टोंक. जिंदगी अनमोल है इसे बचाइए और "पालना गृह" का स्लोगन भी यही है कि अपने बच्चे को फेकिये मत, हमें दीजिए हम पालेंगे. टोंक के सआदत अस्पताल के जनाना अस्पताल के पालना गृह में जब भी कोई बच्चा छोड़ता है तो अस्पताल में अलार्म घंटी बजती है और अस्पताल का स्टाफ समझ जाता है कि पालना गृह में नवजात के रूप में नया मेहमान आया है. जिसके बाद अस्पताल का पूरा स्टाफ नन्हें मेहमान और उसके जीवन को बचाने में जुट जाता है.
बता दें कि पूरा स्टाफ छोड़ने वाले कि पहचान भी गुप्त ही रखी जाती है और बच्चे को बाद में ऑनलाइन कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद जरूरत मंद दंपत्तियों को सौंप दिया जाता है. ऐसे में अनचाहे बच्चों को टोंक का पालना गृह बच्चों को दे रहा है सुरक्षित नया जीवन तो वहीं जरूरत मंदो के आंगन के लाल बन रहे है यंहा आए बच्चे.
अनचाहे नवजात की रक्षा के लिए जनाना अस्पताल में बने पालना गृह नवजातों के लिए वरदान साबित हो रहा है. कुछ ही दिनों में ही एक लाडो सहित तीन नवजात मिल चुके है. तीनों ही नवजात चिकित्सकों की देखरेख में पूरी तरह स्वस्थ है.
ईटीवी भारत भी यही अपील करता है कि लोग राह चलते कचरा पात्र, झाड़ियों, तालाबों आदि स्थानों पर नवजात को ना फेंके. अगर छोड़ना ही है तो सरकार की ओर से बनाए गए पालनाघर में छोड़ जाए. जिससे कि नवजात की जान को कोई खतरा ना हो. जो जननी पालना गृह में शिशु को छोड़कर जाएगी उसकी पहचान पूरी तरह से गुप्त रखने का प्रावधान भी है. नियम के तहत नवजात छोड़ने वाले को किसी भी तरह से कोई रोक टोक नहीं की जाएगी और ना ही उसके खिलाफ कोई मामला दर्ज होगा.
सरकार की ओर से अनचाहे नवजात की जान बचाने को लेकर मातृ एवं शिशु हॉस्पिटल में पालना घर की स्थापना की गई है. जिसका उद्देश्य है कि 'फेंको मत हमे दो' बिना पहचान बताए जनानिया अनचाहे नवजात को हर कही फेंकने की जगह इस नवजात पालनाघर मे छोड़ सकती है.
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इस पालने में शिशु आते ही सॉफ्टवेयर से 2 मिनिट में अलार्म बज उठता है. जिससे कि अस्पताल में मौजूद स्टॉफ नवजात को अपनी सुपुर्दगी में ले लेता है. तुरंत ही नवजात को गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती कर उपचार शुरू कर दिया जाता है. वर्तमान समय में पालना गृह सुनी गोद वालों के लिए जंहा वरदान बनता नजर आता है वहीं नवजातों के जीवन के लिए भी सुरक्षित है.