नई दिल्ली: असम सरकार को धारा 6 के समझौतों को लेकर लिफाफा बंद रिपोर्ट सौंपे 5 महीने से ज्यादा का समय हो गया है. लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अभी तक इन सिफारिशों को लागू करने की कोई पहल नहीं की है या इस रिपोर्ट को भी सार्वजनिक नहीं किया है.
समिति के अध्यक्ष जस्टिस(सेवानिवृत्त) बिप्लब शर्मा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि उन्हें गृह मंत्रालय से कोई संवाद नहीं मिला है. समिति ने अपनी रिपोर्ट 25 फरवरी को असम सरकार को सौंप दी है. हमने पहले भी गृह मंत्रालय को सूचित किया है.
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि देश में चल रही महामारी की स्थिति के कारण, इस मुद्दे को फिलहाल पीछे रखा गया है. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि गृह मंत्री को कमेटी की रिपोर्ट से भी अवगत कराया गया है. अधिकारी ने कहा कि समिति द्वारा की गई सिफारिशों की अधिक जांच की जरूरत है.
पिछले दिसंबर में केंद्र सरकार ने संसद में विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) पारित किया, इससे पहले जुलाई में गृह मंत्रालय ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बिप्लब शर्मा की अध्यक्षता में 13 सदस्यीय समिति का गठन किया, जिसने असम समझौता के खंड 6 को लागू करने की सिफारिशें की.
समिति को खंड 6 पर सिफारिशें सुझाने के लिए कहा गया था, जो असमिया लोगों की सांस्कृतिक और विरासत को सुरक्षित रखने, संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए संवैधानिक, कानूनी और प्रशासनिक उपाय प्रदान करते हैं.
ईटीवी भारत से बात करते हुए, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) के महासचिव लुरिन ज्योति गोगोई ने कहा कि केंद्रीय गवर्नमेंट डबल स्टैंडर्ड अपना रही है. आपको बता दें कि AASU भी समिति में एक प्रतिनिधि था.
गोगोई ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने पहले कहा कि जिस समय उन्हें खंड 6 समिति की सिफारिश मिलती है, सभी सिफारिशें लागू की जाएंगी, लेकिन अब 5 महीने से अधिक हो गए हैं, न ही अमित शाह ने और न गृह मंत्रालय ने कोई बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को खंड 6 समिति की सिफारिशों को लागू करने में ईमानदारी बरतनी चाहिए, जो असम के लोगों को सुरक्षा और संरक्षण देती है.
गोगोई ने कहा कि हम मांग करते हैं कि सरकार को अगले एक महीने में सिफारिशों को लागू करना चाहिए और रिपोर्ट को सार्वजनिक करनी चाहिए. बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर पीछा करते हुए राज्य के अविभाज्य लोगों की सुरक्षा के लिए असम समझौते में क्लॉज 6 को शामिल किया गया था.
एएएसयू के महासचिव ने कहा कि असम ने पहले ही अवैध विदेशियों का बोझ उठा लिया है और सीएए असम समझौते के मूल सिद्धांत का उल्लंघन करता है, क्योंकि यह 1971 के बाद भी असम में प्रवेश करने वाले विदेशियों के लिए नागरिकता प्रदान करता है. गोगोई ने कहा कि असम के लोगों की भावनाएं असम समझौते से जुड़ी हुई हैं और केंद्र सरकार को हमारी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए.