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कुंभलगढ़ अभयारण्य : प्रभावित 11 ग्राम पंचायतों को अभयारण्य से मुक्त रखने के लिए मंत्री उदयलाल आंजना को ग्रामीणों ने दिया ज्ञापन

कुंभलगढ़ अभयारण्य क्षेत्र से प्रभावित 11 ग्राम पंचायतों को अभयारण्य क्षेत्र से मुक्त रखने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने मंत्री उदयलाल आंजना को ज्ञापन दिया. ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र टाइगर प्रोजेक्ट के अनुकूल नहीं है. फिर भी कुंभलगढ़ अभयारण्य को सरकार ने टाइगर प्रोजेक्ट में ले लिया है.

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Published : Oct 18, 2019, 12:56 PM IST

राजसमंद. जिले के भीम देवगढ़ की 11 ग्राम पंचायतों के लोगों ने जिला प्रभारी मंत्री उदयलाल आंजना को ज्ञापन सौंपकर बताया कि कुंभलगढ़ अभयारण्य को सरकार ने टाइगर प्रोजेक्ट में ले लिया है. लेकिन वन क्षेत्र टाइगर प्रोजेक्ट के लिए अनुकूल नहीं है. इस अभयारण्य में भीम देवगढ़ की 11 ग्राम पंचायतों की आबादी क्षेत्र में चारागाह भूमि में आ रही है.

ग्रामीणों का कहना है कि वन क्षेत्र टाइगर प्रोजेक्ट के अनुकूल नहीं है

इसकी लंबाई 115 किलोमीटर में चौड़ाई 18 किलोमीटर सामान्य तौर पर है. परंतु कहीं का इसकी चौड़ाई मात्र 4 किलोमीटर है. जिसको लेकर ग्रामीणों का कहना है. कि हमारी 11 पंचायतों के निवासी इससे प्रभावित हो रहे हैं. उनका कहना है कि इस क्षेत्र की 8 ग्राम पंचायतों से दिल्ली मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग 8 गुजर रहा है.

जिसका फोरलेन कार्य क्षेत्र से ही प्रभावित होने के कारण रुका पड़ा है. इस सड़क मार्ग पर आए दिन एक्सीडेंट हो रहे है. और सैकड़ों लोग अपनी जान गवा चुके हैं. उन्होंने बताया कि क्षेत्र के लोगों को वन के एनओसी नहीं मिलने से सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा. अत: इच्छा के अनुसार लोक निर्माण कार्य रुके पड़े हैं.

यह भी पढ़ें- बनास नदी में अवैध बजरी खनन पर प्रशासन सख्त...अब चेक प्वॉइंट पर रात में 5-5 गार्ड रहेंगे तैनात

वहीं ज्ञापन में उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र के समस्त लोग मजदूर या किसान हैं. और सभी मुख्य व्यवसाय कृषि हैं. उनकी फसल जंगली जानवर और बंदर से चौपट कर रही हैं. ग्रामीणों की मांग है. कि 11 प्रभावित पंचायतों को राजस्व क्षेत्र में चारा का क्षेत्र का तत्काल अभ्यारण से बाहर कराया जाए तथा इस अभ्यारण क्षेत्र में बाघ परियोजना लागू नहीं की जाए.

राजसमंद. जिले के भीम देवगढ़ की 11 ग्राम पंचायतों के लोगों ने जिला प्रभारी मंत्री उदयलाल आंजना को ज्ञापन सौंपकर बताया कि कुंभलगढ़ अभयारण्य को सरकार ने टाइगर प्रोजेक्ट में ले लिया है. लेकिन वन क्षेत्र टाइगर प्रोजेक्ट के लिए अनुकूल नहीं है. इस अभयारण्य में भीम देवगढ़ की 11 ग्राम पंचायतों की आबादी क्षेत्र में चारागाह भूमि में आ रही है.

ग्रामीणों का कहना है कि वन क्षेत्र टाइगर प्रोजेक्ट के अनुकूल नहीं है

इसकी लंबाई 115 किलोमीटर में चौड़ाई 18 किलोमीटर सामान्य तौर पर है. परंतु कहीं का इसकी चौड़ाई मात्र 4 किलोमीटर है. जिसको लेकर ग्रामीणों का कहना है. कि हमारी 11 पंचायतों के निवासी इससे प्रभावित हो रहे हैं. उनका कहना है कि इस क्षेत्र की 8 ग्राम पंचायतों से दिल्ली मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग 8 गुजर रहा है.

जिसका फोरलेन कार्य क्षेत्र से ही प्रभावित होने के कारण रुका पड़ा है. इस सड़क मार्ग पर आए दिन एक्सीडेंट हो रहे है. और सैकड़ों लोग अपनी जान गवा चुके हैं. उन्होंने बताया कि क्षेत्र के लोगों को वन के एनओसी नहीं मिलने से सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा. अत: इच्छा के अनुसार लोक निर्माण कार्य रुके पड़े हैं.

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वहीं ज्ञापन में उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र के समस्त लोग मजदूर या किसान हैं. और सभी मुख्य व्यवसाय कृषि हैं. उनकी फसल जंगली जानवर और बंदर से चौपट कर रही हैं. ग्रामीणों की मांग है. कि 11 प्रभावित पंचायतों को राजस्व क्षेत्र में चारा का क्षेत्र का तत्काल अभ्यारण से बाहर कराया जाए तथा इस अभ्यारण क्षेत्र में बाघ परियोजना लागू नहीं की जाए.

Intro:राजसमंद- जिले के भीम देवगढ़ के 11 ग्राम पंचायतों के लोगों ने जिला प्रभारी मंत्री उदयलाल आंजना को ज्ञापन सौंपकर बताया कि कुंभलगढ़ अभ्यारण को सरकार ने टाइगर प्रोजेक्ट में ले लिया है.लेकिन वन क्षेत्र टाइगर प्रोजेक्ट के अनुकूल नहीं है. इस अभ्यारण में भीम देवगढ़ की 11 ग्राम पंचायतों का आबादी क्षेत्र में चारागाह भूमि में आ रही है. इसकी लंबाई 115 किलोमीटर में चौड़ाई 18 किलोमीटर सामान्य तौर पर है. परंतु कहीं का इसकी चौड़ाई मात्र 4 किलोमीटर है.


Body:जिसको लेकर ग्रामीणों का कहना है.कि हमारी 11 पंचायतों के निवासी इससे प्रभावित हो रहे हैं. उनका कहना है.कि इस क्षेत्र की 8 ग्राम पंचायतों से दिल्ली मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग 8 गुजर रहा है. जिसका फोरलेन कार्य क्षेत्र से ही प्रभावित होने के कारण रुका पड़ा है. इस सड़क मार्ग पर आए दिन एक्सीडेंट हो रहे है. और सैकड़ों लोग अपनी जान गवा चुके हैं. उन्होंने बताया कि क्षेत्र के लोगों को वन के एनओसी नहीं मिलने से सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा.तथा इच्छा के अनुसार लोक निर्माण कार्य रुके पड़े हैं. वहीं ज्ञापन में उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र के समस्त लोग मजदूर या किसान हैं. और सभी मुख्य व्यवसाय कृषि हैं. उनकी फसल जंगली जानवर व बंदर से चौपट कर रही है.


Conclusion:ग्रामीणों की मांग है. कि 11 प्रभावित पंचायतों को राजस्व क्षेत्र में चारा का क्षेत्र का तत्काल अभ्यारण से बाहर कराया जावे तथा इस अभ्यारण क्षेत्र में बाघ परियोजना लागू नहीं की जावे.
बाइट- रुपाराम ग्रामीण
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