नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले (Lakhimpur Kheri case) के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) की जमानत याचिका का 'राज्य द्वारा कड़ा विरोध' किया गया था. साथ ही यूपी सरकार ने कहा कि आशीष मिश्रा को हाई कोर्ट द्वारा दी गई जमानत के खिलाफ अपील दायर करने का निर्णय संबंधित अधिकारियों के समक्ष विचार के लिए लंबित है. शीर्ष अदालत ने इस मामले को कल यानी 30 मार्च को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.
उत्तर प्रदेश सरकार का हलफनामा लखीमपुर खीरी कांड के पीड़ितों के परिवारों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के जवाब में आया है. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर प्रदर्शनकारी किसानों को कुचलने और मारने का आरोप है. इस घटना में चार किसानों और तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं समेत आठ लोगों की मौत हुई थी. फिलहाल वह जमानत पर जेल से बाहर हैं. पिछली सुनवाई में पीड़ित परिवारों ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि राज्य द्वारा गवाहों की सुरक्षा से समझौता किया गया है और एक गवाह पर हमला किया गया था और यह कहते हुए धमकी दी गई थी कि अब भाजपा चुनाव जीत गई है, वे सबकुछ देख लेंगे.
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में, यूपी सरकार ने इस आरोप का खंडन किया है और कहा है कि सभी गवाहों की जांच के बाद यह पता चला है कि घटना 'होली के दिन गुलाल को लेकर अचानक हुए विवाद का परिणाम थी.' हलफनामे में कहा गया है कि प्रत्येक गवाह के पास एक सशस्त्र पुलिस गनर है. पीड़ितों के परिवारों के पास एक-एक सशस्त्र गनर है, साथ ही स्थायी सुरक्षा गार्ड और स्थापित सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से निरंतर निगरानी के साथ-साथ उनके आवास पर बैरियर ड्यूटी भी है.
बता दें, इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने पिछले महीने लखीमपुर खीरी कांड मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा का जमानत दी थी. लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा के मामले में आशीष मिश्रा को नौ अक्टूबर की रात गिरफ्तार किया गया था. आशीष पर आरोप है कि बीजेपी के कार्यक्रम का विरोध कर रहे किसानों को कुचलने वाले वाहनों में से एक में वह सवार था.
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