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बॉडी बिल्डर प्रिया मेघवाल, हुनर और हौसले की जिंदा मिसाल...लोगों ने मारे ताने फिर भी हार न मानी

राजस्थान की पहली महिला बॉडी बिल्डर प्रिया सिंह को अंतर्राष्ट्रीय मुकाबले में गोल्ड मेडल मिला है. यह केवल वर्कआउट और बैलेंस्ड डाइट का नतीजा नहीं है (Gold medalist in Body Building Priya). राजस्थान के धोरों से निकलकर थाईलैंड के पटाया तक पहुंची प्रिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि इस सफर में उन्हें कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. इतनी बड़ी जीत के बाद भी प्रिया को एक ही बात का अफसोस है कि उनका समाज आज तक बिकनी से बाहर क्यों नहीं आ पाया? पेश है एक रिपोर्ट.

Gold medalist in Body Building Priya
घूंघट से बिकिनी तक का सफर
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Published : Dec 30, 2022, 2:05 PM IST

Updated : Dec 30, 2022, 5:13 PM IST

प्रिया सिंह मेघवाल ने बताई कामयाबी की कहानी

जयपुर. राजस्थान की पहली महिला बॉडी बिल्डर प्रिया सिंह ने एक बार फिर राजस्थान का नाम विश्व पटल पर रोशन किया. थाईलैंड के पटाया में आयोजित हुई 39वीं अंतर्राष्ट्रीय महिला बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में प्रिया ने गोल्ड मेडल जीता है (Gold medalist in Body Building Priya), लेकिन यहां तक पहुंचना भी प्रिया के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था. जिस समाज की दहलीज लांघकर वह पटाया पहुंची थीं वहां घूंघट से बाहर औरत को चेहरा दिखाना भी गुनाह है. सोचिए वहां बॉडी बिल्डिग के लिए बांहों और जांघों की मासपेशियां दिखाने में प्रिया ने कितनी बंदिशें लांघी होंगी. प्रिया साल 2018 से 2020 तक तीन बार मिसेज राजस्थान का खिताब भी अपने नाम कर चुकी हैं. बॉडी बिल्डर प्रिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में अपने खेल के चुनौतीपूर्ण सफर को साझा किया.

Gold medalist in Body Building Priya
men's वर्ल्ड में अपना दम खम

प्रिया की जीत पर क्यों भारी बिकिनी- प्रिया के लिए जो बिकिनी उसके स्पोर्ट्स की कॉस्टूयम है, वह उसके कई रिश्तेदारों, दोस्तों और बाकी समाज के लिए बेशर्मी है. प्रिया कहती हैं कि जब मैं बॉडी-बिल्डिंग करने लगी तब लोगों ने मुझे काफी ताने दिए. दोस्त साथ छोड़ गए. रिश्तेदारों ने बुलाना बंद कर दिया. कुछ कहते थे कि बिकिनी में खड़ी हो जाती हो, तुम्हें शर्म नहीं आती. यहां तक कि शुरुआती दिनों में कुछ खास रिश्तेदार नाराज थे और वे आज भी हैं. वे कहती हैं कि आप जहां हो वहां की ड्रेस में रहते हो. जब मैं जिम में ट्रेनर के रूप में होती हूं तो मुझे ट्रेनर वाली ड्रेस पहननी होती है, जब बॉडी बिल्डिंग के कॉम्पटीशन में भाग लेती हूं तो वहां बिकनी पहननी पड़ती है. गांव जाती हूं तो वहां आम महिलाओं की तरह साड़ी पहनकर घूंघट में रहती हूं. ये सही है कि मेरे बॉडी-बिल्डिंग में करियर बनाने की चाहत ने मेरी ड्रेसिंग स्टाइल को बदल दिया है जिसकी वजह से कुछ खास रिश्तेदार आज भी नाराज हैं. हालांकि प्रिया ने उनकी नाराजगी पर खुल कर कुछ कहने से इस लिए मना कर दिया क्योंकि वे भी उनके अपने हैं.

