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गौरव सेनानी शिक्षक बोले, 'देश के नाम की जवानी, अब तो घर पर रहने दो' - Gaurav Fighter Teachers Association

गौरव सेनानी शिक्षक संघ का राज्यस्तरीय शैक्षिक सम्मेलन आयोजित किया गया. सेना से रिटायर्ड शिक्षकों के सम्मेलन में उनके साथ आ रही समस्याओं पर मंथन किया गया.

Gaurav Fighter Teachers Association, गौरव सेनानी शिक्षक संघ
गौरव सेनानी शिक्षक संघ का राज्यस्तरीय सम्मेलन
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Published : Dec 8, 2019, 12:08 PM IST

झुंझुनूं. गौरव सेनानी शिक्षक संघ के राज्यस्तरीय शैक्षिक म्मेलन में ये प्रस्ताव पास किया गया है, कि उन्होंने अपनी जवानी देश के नाम की है. ऐसे में सेवानिवृत्ति के बाद शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं तो कम से कम उन्हें पोस्टिंग घर के पास दी जाए ताकि वे अपना बाकी जीवन घरवालों के साथ बिता सकें.

गौरव सेनानी शिक्षक संघ का राज्यस्तरीय सम्मेलन

शिक्षकों ने कहा, कि उन्होंने आर्मी में 24 घंटे की सेवा की है, जबकि यहां तो बमुश्किल 6 घंटे की नौकरी होती है. लिहाजा इससे ज्यादा समय काम करने में भी उन्हें कोई तकलीफ नहीं है. यदि घर के पास रहने को मिल जाए तो सेना से सेवानिवृत्त शिक्षकों को थोड़ा आराम मिल सकता है, लिहाजा सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए.

'सैन्य पराक्रम का पाठ्यक्रम शामिल करें'

गौरव सेनानी शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने ये मांग भी की है, कि सैन्य पराक्रम का पाठ्यक्रम में ज्यादा विस्तार किया जाना चाहिए ताकि छोटे बच्चों में भी सैन्य सेवा के प्रति सम्मान बढ़े.
बता दें, कि सरकारी सेवाओं में भी सेवानिवृत्त सैनिकों का आरक्षण होता है. वे अपने रिटायरमेंट के बाद राज्य सरकार या केंद्र सरकार के साथ सेवाओं में लग जाते हैं.

झुंझुनूं. गौरव सेनानी शिक्षक संघ के राज्यस्तरीय शैक्षिक म्मेलन में ये प्रस्ताव पास किया गया है, कि उन्होंने अपनी जवानी देश के नाम की है. ऐसे में सेवानिवृत्ति के बाद शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं तो कम से कम उन्हें पोस्टिंग घर के पास दी जाए ताकि वे अपना बाकी जीवन घरवालों के साथ बिता सकें.

गौरव सेनानी शिक्षक संघ का राज्यस्तरीय सम्मेलन

शिक्षकों ने कहा, कि उन्होंने आर्मी में 24 घंटे की सेवा की है, जबकि यहां तो बमुश्किल 6 घंटे की नौकरी होती है. लिहाजा इससे ज्यादा समय काम करने में भी उन्हें कोई तकलीफ नहीं है. यदि घर के पास रहने को मिल जाए तो सेना से सेवानिवृत्त शिक्षकों को थोड़ा आराम मिल सकता है, लिहाजा सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए.

'सैन्य पराक्रम का पाठ्यक्रम शामिल करें'

गौरव सेनानी शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने ये मांग भी की है, कि सैन्य पराक्रम का पाठ्यक्रम में ज्यादा विस्तार किया जाना चाहिए ताकि छोटे बच्चों में भी सैन्य सेवा के प्रति सम्मान बढ़े.
बता दें, कि सरकारी सेवाओं में भी सेवानिवृत्त सैनिकों का आरक्षण होता है. वे अपने रिटायरमेंट के बाद राज्य सरकार या केंद्र सरकार के साथ सेवाओं में लग जाते हैं.

Intro:सरकारी सेवाओं में भी सेवानिवृत्त सैनिकों का अपना एक आरक्षण होता है । ऐसे में वे अपने रिटायरमेंट के बाद राज्य सरकार या केंद्र सरकार के साथ सेवाओं में लग जाते हैं। ऐसे में सेना से रिटायर्ड शिक्षकों के सम्मेलन में उनके साथ आ रही समस्याओं पर मंथन किया गया।


Body:झुंझुनू। गौरव सेनानी शिक्षक संघ के राज्य स्तरीय सम्मेलन में यह प्रस्ताव पास किया गया है कि उन्होंने अपनी जवानी देश के नाम की है। ऐसे में सेवानिवृत्ति के बाद शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं तो कम से कम उन्हें पोस्टिंग घर के पास दी जाए ताकि वे अपना शेष जीवन तो घरवालों के साथ नहीं बिता सकें। शिक्षकों ने कहा कि उन्होंने आर्मी में 24 घंटे की सेवा की है और इसलिए वे सरकार से कभी मांग नहीं करते कि स्कूलों का समय कम किया जाए। यहां तो मुश्किल 6 घंटे की नौकरी होती है और उन्हें यह या इससे ज्यादा समय काम करने में कोई तकलीफ नहीं है। लेकिन यदि घर के पास रहने को मिल जाए तो यह सेना से सेवानिवृत्त शिक्षकों को थोड़ा आराम मिल सकता है और इस बारे में सरकार को सोचना चाहिए।

सैन्य पराक्रम के पाठ्यक्रम को भी किया जाए शामिल
वही गौरव सेनानी शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने यह भी मांग की कि सैन्य पराक्रम का पाठ्यक्रम में अधिक विस्तार किया जाना चाहिए ताकि छोटे बच्चों में भी देश प्रेम सैन्य सेवा के प्रति अगर बढ़ सके।



बाइट राजपाल फोगाट प्रदेश अध्यक्ष गौरव सेनानी शिक्षक संघ





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