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हरा-भरा राजस्थान : खराब हुए पौधों को रिप्लेस करेगा भीलवाड़ा वन विभाग...साथ ही 1.55 लाख नए पौधे भी लगाएगा - Special Story

भीलवाड़ा वन विभाग के पौधे लगाने के दावे धरातल पर फेल होते दिख रहे हैं. गत वर्ष लगाए गए पौधों में से 40 प्रतिशत भी समय पर देखरेख नहीं करने के कारण जीवित नहीं हैं. वहीं इस वर्ष वन विभाग एक लाख 55 हजार पौधे लगाने का दावे कर रहा है.

खराब हुए पौधों को रिप्लेस करेगा भीलवाड़ा वन विभाग
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Published : Jul 6, 2019, 6:47 PM IST

भीलवाड़ा. वर्षा ऋतु प्रारंभ होने के साथ ही वन विभाग भीलवाड़ा जिले में अधिक से अधिक पौधे लगाने की तैयारी कर रहा है. इस वर्ष एक लाख 55 हजार पौधे लगाने का दावा कर रहे हैं. विभाग भले ही पौधे लगाने के बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन बीते 5 वर्षों में भीलवाड़ा जिले में लगाए गए पौधे की समय पर देखभाल नहीं करने के कारण 40 प्रतिशत पौधे भी जीवित नहीं हैं. ऐसे में भीलवाड़ा वन विभाग जो इस बार पौधे लगाने का दावा कर रहा है उसकी कैसे समय पर देखभाल करेगा.

पौधे को लेकर पर्यावरणविद बाबूलाल जाजू ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा है कि राजस्थान में लोगों की धारणा है कि पूरे देश में राजस्थान को रेगिस्तान मानते हैं, वह गलत है. रेगिस्तान में अब हरियाली दिखने लगी है. वही जहां वन विभाग का सवाल है तो सरकार की नजर में वन विभाग विभाग नजर नहीं आता है. आजादी के समय राजस्थान में 13. 5 प्रतिशत वन हुआ करते थे. वर्तमान मे सरकार और वन विभाग की देखरेख नहीं होने के कारण वो 9.4 प्रतिशत रह गया.

वही वन क्षेत्र की सघनता की अगर बात करें तो पहले 0.8 प्रतिशत वन की सघनता थी. इस बार घटकर 0.2 प्रतिशत हो गई है. साथ ही लोगों में तो हरियाली बढ़ाने को लेकर चेतना जागी है जो की पौधे व टी गार्ड खरीद कर अधिक से अधिक पौधे लगा रहे हैं. जिससे हरियाली बढ़ रही है. जबकि जंगलों में वन विभाग की देखरेख न होने के कारण दर ब दर नुकसान होता जा रहा है. सरकार बड़े बड़े दावे करती है कि जंगल बढ़े हैं उनका दावा मिथ्या है.

जंगलों को बचाने के लिए पहले अधिकारी जंगल में जाते थे लेकिन अब अधिकारी एयर कंडीशनर कमरे में बैठकर जंगल बचाने की बात करते हैं जो बिल्कुल गलत है. वन विभाग में नोम्स तय है कि राजस्थान के 33 जिलों में पौधरोपण के लिए करोड़ों रुपए का बजट आवंटित करता है लेकिन अफसर पौधों की समय पर देखभाल नहीं करने के कारण 40 प्रतिशत पौधे भी जीवित नहीं रहते हैं इसमें अफसर की जवाबदेही तय होनी चाहिए और अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए। साथ ही अगर वन क्षेत्र बढ़ेगा तो पानी की समस्या दूर होगी.

खराब हुए पौधों को रिप्लेस करेगा भीलवाड़ा वन विभाग

वहीं भीलवाड़ा जिले में मुख्य उप वन संरक्षक ज्ञानचंद ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा जिले में वर्ष 2017 में एक लाख 15 हजार पौधे लगाए गए. वर्ष 2018 में 91हजार पौधे लगाए गए हैं. वहीं वर्ष 2019 में 1 लाख 55 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए वितरण जल्द ही शुरू हो जाएगा. वहीं इस वर्ष 2 लाख 60 हजार पौधे हमने तैयार कर रखे हैं जो जिले में वितरित किए जाएंगे.

