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10 साल से बेड़ियों में जकड़ी है कैलाश की जिंदगी, आर्थिक तंगी बनी 'आजादी' में रूकावट

दौसा में मानसिक रुप से विक्षिप्त व्यक्ति आर्थिक तंगी के चलते बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है. परिजनों ने उसे जंजीरों में जकड़ दिया है. पड़ोंसियों का कहना है कि वह खुले में रहने पर लोगों को हमला करके घायल कर देता है. प्रशासन ने पीड़ित परिवार की अब तक कोई सहायता नहीं की है.

कैलाश, मानसिक रोगी
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Published : Jul 19, 2019, 8:47 PM IST

दौसा. आर्थिक रुप से पिछड़े वर्ग के लिए कई योजनाएं संचालित हैं. जिनके जरिए केंद्र और राज्य की सरकार उनके विकास का दावा करती है. लेकिन इसकी हकीकत कुछ और ही है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं मानसिक रुप से विक्षिप्त एक व्यक्ति की है. जिसको परिवार की आर्थिक तंगी के चलते इलाज उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.

मामला दौसा जिले के सिकराय तहसील के नाहर खोहरा गांव का है. जहां मानसिक रूप से विक्षिप्त एक व्यक्ति पिछले 8-10 सालों से जानवरों से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है. नाहर खोरा गांव का कैलाश मीणा पिछले आठ-दस सालों से बेड़ियों से बंधा हुआ है जो कि बेड़ियों से बंधे जानवरों के साथ जानवरों से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है. रस्सी के सहारे बंधे जानवरों को तो फिर भी इधर-उधर घुमाने के लिए ले जाया जाता है. लेकिन बेड़ियों से बंधे कैलाश को तो इसकी इजाजत भी नहीं है.

मानसिक रुप से विक्षिप्त 10 साल से बेड़ियों में बंधकर बद्दतर जीवन जीने को मजबूर

कैलाश की पत्नी का कहना है तकरीबन 17 साल पहले कैलाश की मानसिक स्थिति खराब हो गई थी. जिसके बाद उन्होंने जयपुर के मनोरोग अस्पताल में उनका इलाज भी करवाया गया. लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वे उसे लंबे समय तक इलाज नहीं करवा पाए. इलाज बंद होने बाद उसकी मानसिक स्थिति अधिक खराब हो गई. वह एक खूंखार मनोरोगी बन गया. जिसके चलते उन्हें अब उसे लोहे की बेड़ियों में बांधकर रखा जाता है. वह गंदी गंदी गालियां देता है. वह हमला कर अब तक कई लोगों को घायल भी कर चुका है. ऐसे हालात में कैलाश व उसकी पत्नी की मदद करने के लिए ना ही कोई प्रशासन ने हाथ बढ़ाया और ना किसी सरकार ने कैलाश की मदद की है.

वहीं पड़ोसियों का कहना है कि अगर कैलाश गलती से खुल भी जाता है तो आने जाने वाले लोगों पर जानलेवा हमला करके उन्हें घायल कर देता है. वह हर समय किस को भी देख कर उसके पत्थर मारता है. जिस कारण उसके घर की तरफ आने में भी लोगों को अब डर लगने लगा है. पिछले कई सालों से बच्चे वह महिलाएं कैलाश के घर की तरफ आने में भी डरती है.

दौसा. आर्थिक रुप से पिछड़े वर्ग के लिए कई योजनाएं संचालित हैं. जिनके जरिए केंद्र और राज्य की सरकार उनके विकास का दावा करती है. लेकिन इसकी हकीकत कुछ और ही है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं मानसिक रुप से विक्षिप्त एक व्यक्ति की है. जिसको परिवार की आर्थिक तंगी के चलते इलाज उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.

मामला दौसा जिले के सिकराय तहसील के नाहर खोहरा गांव का है. जहां मानसिक रूप से विक्षिप्त एक व्यक्ति पिछले 8-10 सालों से जानवरों से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है. नाहर खोरा गांव का कैलाश मीणा पिछले आठ-दस सालों से बेड़ियों से बंधा हुआ है जो कि बेड़ियों से बंधे जानवरों के साथ जानवरों से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है. रस्सी के सहारे बंधे जानवरों को तो फिर भी इधर-उधर घुमाने के लिए ले जाया जाता है. लेकिन बेड़ियों से बंधे कैलाश को तो इसकी इजाजत भी नहीं है.

मानसिक रुप से विक्षिप्त 10 साल से बेड़ियों में बंधकर बद्दतर जीवन जीने को मजबूर

कैलाश की पत्नी का कहना है तकरीबन 17 साल पहले कैलाश की मानसिक स्थिति खराब हो गई थी. जिसके बाद उन्होंने जयपुर के मनोरोग अस्पताल में उनका इलाज भी करवाया गया. लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वे उसे लंबे समय तक इलाज नहीं करवा पाए. इलाज बंद होने बाद उसकी मानसिक स्थिति अधिक खराब हो गई. वह एक खूंखार मनोरोगी बन गया. जिसके चलते उन्हें अब उसे लोहे की बेड़ियों में बांधकर रखा जाता है. वह गंदी गंदी गालियां देता है. वह हमला कर अब तक कई लोगों को घायल भी कर चुका है. ऐसे हालात में कैलाश व उसकी पत्नी की मदद करने के लिए ना ही कोई प्रशासन ने हाथ बढ़ाया और ना किसी सरकार ने कैलाश की मदद की है.

