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आज भगवान गणेश की करें पूजा, जिंदगी में होगा सब मंगल

हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान गणेश का आशीर्वाद अत्यंत ही अनिवार्य है. भगवान गणेश की पूजा आराधना करने से भक्तों को कई तरह से लाभ मिलता है. इससे जातक की बुद्धिमत्ता और ज्ञान में वृद्धि होती है, उसके जीवन के सभी कष्ट भी स्वत: ही दूर हो जाते हैं.

भगवान गणेश
भगवान गणेश
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Published : May 17, 2023, 6:45 AM IST

Updated : May 17, 2023, 6:51 AM IST

बीकानेर. जन्म कुंडली में बुध ग्रह का अच्छे स्थान पर होना व्यक्ति के अच्छे लेखक, पत्रकार, शिक्षाविद, संगीतज्ञ, गायक होने का सूचक है. बुध ग्रह उच्च स्थान पर होने से जातक को लाभ ही लाभ होता है. यदि किसी जातक की कुंडली में बुध ग्रह उच्च स्थान पर है तो वो अपनी वाणी के माध्यम से आगे बढ़ता है. जन्म कुंडली में बुध ग्रह का दोष हो तो जातक को उसके लिए उपाय करना चाहिए. वो उपाय भी काफी सरल है. बुध ग्रह के दोष को खत्म या कम करने के लिए बुधवार के दिन गाय को हरा चारा अवश्य ही खिलाएं. यदि कोई किन्नर आपको बुधवार के दिन नजर आए तो उसको अवश्य ही कुछ भेंट दें.

प्रथम पूज्य की पूजा से करें हर काम : मांगलिक कार्य, विशेष पूजा, अनुष्ठान या नए व्यापार के आरंभ में भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है. बता दें कि देवताओं में गणेश जी को प्रथम पूज्य कहा जाता है. बुधवार के दिन भगवान गणेश जी का स्मरण और 108 नाम का जाप करते हुए उनकी पूजा करनी चाहिए. यदि ये संभव न हो तो उनके 12 नामों का स्मरण तो अवश्य ही करें. गणेश जी की पूजा करते समय गणेश चालीसा, द्वादश नामों, गणेश अथर्वशीष, गणेश आरती और मंत्रों का जाप करें.

संकट मुक्ति के लिए करें पाठ : गणेश जी की पूजा के समय और किसी भी संकट से निवारण के लिए संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें तो उसके जीवन में सुख-समृद्धि आती है. साथ ही जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।

श्रीसंकटनाशन गणेश स्त्रोत : प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् । भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुष्कामार्थसिद्धये ॥ १ ॥ प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् । तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥ २ ॥ लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च । सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ॥ ३॥ नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् । एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ॥ ४ ॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम् ॥५॥ विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् । पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥ ६ ॥ जपेद् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत् । संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ॥ ७ ॥ अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत् । तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥ ८ श्रीनारदपुराणे सङ्कष्टनाशनं नाम गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

बीकानेर. जन्म कुंडली में बुध ग्रह का अच्छे स्थान पर होना व्यक्ति के अच्छे लेखक, पत्रकार, शिक्षाविद, संगीतज्ञ, गायक होने का सूचक है. बुध ग्रह उच्च स्थान पर होने से जातक को लाभ ही लाभ होता है. यदि किसी जातक की कुंडली में बुध ग्रह उच्च स्थान पर है तो वो अपनी वाणी के माध्यम से आगे बढ़ता है. जन्म कुंडली में बुध ग्रह का दोष हो तो जातक को उसके लिए उपाय करना चाहिए. वो उपाय भी काफी सरल है. बुध ग्रह के दोष को खत्म या कम करने के लिए बुधवार के दिन गाय को हरा चारा अवश्य ही खिलाएं. यदि कोई किन्नर आपको बुधवार के दिन नजर आए तो उसको अवश्य ही कुछ भेंट दें.

प्रथम पूज्य की पूजा से करें हर काम : मांगलिक कार्य, विशेष पूजा, अनुष्ठान या नए व्यापार के आरंभ में भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है. बता दें कि देवताओं में गणेश जी को प्रथम पूज्य कहा जाता है. बुधवार के दिन भगवान गणेश जी का स्मरण और 108 नाम का जाप करते हुए उनकी पूजा करनी चाहिए. यदि ये संभव न हो तो उनके 12 नामों का स्मरण तो अवश्य ही करें. गणेश जी की पूजा करते समय गणेश चालीसा, द्वादश नामों, गणेश अथर्वशीष, गणेश आरती और मंत्रों का जाप करें.

संकट मुक्ति के लिए करें पाठ : गणेश जी की पूजा के समय और किसी भी संकट से निवारण के लिए संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें तो उसके जीवन में सुख-समृद्धि आती है. साथ ही जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।

श्रीसंकटनाशन गणेश स्त्रोत : प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् । भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुष्कामार्थसिद्धये ॥ १ ॥ प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् । तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥ २ ॥ लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च । सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ॥ ३॥ नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् । एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ॥ ४ ॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम् ॥५॥ विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् । पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥ ६ ॥ जपेद् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत् । संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ॥ ७ ॥ अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत् । तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥ ८ श्रीनारदपुराणे सङ्कष्टनाशनं नाम गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

Last Updated : May 17, 2023, 6:51 AM IST
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