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सौंदर्यीकरण के नाम पर जयपुर के अजमेरी गेट का हेरिटेज स्वरूप बिगड़ा, यूनेस्को ने उठाए सवाल

जयपुर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत अजमेरी गेट पर चल रहे सौदर्यीकरण के कार्यों पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. ऐसे ने यूनेस्को ने सौदर्यीकरण के इस कार्य को गैर जरूरी बताया है.

जयपुर अजमेरी गेट
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Published : Mar 24, 2019, 4:36 PM IST

जयपुर. राजस्थान में चल रहे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर एक बार फिर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. यूनेस्को ने इस स्मार्ट सिटी के तहत परकोटे में चल रहे कार्यों को, विरासत को बिगाड़ने वाला बताया है. यूनेस्को के विशेषज्ञों ने अजमेरी गेट पर कराए गए करोड़ों के सौंदर्यीकरण कार्यों को गैर जरूरी बताया.

गौरतलब हो कि वाहवाही लूटने के लिए पिछली सरकार की ओर से परकोटा शहर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी नामित करने के लिए यूनेस्को को प्रस्ताव भिजवाया गया था. लेकिन ये प्रस्ताव उनके कामों पर सवाल खड़ा करेगा, ये शायद सोचा नहीं होगा. इस प्रस्ताव के बाद पिछले साल अगस्त में यूनेस्को की सलाहकार संस्था इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मॉन्यूमेंट एंड साइट्स के सदस्यों ने जयपुर का दौरा किया.

क्लिक कर देखें वीडियो

यूनेस्को दल के साथ रहने वाले अधिकारियों और दूसरे लोगों से मिली जानकारी के अनुसार यूनेस्को विशेषज्ञों ने परकोटे में चल रहे मेट्रो और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर सवालिया निशान खड़े किए थे. पिछली सरकार की ओर से प्राथमिकता के आधार पर इन दोनों प्रोजेक्ट को चलाने के कारण किसी ने भी यूनेस्को की आपत्तियों पर उस समय मुंह नहीं खोला. लेकिन सरकार बदलने के बाद एक-एक कर यूनेस्को की आपत्तियां निकल कर सामने आ रही हैं. जब यूनेस्को दल को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के काम दिखाने के लिए अजमेरी गेट ले जाया गया था तो दल ने पहली नजर में यहां कराए गए सौंदर्यीकरण कार्यों को गैर जरूरी बता दिया था.

विशेषज्ञों का कहना था कि किसी भी स्मारक के पास नवीन सौंदर्यन कार्य नहीं कराए जाने चाहिए. इससे स्मारक का मूल स्वरूप बिगड़ता है. पूरे विश्व में स्मारकों के मूल स्वरूप को बनाए रखने पर जोर दिया जा रहा है. यहां भी फव्वारों और कलाकृतियों से गेट का मूल स्वरूप छुप गया है. स्मार्ट सिटी सीईओ आलोक रंजन ने भी माना कि यूनेस्को की टीम ने हेरिटेज लुक को बनाए रखने के लिए कुछ गाइडलाइन दी है. उन्होंने कहा कि यदि अजमेरी गेट पर लगाई गई प्रतिमाओं से हेरिटेज लुक में कुछ परेशानी आ रही है तो उन्हें हटा लिया जाएगा.

आपको बता दें कि अजमेरी गेट पर कराए गए कार्यों के उद्घाटन के बाद से ही पोल खुलने लगी थी. कुछ समय बाद ही यहां किए गए कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठे थे. जैसे की पत्थर से बने पिलर टूटना, फव्वारों के लिए बने कुंड से पानी का रिसाव होने लगा था. वहीं अब यूनेस्को के द्वारा उठाए गए सवालों के सामने आने के बाद ये कहा जा सकता है कि स्मार्ट सिटी के कार्यों ने हेरिटेज बिगाड़ने का काम किया है.

जयपुर. राजस्थान में चल रहे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर एक बार फिर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. यूनेस्को ने इस स्मार्ट सिटी के तहत परकोटे में चल रहे कार्यों को, विरासत को बिगाड़ने वाला बताया है. यूनेस्को के विशेषज्ञों ने अजमेरी गेट पर कराए गए करोड़ों के सौंदर्यीकरण कार्यों को गैर जरूरी बताया.

गौरतलब हो कि वाहवाही लूटने के लिए पिछली सरकार की ओर से परकोटा शहर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी नामित करने के लिए यूनेस्को को प्रस्ताव भिजवाया गया था. लेकिन ये प्रस्ताव उनके कामों पर सवाल खड़ा करेगा, ये शायद सोचा नहीं होगा. इस प्रस्ताव के बाद पिछले साल अगस्त में यूनेस्को की सलाहकार संस्था इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मॉन्यूमेंट एंड साइट्स के सदस्यों ने जयपुर का दौरा किया.

