जयपुर. "आंसूडा नीं सूखता, मनड़ो धेरै न धीर. मां ढेढे ताबूत में, दिसै न लाडल वीर" इन राजस्थानी पंक्तियों से कवयित्री सुशीला सिवरण ने जम्मू कश्मीर के पुलावामा में हुए आतंकी हमले में शहीद वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी. मौका था विश्व महिला दिवस के कार्यक्रम का, जहां पर राजस्थानी भाषा में कवि सम्मेलन 'झिणा सुरां री गूंज' का आयोजन किया गया.
बता दें कि कार्यक्रम में 12 कवित्रियों ने महिलाओं, बेटियों, मां और बहन सहित सभी रिश्तों को बड़ी बारीकी से पिरोया गया. बीकानेर की कवयित्री मोनिका गौड़ ने कहा कि जब मेरे आंगन में बेटी खेलती है तो वह एक भगवान के समान लगती है.
उन्होंने आगे अपने दोहों के माध्यम से देशभर में प्रचलित भ्रूण हत्या पर भी प्रश्न उठाते हुए बोला कि कोख में जन्म ले रही बेटी अपने निर्दयी पिता से कहती है कि तुम मुझे कोख में ही मार रहे हो, क्या तुम्हें ऐसा करते हुए शर्म नहीं आ रही. वहीं आखर संस्था के प्रमुख प्रमोद शर्मा ने बताया कि प्रदेशवासियों को हमारी राजस्थानी भाषा को खुलकर बोलना चाहिए.
राजस्थानी भाषा बोलने में किसी प्रकार की कोई हिचकिचाहट और शर्म नहीं होनी चाहिए. आज के लोग अगर खुलकर राजस्थानी भाषा को बोलेंगे तो निश्चित भाषा को मान्यता भी मिलेगी. आकाशवाणी के सहायक केंद्र निदेशक भीम प्रकाश शर्मा ने बताया कि राजस्थानी भाषा की व्याकरण के लिए सबसे पहले शब्द कोष होने चाहिए, वह भी विभिन्न भाषा में , जिसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर राजस्थानी भाषा को कोई नहीं रोक सकता.