वहीं पड़ोसियों का कहना है कि अगर कैलाश गलती से खुल भी जाता है तो आने जाने वाले लोगों पर जानलेवा हमला करके उन्हें घायल कर देता है. वह हर समय किस को भी देख कर उसके पत्थर मारता है. जिस कारण उसके घर की तरफ आने में भी लोगों को अब डर लगने लगा है. पिछले कई सालों से बच्चे वह महिलाएं कैलाश के घर की तरफ आने में भी डरती है.

Intro: सरकार व प्रशासन की अनदेखी व गरीबी के शिकार के चलते पिछले 10 सालों से बेड़ियों में जकड़ कर जानवरों के साथ बंधा कैलाश जानवरों से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है ।


Body:दौसा जहां देश और प्रदेश की सरकारें गरीबों के लिए हर संभव प्रयास करने व आए दिन नई नई योजनाओं से गरीबों को लाभान्वित करवाने का दावा करती है लेकिन इन योजनाओं से लाभान्वित होने वाले लोगों की जमीनी हकीकत देखे तो कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनको सरकार के निशुल्क जांच और दवाई योजना का तक लाभ नहीं मिल पा रहा । मामला दौसा जिले के सिकराय तहसील के नाहर खोहरा गांव का है जहां मानसिक रूप से विक्षिप्त एक व्यक्ति पिछले तकरीबन 8 से 10 सालों से जानवरों से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है नाहर खोरा गांव का कैलाश मीणा पिछले आठ-दस सालों से बेड़ियों से बंधा हुआ है। जो कि बेड़ियों से बंधे जानवरों के साथ जानवरों से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है । एक तरफ जहां घर में बंधे जानवरों को तो रस्सी के सहारे इधर-उधर घुमाने ले जाते हैं लेकिन इस इंसान को 10 सालों से लोहे की बेड़ियों व बड़े-बड़े तालों के साथ में ऐसा जकड़ रखा गया है जो कि एक स्थान से दूसरे स्थान पर आना जाना तो दूर की बात है बेड़ियों में बंधे होने के कारण कैलाश का सीधा खड़ा भी नही हो सकता । कैलाश की पत्नी का कहना है तकरीबन 17 साल पहले कैलाश की मानसिक स्थिति खराब हो गई थी जिसके बाद उन्होंने जयपुर के मनोरोग अस्पताल में उनका इलाज भी करवाया गया । लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वे उसे लंबे समय तक इलाज नहीं करवा पाए और कैलाश को इलाज नहीं मिलने के कारण उसकी मानसिक स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती गई और वह एक खूंखार मनोरोगी बन गया । जिससे कि अब उसे लोहे की बेड़ियों में बांधकर रखा जाता है । उसकी पत्नी का कहना है कि वह उसके आसपास आने वाले लोगों को गंदी गंदी गालियों के साथ हमला करने का भी प्रयास करता है । यहां तक कि वह कभी खुल जाता है तो जो भी उसे दिखता है उसके ऊपर जानलेवा हमला कर देता है और उसने अपने इस हमले से कई लोगों को घायल भी किया है जिस कारण उसे हर समय बेड़ियों से बांधकर रखा जाता है । जिसके चलते कैलाश को जानवरों से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है । पीड़ित कैलाश की पत्नी का कहना है कि अपने पति का ठीक से इलाज करवाने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे जिसकी वजह से कैलाश का समय पर डॉक्टर इलाज नहीं हो पाया । जिस कारण आज वह जानवर से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है । ऐसे हालात में कैलाश व उसकी पत्नी की मदद करने के लिए ना ही कोई प्रशासन ने हाथ बढ़ाया और ना किसी सरकार ने कैलाश की मदद की । पड़ोसियों का कहना है कि यह यदि कैलाश गलती से खुल भी जाता है तो आने जाने वाले लोगों पर जानलेवा हमला करके उन्हें घायल कर देता है । वह हर समय किस को भी देख कर उसके पत्थर मारता है । जिस कारण उसके घर की तरफ आने में भी लोगों को अब डर लगने लगा है । पिछले कई सालों से बच्चे वह महिलाएं कैलाश के घर की तरफ आने में भी डरती है । लेकिन देखने वाली बात यह है कि गरीबों के लिए बड़े-बड़े दावे करने वाली सरकार व प्रशासनिक अधिकारियों को कैलाश के जानवर से भी बदतर जिंदगी भर कहीं तरस आता नजर नहीं आया ।
बाईट- पीड़ित कैलाश की पत्नी
बाईट- पीड़ित की पड़ोसी विमला


Conclusion:
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