भीलवाड़ा. राजस्थान में पहली बार तितलियों की गिनती की जा रही है. जहां राजस्थान में अब तक 60 प्रजाति की तितलियों की गिनती की जा चुकी है. जिसके फोटोग्राफ भी प्राप्त कर लिए हैं.
माणिक्य लाल वर्मा राजकीय महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनिल त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि देश में पहली बार काफी समय बाद तितलियों की गिनती हो रही है, जहां एक प्रजाति तो राजस्थान में पहली बार मिली है. प्रकृति में रंग भरने वाली करीब 60 प्रजाति की तितलियां भीलवाड़ा के माणिक्य लाल वर्मा राजकीय महाविद्यालय के प्राणी शास्त्र विभाग में कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनिल त्रिपाठी ने पंजीकृत की है. यह तितलियां एक फूल से दूसरे फूल पर पहुंचकर परागण में सक्रिय है. माणिक्य लाल वर्मा ने बताया कि तितलियां हमारी जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अनिवार्य जीव है.
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माना जाता कि इनका अस्तित्व पृथ्वी पर करीब 5 करोड़ वर्ष या उससे भी पहले से हैं. विश्व में तितलियां में पतंगों की ढाई लाख से अधिक प्रजातियां हैं, जो अब तक की ज्ञात प्रजातियों में से एक चौथाई के बराबर है. भीलवाड़ा में जलधारा विकास संस्थान और प्राणी शास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर ने बताया कि तीन महीने में 60 प्रत्याशियों की तितलियों की गणना की जा चुकी है. इसमें मुख्यता कॉमनग्रास यलो, प्लेन टाइगर, कामन लेपर्ड, लेमन फैंसी, पेन्टेड लेडी, जेजाबेल, ब्लू पेन्सी, यलो पेन्सी, टोनी कोस्टर, ब्लू टाइगर और लेमन फैंसी सहित विभिन्न प्रजाति की पाई जाती है.
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प्रोफेसर डॉ अनिल त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि एनसीबीसी और जलधारा विकास संस्थान की ओर से राजस्थान में सितंबर माह में तितलियों की गणना करवाई जा रही है. पहले राजस्थान में डॉक्टर एन एम त्रिगुणायत ने एक पुस्तक पब्लिश करवाई थी. जिसमें राजस्थान में 125 प्रजाति की तितलियां की गणना बताई गई थी. वर्तमान में 3 महीने में हम गणना कर रहे हैं जहां भीलवाड़ा में 60 प्रजाति की तितलियां प्राप्त हुई है.
दूसरे जिलों में 36 यानी राजस्थान में 96 प्रजाति की तितलियों की फोटोग्राफी रिपोर्ट संलग्न कर ली है. एक तितली तो पूरे भारत में पहली बार राजस्थान में फोटोग्राफ प्राप्त हुआ है. जिसका नाम है 'स्पाइला डोरेंस इरांडा', यह जैसलमेर में मिली है. यह पहले 67 वर्ष पहले गुजरात के डिसा में मिली थी. साथ ही अभी दो तितलियां और खोजी गई है.