झालावाड़. जिले के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में स्थित ऐतिहासिक भवानी परमानंद लाइब्रेरी आज दुर्दशा का शिकार हो रही है. इस ऐतिहासिक पुस्तकालय के ना तो उचित देखभाल हो पा रही है और ना ही इसमें मौजूद दुर्लभ ग्रंथों और पुस्तकों की सुरक्षा हो पा रही है. गैरजिम्मेदाराना रवैये के चलते इस पुस्तकालय से 1157 पुस्तकें गायब हो गई है. जिनमें 97 दुर्लभ ग्रंथ और 1060 किताबें गायब हुई है.
इतिहासकार ललित शर्मा ने बताया कि झालावाड़ के राजा भवानी सिंह ने सन 1911 में इस पुस्तकालय की स्थापना की थी. उस समय राजा और राज्य के दीवान परमानंद चतुर्वेदी के नाम पर इस पुस्तकालय का नाम भवानी परमानंद पुस्तकालय रखा गया था. जिसे लाइब्रेरी स्थापित हुई थी इसमें विभिन्न विषयों 1946 ने तत्कालीन राजा ने कॉलेज प्रशासन को सौंप दिया था. पुस्तकालय को दो भागों में बांटा गया है, जिसमें सामान्य भाग में कुल 50602 पुस्तके हैं.
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जबकि परमानंद भाग में दुर्लभ श्रेणी के भारतीय इतिहास, साहित्य, भाषा, धर्म, दर्शन और अन्य विषयों से संबंधित अनेक भाषाओं में 14403 ग्रंथ है. इन ग्रंथों की जिल्द लंदन में तैयार की गई थी. जिन पर स्वर्ण अक्षरों में परमानंद पुस्तकालय लिखा होता था. इतिहासकार ने बताया कि यह पुस्तकालय न सिर्फ झालावाड़ का बल्कि राजस्थान का रियासत कालीन भव्य पुस्तकालय है. लेकिन यहां पर अब कुल 1157 पुस्तकों के गायब होने का मामला सामने आया है. इनमें 1060 सामान्य किताबें और 97 दुर्लभ ग्रंथ गायब हुए हैं.
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बता दें कि पुस्तकालय के लाइब्रेरियन का चार्ज पिछले 20 सालों से एक ही व्यक्ति के पास था. जिसके चलते कभी भी किताबों की गिनती करने या दूसरे लाइब्रेरियन को चार्ज देने जैसी बात नहीं हुई. ऐसे में जब वो सेवानिवृत्त हुए तो कॉलेज निदेशालय ने बूंदी कॉलेज की टीम के द्वारा पुस्तकालय का भौतिक सत्यापन के लिए गिनती करवाई गई थी. उसमें पुस्तके गायब होने का मामला सामने आया है. इसको लेकर झालावाड़ जिला कलेक्टर निकया गोहाएन ने कहा कि इसको लेकर जांच करवाई जाएगी और इसके दोषियों पर कड़ी कार्यवाई की जाएगी.