रामपुर : 'सात संदूकों में भरकर दफन कर दो नफरतें, आज इंसान को मोहब्बत की जरूरत है बहुत'. मशहूर शायर बशीर बद्र के लिखे ये अल्फाज भाईचारे पर जोर देते हैं. इसकी मिसाल भी अक्सर देखने को मिल जाती है. रामपुर में भी ऐसा ही वाकया सामने आया. एक ही रास्ते से कांवड़ यात्रा और मुहर्रम का जुलूस निकला तो अफसर भी परेशान हो उठे. दोनों को एक रास्ते से गुजारना बेहद चुनौतीपूर्ण था, लेकिन हिंदू और मुस्लिम समाज की आपसी सूझबूझ ने इस मुश्किल को आसान कर दिया. मुस्लिम समाज ने कांवड़ यात्रा को रास्ते से गुजारने के लिए कुछ देर के लिए ताजियों का जुलूस रोक दिया. इसके बाद कांवड़ियों के जत्थे को गुजरने में उनकी मदद भी की. जत्थे के जाने के बाद ताजियों का जुलूस निकाला गया.
मुस्लिम समाज ने आसान कर दिया प्रशासन का काम : मामला रामपुर के मिलक इलाके का है. शनिवार को यहां हिंदू-मुस्लिम एकता की अनोखी मिसाल देखने को मिली. जिस रास्ते से मुहर्रम के ताजियों का जुलूस निकल रहा था, उसी रास्ते पर कावड़ियों का जत्था भी गुजरने लगा. दरअसल, शाम के 5 बजे क्षेत्र से आए ताजिए एक साथ जामा मस्जिद के पास जुटे थे. इस दौरान बरेली के मीरगंज इलाके के सुल्तानपुर गांव निवासी 42 कांवड़ियों का एक जत्था भी मिलक पहुंच गया. रोरा कला जीरो प्वाइंट पर पुलिस ने जत्थे को रोक लिया. प्रशासन ने जत्थे को बाईपास से गुजरने को कहा, लेकिन कांवड़िए जिद पर अड़ गए. इस पर अफसरों ने ताजियादारों से संपर्क किया. अफसरों ने कांवड़ियों को रास्ता देने के लिए कहा. इस पर मुस्लिम समाज के लोगों ने बिना आपत्ति हामी भर दी.
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मुस्कान के साथ किया जत्थे का स्वागत : मुस्लिम समाज के लोगों ने ताजियों के जुलूस को कुछ देर के लिए रोक दिया. इसके बाद मुस्लिम समाज के लोग भी एक तरफ हो गए. कांवड़ियों का जत्था पहुंचने पर उन्होंने अदब से रास्ता दिया. प्रशासन के ड्रोन कैमरे भी इस नजारे को कैद करने के लिए उड़ान भरते रहे. रास्ते से गुजरते समय मुस्लिमों ने मुस्कान के साथ कांवड़ियों के जत्थे का स्वागत किया, बदले में कांवड़ियों ने भी अपने हाव-भाव से उनका इस्तकबाल किया. कुछ मुस्लिम युवक जत्थे का मार्गदर्शन भी करते नजर आए. मामले से जुड़ा एक वीडियो भी सामने आया है. इसमें एक ही रास्ते से ताजियों का जुलूस और कांवड़ियों का जत्था गुजरते नजर आ रहा है.
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