अलवर. बालकनाथ के पिता सुभाष यादव ने बेटे के टिकट मिलने पर मिठाई बांटी और खुशियां मनाई. उन्होंने बताया कि नाथ सम्प्रदाय का विश्वप्रसिद्ध मठ स्थल बोहर का मठाधीश महंत बालकनाथ योगी अलवर जिले के वो बेटे है जिसने अलवर जिले का नाम पूरे विश्व में रोशन किया है.
अलवर जिले के बहरोड़ तहसील के कोहराना गांव में 16 अप्रैल 1984 को किसान परिवार में उर्मिला देवी और सुभाष यादव के यहां गुरुवार को महंत बालकनाथ योगी का जन्म हुआ. इनके दादाजी का नाम फूलचंद यादव और दादी का नाम संतरो देवी है. इनके दोनों चाचा डॉक्टर हैं. महंत बालकनाथ योगी के पिता सुभाष यादव जन-जन की आस्था के केंद्र नीमराना के बाबा खेतानाथ आश्रम में ब्रह्मलीन पूज्य बाबा खेतानाथ की सेवा करते थे.
महंत बालकनाथ योगी का जन्म गुरुवार को होने के कारण बचपन में उनका नाम बाबा खेतानाथ ने गुरुमुख रखा. बालक गुरूमुख के पिताजी सुभाष यादव ने उसके जन्म से पूर्व ही उसको जनकल्याण के लिए और आस्था के चलते संत बनने के लिए और गुरुओं की सेवा के लिए बाबा खेतानाथ को उसे अर्पित करने की सेवा आश्रम में बोल दी थी. जिसके बाद साढ़े 6 साल की उम्र में गुरुमुख को बाबा खेतानाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद गद्दी पर महंत हुए सोमनाथ को उनके परिवार ने सौंप दिया था.
ब्रह्मलीन महंत सोमनाथ ने शिक्षा दीक्षा के लिए बालक गुरूमुख को 6 महीने बाद ही स्थल बोहर रोहतक में ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ योगी के पास भेज दिया. जहां गुरुमुख की बच्चों जैसी चंचलता देख कर उसे बालकनाथ नाम से पुकारा जाने लगा और अलवर का यह बेटा महंत बालकनाथ योगी के नाम से ही विश्व में आज प्रसिद्ध हैं.
इसके बाद अलवर का बेटा गुरुमुख महंत बालकनाथ योगी बन गया. उन्होंने कठिन तपस्या , साधना की व मठ की सेवा करते हुए और नाथ सम्प्रदाय की परंपराओं को सीखते हुए गुरु के आदेश अनुसार कार्य किए और देश भर में विभिन्न आश्रमों में सेवा का दायित्व निभाया. महंत बालकनाथ योगी के गुरु ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ योगी जिनकी राजनैतिक कर्मभूमि अलवर रही वो बहरोड़ से विधायक रहे और अलवर से सांसद भी बने. लेकिन गम्भीर बीमारी के चलते महंत चांदनाथ योगी अलवर जिले के लोगों की आशा को पूरा नहीं कर सके जिसका गहरा दुःख उन्हें अंतिम समय में भी रहा.
अलवर की जनता का ऋण उतारने के लिए और अलवर जिले की सेवा के लिए महंत चांदनाथ योगी ने अपने ओजस्वी सुयोग्य शिष्य महंत बालकनाथ योगी को मठ की धार्मिक विरासत और अलवर की राजनैतिक विरासत का दायित्व सौंपा. ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ योगी के गुरु ब्रह्मलीन महंत श्रेयोनाथ ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता को दो बार विधानसभा चुनावों में पराजित किया और हरियाणा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री का दायित्व सफलता पूर्वक निभाया.
ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ योगी, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और योगगुरु बाबा रामदेव और देश भर के प्रमुख संतो की उपस्थिति में अलवर का बेटा गुरूमुख महंत बालकनाथ योगी के रूप में अस्थल बोहर का आठवां उत्तराधिकारी 29 जुलाई 2016 को घोषित किया गया. महंत चांदनाथ योगी 17 सितंबर 2017 को गम्भीर बीमारी के कारण ब्रह्मलीन हुए जिसके बाद महंत बालकनाथ योगी ने अस्थल बोहर के मठाधीश के रूप में नाथ सम्प्रदाय के सबसे बड़े मठ का दायित्व आठवें मठाधीश के रूप में संभाला.
वर्तमान में महंत बालकनाथ योगी आठवीं शताब्दी में स्थापित हरियाणा के रोहतक में 150 एकड़ भूमि में फैले हुए श्री बाबा मस्तनाथ मठ जो आध्यात्मिक, धर्मार्थ चिकित्सा और शैक्षणिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है, उसके मठाधीश हैं और बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं.
महंत बालकनाथ योगी के सानिध्य में वर्तमान में दो दर्जन से अधिक शैक्षणिक संस्थानों, चिकित्सालयों, गौशालाओं और धर्मशालाओं का सफलतापूर्वक संचालन देशभर में किया जा रहा है. महंत बालकनाथ योगी अखिल भारतीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ हैं जिसके अनुयायी पूरे विश्व भर में हैं.
महंत बालकनाथ योगी हिंदी, संस्कृत, राजस्थानी और पंजाबी भाषा के अच्छे जानकार हैं. महंत बालकनाथ योगी के अलवर जिले सहित पूरे राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, यूपी, उत्तराखंड सहित पूरे देश और विदेश में लाखों की संख्या में भक्त व श्रद्धालु हैं जिनकी महंत के प्रति बड़ी आस्था है.
महंत बालकनाथ योगी की यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और योगगुरू बाबा रामदेव सहित देश के प्रमुख संतों से नजदीकियां जगजाहिर हैं. महंत बालकनाथ योगी कहते हैं कि अलवर के बेटे का नाथ सम्प्रदाय के इतने बड़े मठ का मठाधीश होने और देश के प्रमुख लोगों से अच्छे सम्बंध होने का फायदा निश्चित ही अलवर जिले को मिलेगा.
महंत बालकनाथ योगी कहते है कि अलवर का विकास कर वो जन्मभूमि का ऋण उतारने का कार्य करेंगे और ब्रह्मलीन गुरु महंत चांदनाथ के मन में जो दुःख था अलवर के लोगों के प्यार का ऋण ना चुका पाने का उसे पूरा करने और अलवर के सुनियोजित तरीके से विकास को करने के लिए जन्मभूमि की सेवा में आये हैं.
महंत बालकनाथ योगी कहते है कि मेरे सांसद बनने पर अलवर का प्रत्येक व्यक्ति सांसद होगा जिसकी अनुभूति प्रत्येक व्यक्ति स्वयं करेगा और कहेगा. अलवर जो बाबा भर्तृहरि की तपोभूमि है जहां भगवान हनुमान आए. पांडव आए, बाबा धौंकलनाथ, बाबा खेतानाथ जी, बाबा गरीबनाथ और बाबा सोमनाथ जैसे संत हुए और नाथ सम्प्रदाय के लगभग 35 प्रमुख आश्रम जिले के विभिन्न क्षेत्रों में हैं जिनके प्रति आस्था सम्पूर्ण अलवर जिले की हैं. उस महान भूमि पर मुझे जन्म मिला यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है.
अलवर की तपोभूमि के कारण ही नाथ सम्प्रदाय की सबसे प्रमुख गद्दी का महंत बनने का सौभाग्य मिला है. अलवर रह कर अलवर की सेवा करूंगा और रोहतक में मठ के दायित्व को भी निभाउंगा लेकिन अलवर का यह बालक अलवर को रोहतक से जोड़ चुका है. आने वाले समय में अलवर का प्रत्येक व्यक्ति अपने आप कहेगा कि अलवर और रोहतक एक है.