डूंगरपुर. मानसून के साथ ही अब किसान खेतीबाड़ी में जुट जाएंगे और इसके साथ ही किसानों को सबसे बड़ी जरूरत खाद की होगी, लेकिन जिले में जरूरत से काफी कम (30 फीसदी) खाद ही अभी उपलब्ध है, जबकि कृषि विभाग के अधिकारी जरूरत के अनुसार खाद उपलब्ध होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन खाद की कमी होने पर किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
कोरोना काल के बीच किसान एक बार फिर खेतों में जुट गए हैं. मानसून के साथ ही किसान खेतों में खरीफ फसल की बुवाई कर देंगे और इसके बाद किसानों को खाद की जरूरत होगी. जिले में इस बार 1.34 लाख हेक्टेयर में खरीफ की बुवाई होगी और जिसके हिसाब से जिले को 1900 मीट्रिक टन खाद की जरूरत होगी, लेकिन जिले में अभी मौजूद खाद की स्थिति कुछ खास नहीं है. खाद जरूरत के अनुसार काफी कम उपलब्ध है.
पढ़ें- Weather Update: राजस्थान के इन जिलों में मंडरा रहे बादल, पाली में बरसे झमाझम
कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जिले को 700 मीट्रिक टन डीएपी और 1200 मीट्रिक टन यूरिया खाद की डिमांड है, यानी किसानों को खरीफ की फसल में यूरिया की जरूरत ज्यादा रहेगी, लेकिन जिले में अभी दोनों खाद के 300-300 मीट्रिक टन ही उपलब्ध है, जो जरूरत की मात्रा से काफी कम है. इसे लेकर कृषि विभाग के उपनिदेशक गौरीशंकर कटारा ने बताया कि बुवाई के साथ सबसे पहले डीएपी की जरूरत होगी. ऐसे में जरूरत के मुताबिक खाद उपलब्ध है. वहीं यूरिया की डिमांड बुवाई के 30 दिन बाद होगी. खाद की डिमांड भेज दी गई है जो जरूरत के अनुसार मिल जाएगा.
पोस मशीन से होगा खाद का वितरण
खाद के वितरण में पारदर्शिता को लेकर पोस मशीन के द्वारा वितरण किया जाएगा. क्रय-विक्रय सहकारी समिति लैम्प्स के माध्यम व अधिकृत दुकानों के द्वारा किसानों को खाद उपलब्ध होगा. राशन वितरण की तरह ही खाद भी पोस मशीन पर अंगूठे के माध्यम से दिया जाएगा, ताकि प्रत्येक किसान को खाद जरूरत के अनुसार मिल सकेगा. इसे लेकर क्रय विक्रय में वितरण की व्यवस्था भी शुरू कर दी है.