नागौर. आदर्श शिक्षण संस्थान नागौर कि ओर से संचालित स्कूलों के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों का मंगलवार शाम को सम्मान किया गया. इस मौके पर 10वीं और 12वीं कक्षा में 90 फीसदी से अधिक अंक हासिल करने वाले बच्चों को प्रशस्ति पत्र दिया गया. उनके अभिभावकों को अतिथियों ने शॉल ओढ़ाकर और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. नंदकिशोर सोनी ने विद्या भारती की स्थापना और कार्यशैली बताई. उन्होंने कहा कि आज सरकारी स्कूलों में बच्चों के चहुंमुखी विकास को लेकर अधिकतर स्टाफ गंभीर नहीं रहता है. जबकि मिशनरीज स्कूलों का उद्देश्य कम उम्र में ही बच्चों को अपनी संस्कृति और परंपराओं से विमुख किया जा रहा है. यही उनका एकमात्र उद्देश्य है.
मुख्य वक्ता डॉ. सोनी ने कहा कि जिस उद्देश्य के लिए स्कूल या संगठन का निर्माण होता है. वह आने वाली पीढ़ी को वैसे ही स्वरूप में आगे बढ़ाता है. जैसे उद्योगपतियों की स्कूलों का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना है. इसलिए उन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में भी खुद के लाभ और स्वार्थ की प्रवृत्ति हावी रहती है. उनका कहना है कि विद्या भारती के स्कूलों का मुख्य उद्देश्य बच्चों को हमारी संस्कृति, परंपराओं और समाज से जोड़ना है. इस मौके पर विधायक मोहनराम चौधरी, आदर्श शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष भोजराज सारस्वत आदि मौजूद थे.