर्ध-ऐतिहासिक पाठों का आयोजन किया जाएगा. श्रद्धालुओं के लिए यज्ञशालाओं के बाहर विशेष व्यवस्था की जा रही है. अनुष्ठान करने वाले पुजारियों को छोड़कर किसी को भी यज्ञशाला में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है. अनुष्ठान दिन में दो बार सुबह और शाम को होगा.

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चिन्ना जीयर स्वामी को यकीन है कि सहस्राब्दी समारोह इतिहास में श्री रामानुज के दर्शन को सुनिश्चित करेंगे. उन्होंने कहा कि रामानुज की विचारधारा अगले हजार वर्षों तक भी प्रासंगिक रहेगी. उन्होंने कहा कि समाज में भेदभाव को समाप्त करने के लिए समानता के ऐसे विचार महत्वपूर्ण हैं. उन्हें उम्मीद है कि सेंटर ऑफ इक्वलिटी दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित होगी.

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