Gold medalist in Body Building Priya
सम्मान के पीछे लम्बा रहा संघर्ष

पति से पूछकर बॉडी बिल्डिंग में उतरी- घूंघट से बाहर आने से लेकर बिकनी में बॉडी बिल्डिंग तक के इस सफर में प्रिया ने हर मौके पर अपने पति की सलाह ली. प्रिया कहती हैं कि बॉडी-बिल्डिंग की शुरुआत ही पति और दोनों बच्चों से पूछकर की थी. उन्हें कोई एतराज नही था. उस वक्त मैंने उन्हें बताया था कि स्टेट चैंपियनशिप तक स्पोर्ट्स ब्रा और शॉर्ट्स पहन कर शामिल हो सकते हैं, लेकिन नेशनल और इंटरनेशनल चैंपियनशिप में शामिल होने के लिए बिकनी पहननी पड़ती है. मैं किस चैंपियनशिप की तैयारी करूं? तब बच्चों ने कहा कि खेलना ही है तो इंटरनेशनल चैंपियनशिप खेलो .

पढ़ें-थाईलैंड से लौटने पर बोली बॉडी बिल्डर दलित बेटी- घूंघट मेरी परंपरा, बिकनी मेरा कॉस्ट्यूम

अपनों से मिली हार का अफसोस- राजस्थान की प्रिया की कामयाबी की कहानी हर जुबान पर है. लेकिन इतनी बड़ी जीत के बाद भी प्रिया की आंखों में जीत की चमक से ज्यादा अपनों से मिली उस हार का अफसोस है जिसमें प्रिया की कई बरसों की मेहनत है. आसमान छूती कामयाबी कपड़ों के सवाल पर आकर सिमट जाती है. राजस्थान में आज भी प्रिया की जीत से ज्यादा उसकी बिकनी के चर्चे हैं. प्रिया ने ईटीवी भारत से हुई बातचीत में जो कहा उसमें इस दर्द को पढ़ा जा सकता है. प्रिया कहती हैं कि हम दुनिया से जीत सकते हैं लेकिन अपनों के सामने हमेशा हारते हैं, आज मैं भी अपनों से हार रही हूं.

Gold medalist in Body Building Priya
पापा ने पूरा दिया साथ

हवाई जहाज में बैठना भी एक सपना था- मूल रूप से बीकानेर जिले की रहने वाली प्रिया कहती हैं कि एक छोटे से गांव से आती हैं जहां उन्हें समाज में छोटी जाति का कहा जाता है. आठ साल की उम्र में उनकी शादी हो गई फिर जल्दी ही दो बच्चे हो गए. परिवार की खराब आर्थिक हालात के चलते गांव से शहर में आ गए. कम पढ़ाई की वजह से नौकरी मिलना मुश्किल था, लेकिन कहते हैं न जब सब दरवाजे बंद होते हैं तो ईश्वर का दरवाजा कब किस रूप में खुलेगा कुछ नहीं कह सकते. मेरे लिए यही हुआ. प्रिया की लंबाई ने उसे नया मैदान दिया. कहती हैं-अच्छी लम्बाई की वजह से जिम में नौकरी मिल गई. नौकरी मिलने से ज्यादा जरूरी उसमें बने रहना था. कड़ी मेहनत की और जिम ट्रेनर बनी. प्रिया की आंखों में चमक आ जाती है जब कहती हैं कि गांव में जब आसमान में उड़ता हुआ प्लेन देखती तो सोचती क्या कभी इस हवाई जहाज में बैठ पाऊंगी. कभी सोचा नहीं था इस जन्म में ही ईश्वर ये ख्वाहिश भी पूरी कर देगा.

बालिका वधु से बॉडी बिल्डर का सफर- प्रिया की कहानी में ब्रेक जिम ट्रेनर बन जाने के साथ भी आ सकता था. लेकिन उसे हौसलों की उड़ान भरनी थी. प्रिया कहती हैं कि जब जिम में ट्रेनर के रूप में काम कर रही थीं तब कुछ साथियों से पता चला कि राजस्थान में कोई महिला बॉडी बिल्डर ही नहीं है तो तय किया ये खिताब तो अपने नाम करना है. बॉडी बिल्डिंग के लिए तैयारी की लगातार डाइट और अन्य बातों को ध्यान में रखकर दिन रात मेहनत में जुटी रही. 2018 में वह राजस्थान की पहली महिला बॉडी बिल्डर बनीं.

