देखें आदिवासियों ने कैसे आग के अंगारों पर चलकर मनाई होली
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सिरोही जिले के आबूरोड स्थित आदिवासी क्षेत्र भाखर का एक वायरल वीडियो सामने आया है जिसमें कुछ युवा होलिका दहन के दौरान ही जलते अंगारों से निकलते दिख रहे हैं. आसपास खड़े लोग ढोल बजा कर उनका उत्साह बढ़ा रहे हैं. आदिवासी क्षेत्र में होलिका दहन के प्रति आस्था और एक परम्परा के तहत इस तरह से युवा अंगारों पर चलकर गुजरते हैं. आदिवासी क्षेत्र की एक ऐसी अनूठी परंपरा जिसे देखकर आप भी दंग रह जाएंगे. भारतीय संस्कृति में त्योहारोंं पर अलग-अलग प्रकार की अनोखी परंपरा में देखने को काफी सारी मिलती है सिरोही जिले के इन इलाकों में आदिवासी युवा आग के अंगारों पर ढोल बजाकर आगे बढ़ रहे हैं. ये उत्साह ही लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना है. पंचायत समिति सदस्य देवाराम ने इस अनोखी परम्परा के बारे में बताया. इसे मान्यताओं से जोड़ा. कहा- आदिवासियों की मान्यता है कि इस परंपरा को पालन करने से सुख शांति और समृद्धि होती है. तो कइयों का दावा है कि जब भक्त प्रहलाद खुद होलिका में बैठा और तमाम बुराइयां जल गई मगर भगवान नहीं जले उसी तर्ज पर इस परंपरा का पालन किया जाता हैं. ऐसा करने से हमारे अंदर की बुराइयां आग में जल जाती हैं और व्यक्ति स्वस्थ होकर बाहर निकलता है. आदिवासी नेता रामलाल रनोरा ने बताया कि यह आस्था का प्रतीक है आदिवासी क्षेत्र मे मन्नत पूरी होने के बाद इस तरह से आग के जलते अंगारे से गुजरते हैं. आग पर चलने वाला युवक पूरे दिन निर्जला उपवास रखता है और रात 12 बजे होलिका दहन के दौरान इसे निभाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि होलिका जलने के बाद अगर होली पूर्व मे गिरती है तो आना वाला समय शुभ माना जाता है और अगर पश्चिम मे गिरती है तो अशुभ. इस परंपरा का पालन जम्बूड़ी, उपलागढ़, पाबा, उपलाखेजड़ा सहित अन्य गांवों में किया जाता है.