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कांग्रेस का पीएम से सवाल, क्या बिल्कीस बानो के दोषियों की रिहाई पर केंद्र से अनुमति ली गई

गुजरात के बिल्कीस बानो गैंगरेप मामले में उम्रकैद की सजा पाए 11 दोषियों की रिहाई के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं. कांग्रेस ने गुजरात सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि क्या यह कदम उठाने के लिए केंद्र से अनुमति ली गई थी जो अनिवार्य होती है.

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कांग्रेस बिल्कीस बानो मामला
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Published : Aug 17, 2022, 3:11 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस ने गुजरात के बिल्कीस बानो मामले में बलात्कार एवं हत्या के 11 दोषियों की रिहाई के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं. मुख्य विपक्षी पार्टी ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को बताना चाहिए कि क्या राज्य सरकार ने यह कदम उठाने के लिए केंद्र से अनुमति ली थी जो अनिवार्य होती है.

पार्टी के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने कानूनी प्रावधानों का उल्लेख करते हुए यह दावा भी किया कि ऐसे किसी भी मामले में राज्य सरकार अभियुक्तों की रिहाई या क्षमा का निर्णय नहीं ले सकती जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसी ने की हो. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'जिस नीति के पीछे छिपकर गुजरात सरकार कह रही है कि उसने इन 11 बलात्कारियों को रिहाई का आदेश दिया, 1992 की वह नीति 8 मई 2013 को गुजरात सरकार द्वारा समाप्त कर दी गई थी. इसलिए ऐसे किसी भी मामले में राज्य सरकार अभियुक्तों की रिहाई या क्षमा का निर्णय नहीं ले सकती जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसी ने की हो. इस प्रकरण की जांच भी सीबीआई ने की थी.'

खेड़ा ने कहा, 'सीआरपीसी की धारा 435 के तहत राज्य सरकार को केंद्र से अनुमति लेनी होती है. मैं आपको याद दिला दूं जब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहते हुए जयललिता जी ने राजीव गांधी जी के हत्यारों को रिहा करने का फैसला लिया था तब उच्चतम न्यायालय ने क्या आदेश दिया था.' उन्होंने सवाल किया, 'ऐसे में हम केंद्रीय गृह मंत्री एवं प्रधानमंत्री से जानना चाहते हैं कि क्या गुजरात सरकार ने बलात्कारियों को रिहाई देते समय आपकी अनुमति ली थी? अगर राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अनुमति नहीं ली थी तो क्या गुजरात सरकार के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी?'

कांग्रेस नेता ने कहा, 'हम गुजरात के मुख्यमंत्री (भूपेंद्र पटेल) से यह भी जानना चाहेंगे कि जेल सलाहकार समिति में कौन-कौन लोग हैं, जिन्होंने सर्वप्रथम इन अभियुक्तों की रिहाई और क्षमा करने की अनुशंसा की? हम मुख्यमंत्री से भी पूछना चाहेंगे कि क्या उच्चतम न्यायालय के संज्ञान में यह बात लाई गई कि 8 मई 2013 को 1992 की नीति को समाप्त कर दिया गया था?'

खेड़ा ने कहा, 'एक सवाल मीडिया, समाज और विपक्षी दलों से है कि जिस निर्भया के प्रकरण में पूरा समाज एक आवाज में मांग कर रहा था कि बलात्कारियों को कठोर सजा दी जाए, आज मीडिया और विपक्षी दलों में वह चुप्पी क्यों है?' उन्होंने कहा, 'संविधान पढ़ लीजिए, यह देश संविधान पर चलता है, सरकारें संविधान पर चलती हैं, सरकारें जाति और मजहब देखकर नहीं चलतीं.'

यह भी पढ़ें- बिल्किस केस में दोषियों की रिहाई पर राहुल गांधी का प्रधानमंत्री से सवाल

बिल्कीस बानो मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को सोमवार को गोधरा उप-कारागार से रिहा कर दिया गया था. गुजरात सरकार ने अपनी माफी नीति के तहत इन लोगों की रिहाई की मंजूरी दी थी. मुंबई में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को बिल्कीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के जुर्म में 21 जनवरी 2008 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में बंबई उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: कांग्रेस ने गुजरात के बिल्कीस बानो मामले में बलात्कार एवं हत्या के 11 दोषियों की रिहाई के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं. मुख्य विपक्षी पार्टी ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को बताना चाहिए कि क्या राज्य सरकार ने यह कदम उठाने के लिए केंद्र से अनुमति ली थी जो अनिवार्य होती है.

पार्टी के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने कानूनी प्रावधानों का उल्लेख करते हुए यह दावा भी किया कि ऐसे किसी भी मामले में राज्य सरकार अभियुक्तों की रिहाई या क्षमा का निर्णय नहीं ले सकती जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसी ने की हो. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'जिस नीति के पीछे छिपकर गुजरात सरकार कह रही है कि उसने इन 11 बलात्कारियों को रिहाई का आदेश दिया, 1992 की वह नीति 8 मई 2013 को गुजरात सरकार द्वारा समाप्त कर दी गई थी. इसलिए ऐसे किसी भी मामले में राज्य सरकार अभियुक्तों की रिहाई या क्षमा का निर्णय नहीं ले सकती जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसी ने की हो. इस प्रकरण की जांच भी सीबीआई ने की थी.'

खेड़ा ने कहा, 'सीआरपीसी की धारा 435 के तहत राज्य सरकार को केंद्र से अनुमति लेनी होती है. मैं आपको याद दिला दूं जब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहते हुए जयललिता जी ने राजीव गांधी जी के हत्यारों को रिहा करने का फैसला लिया था तब उच्चतम न्यायालय ने क्या आदेश दिया था.' उन्होंने सवाल किया, 'ऐसे में हम केंद्रीय गृह मंत्री एवं प्रधानमंत्री से जानना चाहते हैं कि क्या गुजरात सरकार ने बलात्कारियों को रिहाई देते समय आपकी अनुमति ली थी? अगर राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अनुमति नहीं ली थी तो क्या गुजरात सरकार के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी?'

कांग्रेस नेता ने कहा, 'हम गुजरात के मुख्यमंत्री (भूपेंद्र पटेल) से यह भी जानना चाहेंगे कि जेल सलाहकार समिति में कौन-कौन लोग हैं, जिन्होंने सर्वप्रथम इन अभियुक्तों की रिहाई और क्षमा करने की अनुशंसा की? हम मुख्यमंत्री से भी पूछना चाहेंगे कि क्या उच्चतम न्यायालय के संज्ञान में यह बात लाई गई कि 8 मई 2013 को 1992 की नीति को समाप्त कर दिया गया था?'

खेड़ा ने कहा, 'एक सवाल मीडिया, समाज और विपक्षी दलों से है कि जिस निर्भया के प्रकरण में पूरा समाज एक आवाज में मांग कर रहा था कि बलात्कारियों को कठोर सजा दी जाए, आज मीडिया और विपक्षी दलों में वह चुप्पी क्यों है?' उन्होंने कहा, 'संविधान पढ़ लीजिए, यह देश संविधान पर चलता है, सरकारें संविधान पर चलती हैं, सरकारें जाति और मजहब देखकर नहीं चलतीं.'

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बिल्कीस बानो मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को सोमवार को गोधरा उप-कारागार से रिहा कर दिया गया था. गुजरात सरकार ने अपनी माफी नीति के तहत इन लोगों की रिहाई की मंजूरी दी थी. मुंबई में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को बिल्कीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के जुर्म में 21 जनवरी 2008 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में बंबई उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था.

(पीटीआई-भाषा)

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