पापा को 6 महीने पहले पता लगा- प्रिया कहती हैं आज मेरी सफलता की अगर सबसे ज्यादा खुशी किसी को है तो मेरे पापा को. जब गोल्ड मेडल जीता तो पापा और मां मुझे लेने एयरपोर्ट आए. उनकी आंखों में खुशी कि ये चमक मेरे लिए गोल्ड मेडल से कहीं ज्यादा थी. मैं बॉडी बिल्डिंग करती हूं इसका पता मेरे पापा को 7 साल बाद यानी अभी 6 महीने पहले चला. पापा ने पूछा था छोरी तू कर क्या रही है, तेरी फोटो आ रही है समाचार में. तब मैंने कहा था पापा जो भी कर रही हूं उससे आप का नाम ही रोशन करूंगा.

प्रिया के पिता मोहन लाल कहते हैं कि बेटी ने मान बढ़ा दिया. मुझे पता भी नहीं चलने दिया और बेटी वो कर गई जिसकी उम्मीद कभी थी भी नहीं. बेटी जब थाईलैंड जा रही थी उससे कुछ दिन पहले ही पता चला कि प्रिया बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में जा रही है. पहले तो थोड़ा अजीब लगा कि जो काम लड़के करते हैं उसमें वो जा रही है, लेकिन प्रिया शुरू से ही मेहनती और जिद्दी रही है. जो ठान ले उसे कर के दिखाती है. इस बार भी उसने जो कहा वो कर दिखाया. मोहन लाल कहते हैं कि जब प्रिया थाईलैंड जा रही थी तब में पीछे से बच्चों के पास रहने 7 दिन के लिए जयपुर आया. किसी को नहीं कहा क्यों जा रहा हूं ,अब फख्र से कहता हूं बेटी खेलने गई थी इसलिए गया था.

बच्चों को मां पर गर्व है- इंटरनेशनल गोल्ड मेडलिस्ट प्रिया दो बच्चों की मां हैं. प्रिया की बेटी महक सिंह कहती हैं कि मां का जीवन भले ही संघर्ष वाला रहा हो लेकिन उन्होंने जो किया उस पर आज गर्व है. अच्छा लगता है जब दोस्त पूछते हैं कि वो बॉडी बिल्डर आप की मां हैं? महक कहती हैं कि उनकी मां उनके लिए ही नहीं बल्कि समाज की हर उस महिला के लिए प्रेरणा हैं जो परिस्थितियों से लड़ रही हैं.

प्रिया सिंह मेघवाल ने बताई कामयाबी की कहानी

जयपुर. राजस्थान की पहली महिला बॉडी बिल्डर प्रिया सिंह ने एक बार फिर राजस्थान का नाम विश्व पटल पर रोशन किया. थाईलैंड के पटाया में आयोजित हुई 39वीं अंतर्राष्ट्रीय महिला बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में प्रिया ने गोल्ड मेडल जीता है (Gold medalist in Body Building Priya), लेकिन यहां तक पहुंचना भी प्रिया के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था. जिस समाज की दहलीज लांघकर वह पटाया पहुंची थीं वहां घूंघट से बाहर औरत को चेहरा दिखाना भी गुनाह है. सोचिए वहां बॉडी बिल्डिग के लिए बांहों और जांघों की मासपेशियां दिखाने में प्रिया ने कितनी बंदिशें लांघी होंगी. प्रिया साल 2018 से 2020 तक तीन बार मिसेज राजस्थान का खिताब भी अपने नाम कर चुकी हैं. बॉडी बिल्डर प्रिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में अपने खेल के चुनौतीपूर्ण सफर को साझा किया.

