ETV Bharat / bharat

महाराष्ट्र के अस्पतालों में नहीं थम रहे अग्निकांड, फिर गई कोविड मरीजों की जान

महाराष्ट्र के अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं का सिलसिला थम नहीं रहा है. अहमदनगर सिविल अस्पताल में शनिवार को आग लगने से आईसीयू में इलाज करा रहे 11 कोविड मरीजों की मौत हो गई. इससे पहले भी महाराष्ट्र में ऐसे दर्दनाक हादसे सामने आते रहे हैं जब कोविड मरीजों को जान गंवानी पड़ी है.

महाराष्ट्र के अस्पतालों में आग
महाराष्ट्र के अस्पतालों में आग
author img

By

Published : Nov 6, 2021, 7:14 PM IST

मुंबई : महाराष्ट्र के अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं की कड़ी में अहमदनगर के सिविल अस्पताल में लगी आग भी जुड़ गई है जिसमें कोविड-19 मरीजों की मौत हुई है.

अहमदनगर सिविल अस्पताल में शनिवार को आग लगने से आईसीयू में इलाज करा रहे 11 कोविड मरीजों की मौत हो गई. इसी साल 23 अप्रैल को जब कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर चरम पर थी, तब भी मुंबई से 60 किलोमीटर दूर विरार स्थित विजय वल्लभ अस्पताल में आग लगने से 13 कोविड-19 मरीजों की मौत हो गई थी. उस हादसे के समय अस्पताल में कुल 90 कोविड-19 मरीज थे जिनमें से 18 का इलाज आईसीयू में चल रहा था और वह हादसा वातानुकूलन इकाई में धमाके से हुआ था. मरने वालों में छह महिलाएं और आठ पुरुष थे.

26 मार्च : हादसे में 10 की गई थी जान
इसी तरह का एक हादसा इस साल 26 मार्च को मुंबई के पूर्वी उपनगर भांडुप में हुआ जिसमें 10 कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की मौत हो गई थी. आग ड्रीम मॉल में लगी थी जिसे कोविड-19 मरीजों के अस्पताल में तब्दील किया था. आग की लपटें करीब 40 घंटे तक उठती रही थीं. मृतकों में वे मरीज शामिल थे जिन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था.
21 अप्रैल : 24 महीजों की हुई थी मौत
इस साल 21 अप्रैल को नासिक के सिविल अस्पताल में भी ऑक्सीजन टैंक लीक होने के कारण 24 कोविड-19 मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. दरअसल ऑक्सीजन टैंक लीक होने से मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करीब 30 मिनट तक बाधित रही जिससे इस जीवनरक्षक गैस के सहारे सांस ले रहे मरीजों की मौत हो गई.

जनवरी में 10 नवजात की गई थी जान
इस साल अस्पतालों में दर्दनाक हादसों की शुरुआत नौ जनवरी को हुई जब भंडारा के जिला अस्पताल में नवजात देखभाल केंद्र इकाई में 10 शिशुओं की आग लगने से मौत हो गई थी. हादसे के समय उस वार्ड में एक से तीन महीने के उम्र के कुल 17 नवजात भर्ती थे.

जांच के बाद अनुशंसा की गई कि सरकारी अस्पतालों में प्रशिक्षित इंजीनियरों की तैनाती की जानी चाहिए जो मरम्मत आदि कार्यों के लिए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) पर निर्भर हैं. स्वास्थ्य अधिकरियों, इंजीनियरों और अग्निशमन अधिकारियों की छह सदस्यीय समिति ने पाया कि भंडारा जिला जनरल अस्पताल के सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट में आग उन्हें गर्म रखने की प्रणाली और बिजली के तारों की प्रणाली से फैली.

पढ़ें- अहमदनगर : जिला अस्पताल के ICU में लगी आग, 11 की मौत, पीएम मोदी ने दुख जताया
वहीं, 28 अप्रैल को ठाणे के नजदीक मुंब्रा इलाके के काउसा स्थित निजी क्रिटीकेयर हॉस्पिटल में भी आग लगने से चार मरीजों की मौत हो गई थी लेकिन इनमें कोई कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं था.
(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : महाराष्ट्र के अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं की कड़ी में अहमदनगर के सिविल अस्पताल में लगी आग भी जुड़ गई है जिसमें कोविड-19 मरीजों की मौत हुई है.

अहमदनगर सिविल अस्पताल में शनिवार को आग लगने से आईसीयू में इलाज करा रहे 11 कोविड मरीजों की मौत हो गई. इसी साल 23 अप्रैल को जब कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर चरम पर थी, तब भी मुंबई से 60 किलोमीटर दूर विरार स्थित विजय वल्लभ अस्पताल में आग लगने से 13 कोविड-19 मरीजों की मौत हो गई थी. उस हादसे के समय अस्पताल में कुल 90 कोविड-19 मरीज थे जिनमें से 18 का इलाज आईसीयू में चल रहा था और वह हादसा वातानुकूलन इकाई में धमाके से हुआ था. मरने वालों में छह महिलाएं और आठ पुरुष थे.

26 मार्च : हादसे में 10 की गई थी जान
इसी तरह का एक हादसा इस साल 26 मार्च को मुंबई के पूर्वी उपनगर भांडुप में हुआ जिसमें 10 कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की मौत हो गई थी. आग ड्रीम मॉल में लगी थी जिसे कोविड-19 मरीजों के अस्पताल में तब्दील किया था. आग की लपटें करीब 40 घंटे तक उठती रही थीं. मृतकों में वे मरीज शामिल थे जिन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था.
21 अप्रैल : 24 महीजों की हुई थी मौत
इस साल 21 अप्रैल को नासिक के सिविल अस्पताल में भी ऑक्सीजन टैंक लीक होने के कारण 24 कोविड-19 मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. दरअसल ऑक्सीजन टैंक लीक होने से मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करीब 30 मिनट तक बाधित रही जिससे इस जीवनरक्षक गैस के सहारे सांस ले रहे मरीजों की मौत हो गई.

जनवरी में 10 नवजात की गई थी जान
इस साल अस्पतालों में दर्दनाक हादसों की शुरुआत नौ जनवरी को हुई जब भंडारा के जिला अस्पताल में नवजात देखभाल केंद्र इकाई में 10 शिशुओं की आग लगने से मौत हो गई थी. हादसे के समय उस वार्ड में एक से तीन महीने के उम्र के कुल 17 नवजात भर्ती थे.

जांच के बाद अनुशंसा की गई कि सरकारी अस्पतालों में प्रशिक्षित इंजीनियरों की तैनाती की जानी चाहिए जो मरम्मत आदि कार्यों के लिए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) पर निर्भर हैं. स्वास्थ्य अधिकरियों, इंजीनियरों और अग्निशमन अधिकारियों की छह सदस्यीय समिति ने पाया कि भंडारा जिला जनरल अस्पताल के सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट में आग उन्हें गर्म रखने की प्रणाली और बिजली के तारों की प्रणाली से फैली.

पढ़ें- अहमदनगर : जिला अस्पताल के ICU में लगी आग, 11 की मौत, पीएम मोदी ने दुख जताया
वहीं, 28 अप्रैल को ठाणे के नजदीक मुंब्रा इलाके के काउसा स्थित निजी क्रिटीकेयर हॉस्पिटल में भी आग लगने से चार मरीजों की मौत हो गई थी लेकिन इनमें कोई कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं था.
(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.