वहीं पौधे सूखने के लिए सवाल पर कहा कि गर्मी के कारण यह पौधे सूख जाते हैं. हम नियमित देखभाल करते हैं और जहां पौधे सूखते हैं वहां हम रिप्लेसमेंट कर नए पौधे लगाते हैं. अब देखना यह होगा कि भीलवाड़ा वन विभाग इस बार जो पौधे वितरित करता है उसमें से भीलवाड़ा जिले में कितने पौधों की देखभाल करता है जिससे वह जीवित रखकर बड़े होकर फल छाया लोगों को दे सके.

भीलवाड़ा. वर्षा ऋतु प्रारंभ होने के साथ ही वन विभाग भीलवाड़ा जिले में अधिक से अधिक पौधे लगाने की तैयारी कर रहा है. इस वर्ष एक लाख 55 हजार पौधे लगाने का दावा कर रहे हैं. विभाग भले ही पौधे लगाने के बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन बीते 5 वर्षों में भीलवाड़ा जिले में लगाए गए पौधे की समय पर देखभाल नहीं करने के कारण 40 प्रतिशत पौधे भी जीवित नहीं हैं. ऐसे में भीलवाड़ा वन विभाग जो इस बार पौधे लगाने का दावा कर रहा है उसकी कैसे समय पर देखभाल करेगा.

पौधे को लेकर पर्यावरणविद बाबूलाल जाजू ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा है कि राजस्थान में लोगों की धारणा है कि पूरे देश में राजस्थान को रेगिस्तान मानते हैं, वह गलत है. रेगिस्तान में अब हरियाली दिखने लगी है. वही जहां वन विभाग का सवाल है तो सरकार की नजर में वन विभाग विभाग नजर नहीं आता है. आजादी के समय राजस्थान में 13. 5 प्रतिशत वन हुआ करते थे. वर्तमान मे सरकार और वन विभाग की देखरेख नहीं होने के कारण वो 9.4 प्रतिशत रह गया.

वही वन क्षेत्र की सघनता की अगर बात करें तो पहले 0.8 प्रतिशत वन की सघनता थी. इस बार घटकर 0.2 प्रतिशत हो गई है. साथ ही लोगों में तो हरियाली बढ़ाने को लेकर चेतना जागी है जो की पौधे व टी गार्ड खरीद कर अधिक से अधिक पौधे लगा रहे हैं. जिससे हरियाली बढ़ रही है. जबकि जंगलों में वन विभाग की देखरेख न होने के कारण दर ब दर नुकसान होता जा रहा है. सरकार बड़े बड़े दावे करती है कि जंगल बढ़े हैं उनका दावा मिथ्या है.

जंगलों को बचाने के लिए पहले अधिकारी जंगल में जाते थे लेकिन अब अधिकारी एयर कंडीशनर कमरे में बैठकर जंगल बचाने की बात करते हैं जो बिल्कुल गलत है. वन विभाग में नोम्स तय है कि राजस्थान के 33 जिलों में पौधरोपण के लिए करोड़ों रुपए का बजट आवंटित करता है लेकिन अफसर पौधों की समय पर देखभाल नहीं करने के कारण 40 प्रतिशत पौधे भी जीवित नहीं रहते हैं इसमें अफसर की जवाबदेही तय होनी चाहिए और अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए। साथ ही अगर वन क्षेत्र बढ़ेगा तो पानी की समस्या दूर होगी.

खराब हुए पौधों को रिप्लेस करेगा भीलवाड़ा वन विभाग

वहीं भीलवाड़ा जिले में मुख्य उप वन संरक्षक ज्ञानचंद ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा जिले में वर्ष 2017 में एक लाख 15 हजार पौधे लगाए गए. वर्ष 2018 में 91हजार पौधे लगाए गए हैं. वहीं वर्ष 2019 में 1 लाख 55 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए वितरण जल्द ही शुरू हो जाएगा. वहीं इस वर्ष 2 लाख 60 हजार पौधे हमने तैयार कर रखे हैं जो जिले में वितरित किए जाएंगे.

वहीं पौधे सूखने के लिए सवाल पर कहा कि गर्मी के कारण यह पौधे सूख जाते हैं. हम नियमित देखभाल करते हैं और जहां पौधे सूखते हैं वहां हम रिप्लेसमेंट कर नए पौधे लगाते हैं. अब देखना यह होगा कि भीलवाड़ा वन विभाग इस बार जो पौधे वितरित करता है उसमें से भीलवाड़ा जिले में कितने पौधों की देखभाल करता है जिससे वह जीवित रखकर बड़े होकर फल छाया लोगों को दे सके.