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यूनेस्को दल के साथ रहने वाले अधिकारियों और दूसरे लोगों से मिली जानकारी के अनुसार यूनेस्को विशेषज्ञों ने परकोटे में चल रहे मेट्रो और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर सवालिया निशान खड़े किए थे. पिछली सरकार की ओर से प्राथमिकता के आधार पर इन दोनों प्रोजेक्ट को चलाने के कारण किसी ने भी यूनेस्को की आपत्तियों पर उस समय मुंह नहीं खोला. लेकिन सरकार बदलने के बाद एक-एक कर यूनेस्को की आपत्तियां निकल कर सामने आ रही हैं. जब यूनेस्को दल को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के काम दिखाने के लिए अजमेरी गेट ले जाया गया था तो दल ने पहली नजर में यहां कराए गए सौंदर्यीकरण कार्यों को गैर जरूरी बता दिया था.

विशेषज्ञों का कहना था कि किसी भी स्मारक के पास नवीन सौंदर्यन कार्य नहीं कराए जाने चाहिए. इससे स्मारक का मूल स्वरूप बिगड़ता है. पूरे विश्व में स्मारकों के मूल स्वरूप को बनाए रखने पर जोर दिया जा रहा है. यहां भी फव्वारों और कलाकृतियों से गेट का मूल स्वरूप छुप गया है. स्मार्ट सिटी सीईओ आलोक रंजन ने भी माना कि यूनेस्को की टीम ने हेरिटेज लुक को बनाए रखने के लिए कुछ गाइडलाइन दी है. उन्होंने कहा कि यदि अजमेरी गेट पर लगाई गई प्रतिमाओं से हेरिटेज लुक में कुछ परेशानी आ रही है तो उन्हें हटा लिया जाएगा.

आपको बता दें कि अजमेरी गेट पर कराए गए कार्यों के उद्घाटन के बाद से ही पोल खुलने लगी थी. कुछ समय बाद ही यहां किए गए कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठे थे. जैसे की पत्थर से बने पिलर टूटना, फव्वारों के लिए बने कुंड से पानी का रिसाव होने लगा था. वहीं अब यूनेस्को के द्वारा उठाए गए सवालों के सामने आने के बाद ये कहा जा सकता है कि स्मार्ट सिटी के कार्यों ने हेरिटेज बिगाड़ने का काम किया है.

Intro:राजस्थानी में चल रहे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं... यूनेस्को ने इस स्मार्ट सिटी के तहत परकोटे में चल रहे कार्यों को विरासत को बिगाड़ने वाला बताया है... यूनेस्को विशेषज्ञों ने अजमेरी गेट पर कराए गए करोड़ों के सौंदर्यन कार्यों को गैरजरूरी बताया है...


Body:वाहवाही लूटने के लिए पिछली सरकार की ओर से परकोटा शहर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी नामित करने के लिए यूनेस्को को प्रस्ताव भिजवाया गया था... लेकिन ये प्रस्ताव उनके कामों पर सवाल खड़ा करेगा,,, ये शायद सोचा नहीं होगा... इस प्रस्ताव के बाद पिछले साल अगस्त में यूनेस्को के सलाहकार संस्था इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मॉन्यूमेंट एंड साइट्स के सदस्यों ने जयपुर का दौरा किया... यूनेस्को दल के साथ रहने वाले अधिकारियों और दूसरे लोगों से मिली जानकारी के अनुसार यूनेस्को विशेषज्ञों ने परकोटे में चल रहे मेट्रो और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर सवालिया निशान खड़े किए थे... पिछली सरकार की ओर से प्राथमिकता के आधार पर इन दोनों प्रोजेक्ट को चलाने के कारण किसी ने भी यूनेस्को की आपत्तियों पर उस समय मुंह नहीं खोला... लेकिन सरकार बदलने के बाद एक-एक कर यूनेस्को की आपत्तियां निकल कर सामने आ रही है... जब यूनेस्को दल को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के काम दिखाने के लिए अजमेरी गेट ले जाया गया था,,, तो दल ने पहली नजर में यहां कराए गए सौंदर्यन कार्यों को गैर जरूरी बता दिया था... विशेषज्ञों का कहना था कि किसी भी स्मारक के पास नवीन सौंदर्यन कार्य नहीं कराए जाने चाहिए... इससे स्मारक का मूल स्वरूप बिगड़ता है... पूरे विश्व में स्मारकों के मूल स्वरूप को बनाए रखने पर जोर दिया जा रहा है... यहां भी फव्वारों और कलाकृतियों से गेट का मूल स्वरूप छुप गया है... स्मार्ट सिटी सीईओ आलोक रंजन ने भी माना कि यूनेस्को की टीम ने हेरिटेज लुक को बनाए रखने के लिए कुछ गाइडलाइन दी है... उन्होंने कहा कि यदि अजमेरी गेट पर लगाई गई प्रतिमाओं से हेरिटेज लुक में कुछ परेशानी आ रही है,,, तो उन्हें हटा लिया जाएगा...


Conclusion:आपको बता दें कि अजमेरी गेट पर कराए गए कार्यों के उद्घाटन के बाद से ही पोल खुलने लगी थी... कुछ समय बाद ही यहां किए गए कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठे थे... पत्थर से बने पिलर टूटना,,, फव्वारों के लिए बने कुंड से पानी का रिसाव होने लगा था... और अब यूनेस्को के द्वारा उठाए गए सवालों के सामने आने के बाद ये कहा जा सकता है कि स्मार्ट सिटी के कार्यों ने हेरिटेज बिगाड़ने का काम किया है...
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