Gold medalist in Body Building Priya
men's वर्ल्ड में अपना दम खम

प्रिया की जीत पर क्यों भारी बिकिनी- प्रिया के लिए जो बिकिनी उसके स्पोर्ट्स की कॉस्टूयम है, वह उसके कई रिश्तेदारों, दोस्तों और बाकी समाज के लिए बेशर्मी है. प्रिया कहती हैं कि जब मैं बॉडी-बिल्डिंग करने लगी तब लोगों ने मुझे काफी ताने दिए. दोस्त साथ छोड़ गए. रिश्तेदारों ने बुलाना बंद कर दिया. कुछ कहते थे कि बिकिनी में खड़ी हो जाती हो, तुम्हें शर्म नहीं आती. यहां तक कि शुरुआती दिनों में कुछ खास रिश्तेदार नाराज थे और वे आज भी हैं. वे कहती हैं कि आप जहां हो वहां की ड्रेस में रहते हो. जब मैं जिम में ट्रेनर के रूप में होती हूं तो मुझे ट्रेनर वाली ड्रेस पहननी होती है, जब बॉडी बिल्डिंग के कॉम्पटीशन में भाग लेती हूं तो वहां बिकनी पहननी पड़ती है. गांव जाती हूं तो वहां आम महिलाओं की तरह साड़ी पहनकर घूंघट में रहती हूं. ये सही है कि मेरे बॉडी-बिल्डिंग में करियर बनाने की चाहत ने मेरी ड्रेसिंग स्टाइल को बदल दिया है जिसकी वजह से कुछ खास रिश्तेदार आज भी नाराज हैं. हालांकि प्रिया ने उनकी नाराजगी पर खुल कर कुछ कहने से इस लिए मना कर दिया क्योंकि वे भी उनके अपने हैं.

Gold medalist in Body Building Priya
सम्मान के पीछे लम्बा रहा संघर्ष

पति से पूछकर बॉडी बिल्डिंग में उतरी- घूंघट से बाहर आने से लेकर बिकनी में बॉडी बिल्डिंग तक के इस सफर में प्रिया ने हर मौके पर अपने पति की सलाह ली. प्रिया कहती हैं कि बॉडी-बिल्डिंग की शुरुआत ही पति और दोनों बच्चों से पूछकर की थी. उन्हें कोई एतराज नही था. उस वक्त मैंने उन्हें बताया था कि स्टेट चैंपियनशिप तक स्पोर्ट्स ब्रा और शॉर्ट्स पहन कर शामिल हो सकते हैं, लेकिन नेशनल और इंटरनेशनल चैंपियनशिप में शामिल होने के लिए बिकनी पहननी पड़ती है. मैं किस चैंपियनशिप की तैयारी करूं? तब बच्चों ने कहा कि खेलना ही है तो इंटरनेशनल चैंपियनशिप खेलो .

पढ़ें-थाईलैंड से लौटने पर बोली बॉडी बिल्डर दलित बेटी- घूंघट मेरी परंपरा, बिकनी मेरा कॉस्ट्यूम

अपनों से मिली हार का अफसोस- राजस्थान की प्रिया की कामयाबी की कहानी हर जुबान पर है. लेकिन इतनी बड़ी जीत के बाद भी प्रिया की आंखों में जीत की चमक से ज्यादा अपनों से मिली उस हार का अफसोस है जिसमें प्रिया की कई बरसों की मेहनत है. आसमान छूती कामयाबी कपड़ों के सवाल पर आकर सिमट जाती है. राजस्थान में आज भी प्रिया की जीत से ज्यादा उसकी बिकनी के चर्चे हैं. प्रिया ने ईटीवी भारत से हुई बातचीत में जो कहा उसमें इस दर्द को पढ़ा जा सकता है. प्रिया कहती हैं कि हम दुनिया से जीत सकते हैं लेकिन अपनों के सामने हमेशा हारते हैं, आज मैं भी अपनों से हार रही हूं.

