आजमगढ़ : एसडीएम ज्योति मौर्या और आलोक मौर्या के बीच बढ़ी तल्खी से उनके परिवार के लोग भी हैरान और परेशान हैं. इस घटना को लेकर लोग तरह-तरह की चर्चाएं कर रहे हैं. जिले के मेंहनगर इलाके के एक गांव में ज्योति की ससुराल है. शुक्रवार को ईटीवी भारत की टीम यहां पहुंची. बहू का जिक्र सुन कैमरे के सामने ही ज्योति मौर्या के ससुर फूट-फूटकर रोने लगे. कहने लगे इससे अच्छा मृत्यु ही ठीक है, सारा जीवन बेकार हो गया. बेटे ने नमक-रोटी खाकर पढ़ाया, आज बहू ने इसका ये सिला दिया. वहीं परिवार के अन्य सदस्य भी चिंतित नजर आ रहे हैं.
पहले ठीक थे दोनों के बीच के संबंध : दरअसल, मेंहनगर इलाके के बछवल गांव के रहने वाले आलोक मौर्या की शादी 2010 में वाराणसी के चिरईगांव की रहने वाली ज्योति मौर्या से हुई थी. आलोक के पिता राममुरारी मौर्या ने बताया कि 2010 के बाद ज्योति मौर्या ने कठिन परिश्रम कर शिक्षक बनीं. इसके बाद 2016 में पीसीएस अफसर बन गईं. 2016 से लेकर 2022 तक आलोक और ज्योति के संबंध ठीक-ठाक थे. इस दौरान दो बच्चियां भी हुईं. उनका पालन-पोषण भी अच्छे तरीके हो रहा था. इसके बाद 2023 में दोनों के बीच का विवाद लोगों के सामने आ गया. आलोक मौर्या ने यह आरोप लगाया कि उनकी पत्नी ज्योति मौर्या दूसरे व्यक्ति के साथ जीवन यापन करना चाहती हैं. आलोक मौर्य ने विरोध जताया तो ज्योति मौर्या ने पूरे प्रकरण पर ही सवाल खड़े कर दिए.
ज्योति ने उठाया गलत कदम : आलोक के पिता ने बताया कि ज्योति और आलोक के दो बच्चे हैं. ज्योति ने अपने बच्चों का भी ख्याल नहीं किया. उसने गलत कदम उठा लिया. इसका प्रभाव बच्चों पर पड़ेगा. आलोक के चाचा गजराज मौर्या भी दोनों के बिखरते रिश्ते से दुखी हैं. ईटीवी भारत को उन्होंने बताया कि आलोक मौर्या और मुरारी मौर्या ने कड़ी मेहनत से ज्योति को इस पद तक पहुंचाया है, उनका क्या होगा. मैं भी अपनी बहू को आगे पढ़ाना चाहता था लेकिन इस घटना के बाद हिम्मत टूट गई है.
बनारस में हुई थी दोनों की मुलाकात : आलोक के पिता के साथी पूर्व प्रधानाध्यापक दुर्गा अस्थाना ने बताया कि आलोक के चाचा बनारस में सिपाही के पद पर तैनात थे. वहीं पर ज्योति मौर्या के पिता से उनकी मुलाकात हुई. आलोक अपने चाचा के यहां आता-जाता था. दोनों एक दूसरे को पहले से जानते-पहचानते थे. इसके बाद ही दोनों ने शादी की थी. झूठ बोलकर सफाई कर्मी को ग्राम विकास अधिकारी बताकर शादी कराने के सवाल पर कहा कि आलोक के परिवार की ओर से छपवाए गए कार्ड पर कहीं भी आलोक के पद का जिक्र नहीं था. जिस कार्ड पर ग्राम विकास अधिकारी लिखा है, वह कार्ड ज्योति के परिवार ने बांटा था. इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं थी.
सब एक जैसे नहीं होते : गांव की महिलाओं, बहुओं और पुरुषों का कहना है कि ज्योति मौर्या की इस हरकत से निश्चित रूप से बहुओं को पढ़ा रहे लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है, लेकिन सब एक जैसे नहीं होते. हर महिला ज्योति जैसी तो नहीं हो सकती न.
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