करौली. नीति आयोग के आशान्वित जिलों में बेहतर प्रदर्शन करने वालों की रैंकिंग में राजस्थान का करौली जिला सबसे ऊपर है. यह रैंकिंग आशान्वित जिलो में विभिन्न मोर्चों पर प्रगति के आधार पर निर्धारित की गई है. करौली जिले में स्वास्थ्य और पोषण मानदंडों पर भी अच्छा प्रदर्शन किया है. राजस्थान में आशान्वित जिलों में पांच जिले शामिल है. जिनमे राजस्थान में करौली, धौलपुर, बारा, सिरोही, जैसलमेर है और देश में कुल 112 जिले शामिल हैं.
दरअसल प्रदेश के करौली जिले ने देश के पिछड़े जिलों में विकास की दृष्टि से क्षेत्रवार रैंकिंग में अच्छा सुधार करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया है. नीति आयोग ने देश के 112 आशान्वित जिलों की रैंकिंग जारी की है. जिसमें करौली जिला देश में 12वें नंबर पर रहा है. तो वहीं राजस्थान में पहले नंबर पर रहा है. नीति आयोग रैंकिंग के आधार पर पांच श्रेणियों स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संरक्षण, वित्तीय समावेशन और कौशल विकास, आधारभूत ढांचा विकास की दृष्टि से रैंकिंग जारी करता है. जिसमें करौली जिले ने अपेक्षाकृत अच्छा सुधार करते हुए राजस्थान में प्रथम स्थान प्राप्त किया है.
जिला कलेक्टर डॉ मोहन लाल यादव ने बताया की मुख्यमंत्री के निर्देश है. उसी के अनुरूप जिले के विकास के लिए हर योजना की समय-समय पर समीक्षा की जा रही है. जिला स्तरीय अधिकारी और जमीनी स्तर के अधिकारियों को मोटीवेट किया. उसी के आधार पर जिला पहले 60वें स्थान पर था. फिर उसके बाद 32वें पायदान पर आये. अब पूरे भारत मे 12वें स्थान पर आये है और राजस्थान मे पहले स्थान पर आये है. जिले की अधिकारियों की टीम की बदौलत ही हम इस मुकाम को हासिल कर सके हैं. राजस्थान सरकार की मंशा के अनुसार योजनाओं को और शक्ति से लागू किया जाएगा. समय पर जिले के लोगों को योजनाओं का लाभ मिले इसका प्रयास करेंगे.
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दिनेशचंद मीना ने बताया की प्रदेश के पांच जिले नीति आयोग के अन्तर्गत आशान्वित जिलों मे शामिल है. जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, कृषि, वित्तीय समावेशन का सुधार शामिल है.
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उन्होंने बताया कि जिले की रैंकिंग पूरे देश मे 12वें नंबर पर है. जबकी स्वास्थ्य क्षेत्र में लगातार किये गये सुधार के प्रयासों से जिले को देश मे 14वीं रैंक प्राप्त हुई है. जबकी राजस्थान मे पहले नंबर पर है. स्वास्थ्य के क्षेत्र मे पिछली रैंक में करौली 31 वें स्थान पर था.
उन्होनें कहा कि स्वास्थ्य में 19 इंडिकेटर्स, एएनसी जांच, हीमोग्लोबिन जांच, सैक्स रेस्यो और जन्म, अनीमिया, नवजातों की जन्म समय जांच और देखभाल, टीकाकरण, टीबी पर ध्यान दिया जा रहा है. डीपीएम आशुतोष पांडेय ने बताया कि सुधार हेतू प्रयास जारी है और पिछले माह जिलास्तर से विभागीय अधिकारियों सहित डीपीएम यूनिट की ओर से सुधार के भरसक प्रयास किये गये है. जिनमें कम उपलब्धि वाले सूचकांको पर विशेष ध्यान आकर्षण के हेतू ब्लाकस्तरीय और सेक्टर स्तरीय मीटिंग की गई. रैंकिक सुधार में ब्लाकस्तरीय यूनिट का विशेष योगदान रहा है.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जनवरी 2018 को पिछड़ा जिला कार्यक्रम शुरू किया. कुल 115 पिछड़े जिलों में केवल 112 जिले सर्वे में शामिल हुए. पश्चिम बंगाल के तीन पिछड़े जिले इसमें शामिल नहीं हुए. कार्यक्रम का मकसद प्रमुख सामाजिक और आर्थिक मोर्चों पर पीछे रह गए जिलों को विकास के रास्ते पर लाकर. उनमें व्यापक बदलाव लाना है. ताकि संतुलित क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित हो सके.