Gold medalist in Body Building Priya
पापा ने पूरा दिया साथ

हवाई जहाज में बैठना भी एक सपना था- मूल रूप से बीकानेर जिले की रहने वाली प्रिया कहती हैं कि एक छोटे से गांव से आती हैं जहां उन्हें समाज में छोटी जाति का कहा जाता है. आठ साल की उम्र में उनकी शादी हो गई फिर जल्दी ही दो बच्चे हो गए. परिवार की खराब आर्थिक हालात के चलते गांव से शहर में आ गए. कम पढ़ाई की वजह से नौकरी मिलना मुश्किल था, लेकिन कहते हैं न जब सब दरवाजे बंद होते हैं तो ईश्वर का दरवाजा कब किस रूप में खुलेगा कुछ नहीं कह सकते. मेरे लिए यही हुआ. प्रिया की लंबाई ने उसे नया मैदान दिया. कहती हैं-अच्छी लम्बाई की वजह से जिम में नौकरी मिल गई. नौकरी मिलने से ज्यादा जरूरी उसमें बने रहना था. कड़ी मेहनत की और जिम ट्रेनर बनी. प्रिया की आंखों में चमक आ जाती है जब कहती हैं कि गांव में जब आसमान में उड़ता हुआ प्लेन देखती तो सोचती क्या कभी इस हवाई जहाज में बैठ पाऊंगी. कभी सोचा नहीं था इस जन्म में ही ईश्वर ये ख्वाहिश भी पूरी कर देगा.

बालिका वधु से बॉडी बिल्डर का सफर- प्रिया की कहानी में ब्रेक जिम ट्रेनर बन जाने के साथ भी आ सकता था. लेकिन उसे हौसलों की उड़ान भरनी थी. प्रिया कहती हैं कि जब जिम में ट्रेनर के रूप में काम कर रही थीं तब कुछ साथियों से पता चला कि राजस्थान में कोई महिला बॉडी बिल्डर ही नहीं है तो तय किया ये खिताब तो अपने नाम करना है. बॉडी बिल्डिंग के लिए तैयारी की लगातार डाइट और अन्य बातों को ध्यान में रखकर दिन रात मेहनत में जुटी रही. 2018 में वह राजस्थान की पहली महिला बॉडी बिल्डर बनीं.

पापा को 6 महीने पहले पता लगा- प्रिया कहती हैं आज मेरी सफलता की अगर सबसे ज्यादा खुशी किसी को है तो मेरे पापा को. जब गोल्ड मेडल जीता तो पापा और मां मुझे लेने एयरपोर्ट आए. उनकी आंखों में खुशी कि ये चमक मेरे लिए गोल्ड मेडल से कहीं ज्यादा थी. मैं बॉडी बिल्डिंग करती हूं इसका पता मेरे पापा को 7 साल बाद यानी अभी 6 महीने पहले चला. पापा ने पूछा था छोरी तू कर क्या रही है, तेरी फोटो आ रही है समाचार में. तब मैंने कहा था पापा जो भी कर रही हूं उससे आप का नाम ही रोशन करूंगा.

प्रिया के पिता मोहन लाल कहते हैं कि बेटी ने मान बढ़ा दिया. मुझे पता भी नहीं चलने दिया और बेटी वो कर गई जिसकी उम्मीद कभी थी भी नहीं. बेटी जब थाईलैंड जा रही थी उससे कुछ दिन पहले ही पता चला कि प्रिया बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में जा रही है. पहले तो थोड़ा अजीब लगा कि जो काम लड़के करते हैं उसमें वो जा रही है, लेकिन प्रिया शुरू से ही मेहनती और जिद्दी रही है. जो ठान ले उसे कर के दिखाती है. इस बार भी उसने जो कहा वो कर दिखाया. मोहन लाल कहते हैं कि जब प्रिया थाईलैंड जा रही थी तब में पीछे से बच्चों के पास रहने 7 दिन के लिए जयपुर आया. किसी को नहीं कहा क्यों जा रहा हूं ,अब फख्र से कहता हूं बेटी खेलने गई थी इसलिए गया था.

बच्चों को मां पर गर्व है- इंटरनेशनल गोल्ड मेडलिस्ट प्रिया दो बच्चों की मां हैं. प्रिया की बेटी महक सिंह कहती हैं कि मां का जीवन भले ही संघर्ष वाला रहा हो लेकिन उन्होंने जो किया उस पर आज गर्व है. अच्छा लगता है जब दोस्त पूछते हैं कि वो बॉडी बिल्डर आप की मां हैं? महक कहती हैं कि उनकी मां उनके लिए ही नहीं बल्कि समाज की हर उस महिला के लिए प्रेरणा हैं जो परिस्थितियों से लड़ रही हैं.

Last Updated : Dec 30, 2022, 5:13 PM IST
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