Intro:भीलवाड़ा - भीलवाड़ा वन विभाग के पौधे लगाने के दावे धरातल पर फेल होते दिख रहे हैं । गत वर्ष लगाए गए पौधे 40 प्रतिशत भी समय पर देखरेख नहीं करने के कारण जीवित नहीं है । वहीं इस वर्ष वन विभाग एक लाख 55 हजार पौधे लगाने का दावे कर रहा है।


Body:वर्षा ऋतु प्रारंभ होने के साथ ही भीलवाड़ा वन विभाग भीलवाड़ा जिले में अधिक से अधिक पौधे लगाने की तैयारी कर रहा है इस वर्ष एक लाख 55 हजार पौधे लगाने का दावा कर रहे हैं।
विभाग भले ही पौधे लगाने के बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन बीते 5 वर्षों में भीलवाड़ा जिले में लगाए गए पौधे की समय पर देखभाल नहीं करने के कारण 40 प्रतिशत पौधे भी जीवित नहीं है ऐसे में भीलवाड़ा वन विभाग जो इस बार पौधे लगाने का दावा कर रहा है उसकी कैसे समय पर देखभाल करेगा।

पौधे को लेकर पर्यावरणविद बाबूलाल जाजू ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा है कि राजस्थान में लोगों की धारणा है कि पूरे देश में राजस्थान को रेगिस्तान मानते हैं व गलत है । रेगिस्तान में अब हरियाली दिखने लगी है । वही जहा वन विभाग का सवाल है तो सरकार की नजर में वन विभाग विभाग नजर नहीं आता है । आजादी के समय राजस्थान में 13. 5 प्रतिशत वन हुआ करते थे वर्तमान मे सरकार व वन विभाग की देखरेख नहीं होने के कारण नो 9.4 प्रतिशत रह गया । वही वन क्षेत्र की सघनता की अगर बात करें तो पहले 0.8 प्रतिशत वन की सघनता थी इस बार घटकर 0.2 प्रतिशत हो गई है । साथ ही लोगों में तो हरियाली बढ़ाने को लेकर चेतना जगी है जो की पौधे व टी गार्ड खरीद कर अधिक से अधिक पौधे लगा रहे हैं । जिससे हरियाली बढ़ रही है । जबकि जंगलों में वन विभाग की देखरेख न होने के कारण दर ब दर नुकसान होता जा रहा है । सरकार बड़े बड़े दावे करती है कि जंगल बढ़े हैं उनका दावा मिथ्या है। जंगलों को बचाने के लिए पहले अधिकारी जंगल में जाते थे लेकिन अब अधिकारी एयर कंडीशनर कमरे में बैठकर जंगल बचाने की बात करते हैं जो बिल्कुल गलत है । वन विभाग में नोम्स तय है कि राजस्थान के 33 जिलों में पौधरोपण के लिए करोड़ों रुपए का बजट आवंटित करता है लेकिन अफसर पौधों की समय पर देखभाल नहीं करने के कारण 40 प्रतिशत पौधे भी जीवित नहीं रहते हैं इसमें अफसर की जवाबदेही तय होनी चाहिए और अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए। साथ ही अगर वन क्षेत्र बढ़ेगा तो पानी की समस्या दूर होगी।

वही भीलवाड़ा जिले में मुख्य उप वन संरक्षक ज्ञानचंद ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा जिले में वर्ष 2017 में एक लाख 15 हजार पौधे लगाए गए । वर्ष 2018 में 91 पौधे लगाए गए हैं । वहीं वर्ष 2019 में 1 लाख 55 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए वितरण जल्द ही शुरू हो जाएगा। वहीं इस वर्ष 2 लाख 60 हजार पौधे हमने तैयार कर रखे हैं जो जिले में वितरित किए जाएंगे।
वहीं पौधे सूखने के लिए सवाल पर कहा कि गर्मी के कारण यह पौधे सुख जाते हैं हम नियमित देखभाल करते हैं और जहां पौधे सूखते हैं वहां हम रिप्लेसमेंट कर नए पौधे लगाते हैं ।

अब देखना यह होगा कि भीलवाड़ा वन विभाग इस बार जो पौधे वितरित करता है उसमें से भीलवाड़ा जिले में कितने पौधों की देखभाल करता है जिससे वह जीवित रखकर बड़े होकर फल छाया लोगों को दे सके।

सोमदत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा

बाईट- बाबुलाल जाजु
पर्यावरण विद

ज्ञानचन्द
उप वन संरक्षक , भीलवाड़ा

पीटीसी- सोमदत त्रिपाठी


Conclusion:
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