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बदहाली के आंसू रो रहा अजमेर का लवकुश गार्डन - अजमेर नगर निगम

अजमेर का लव कुश गार्डन अपने बदहाली के आंसू रो रहा है. अपने बदरंग चेहरे के साथ लवकुश गार्डन खानाबदोश और नशेड़ियों के लिए पसंदीदा जगह बन गई है. प्रशासन स्मार्ट सिटी की ओर कदम बढ़ाने जा रही है लेकिन उजड़ते गार्डन की कोई सुध लेने वाला नहीं. जनप्रतिनिधियों की अनदेखी की वजह से धीरे-धीरे यह बदहाली का शिकार होता चला गया.

बदहाली के आंसू रो रहा अजमेर का लवकुश गार्डन
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Published : May 17, 2019, 11:53 AM IST

अजमेर. शहर को स्मार्ट सिटी बनाए जाने की कवायद पिछले 3 वर्ष से की जा रही है. इसके लिए 1947 करोड़ रुपए स्वीकृत भी किए गए हैं. स्मार्ट सिटी होने जा रहे अजमेर का एक बदरंग रूप भी है जो प्रशासन की घोर अनदेखी का शिकार है. खूबसूरत आनासागर झील से सटे लव कुश गार्डन की बदहाली अजमेर के विकास में फिक्र मंद होने का दावा करने वाले जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को दिखाई नहीं देती.

अजमेर में उत्तर विधानसभा क्षेत्र में आनासागर झील के किनारे कभी अपनी खूबसूरती से लव कुश गार्डन पर्यटकों को आकर्षित करता था. मगर आज हालात यह है कि लव कुश गार्डन से नशेड़ी और खानाबदोश प्रभावित हो रहे हैं. गार्डन का मुख्य दरवाजा टूटा है. महापुरुषों के चित्रों और उनके विचार स्लोगन की लगाई गई प्रदर्शनियों से चित्र ही गायब हो गए हैं. रोशनी के लिए सोलर से लाइट लगाई गई थी जो धराशाई पड़ी है. गार्डन के बीचो-बीच भारत माता की दीवार पर बनी मूर्ति का रंग फीका पड़ गया है.

बदहाली के आंसू रो रहा अजमेर का लवकुश गार्डन

यही नहीं फव्वारों के आसपास पौधे उग आए हैं. हर तरफ गंदे कपड़े और गंदगी का आलम है. गार्डन की सुध लेने वाला कोई नहीं है इसलिए खानाबदोश और नशेडियो के लिए लव कुश गार्डन पसंदीदा जगह बन गई है. क्षेत्र के विधायक वासुदेव देवनानी है जो पाठ्यक्रम में अकबर की जगह महाराणा प्रताप को महान बताने की बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन खुद के क्षेत्र में स्थित लव कुश गार्डन की सुंदरता और गार्डन में लगी महापुरुषों से जुड़ी प्रदर्शनियो को बचा नहीं सके.

सन 1994 में करोड़ों रुपए खर्च करके गार्डन को खूबसूरत बनाया गया था. लोगों के ज्ञान वर्धन के लिए महापुरुषों की प्रदर्शनी लगाई गई थी लेकिन वर्षो से गार्डन की अनदेखी की वजह से सब कुछ तबाह हो गया है. स्थानीय गोपाल बंजारा ने कहा कि प्रशासनिक अनदेखी की वजह से गार्डन अपनी खूबसूरती खो चुका है.

लव कुश गार्डन को बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका वसुंधरा सरकार में राज्य धरोहर परिणति संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत की रही है. उस वक्त लखावत अजमेर सुधार न्यास के अध्यक्ष थे तब यह गार्डन अपनी खूबसूरती से पहचाना जाता था मगर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी की वजह से धीरे-धीरे बदहाली का शिकार होता चला गया. क्षेत्र के 4 बार लगातार विधायक रहे वासुदेव देवनानी ने भी कभी लव कुश गार्डन की सुध नहीं ली. अब जब स्मार्ट सिटी को लेकर शहर के विकास के दावे किए जा रहे हैं तो इन दावों की पोल लव कुश गार्डन खोल रहा है.

स्मार्ट सिटी के तहत गार्डन में आना सागर से सटाकर फूड कोर्ट खोला गया है मगर दिया तले अंधेरा प्रशासन को भी दिखाई नहीं दे रहा है. तबाह हो रहा लव कुश गार्डन स्मार्ट सिटी होने जा रहे अजमेर का बदरंग चेहरा बन चुका है. स्थानीय मुकेश और गोपाल बंजारा बताते है कि नए विकास के साथ साथ पुराने सार्वजनिक स्थानों की भी प्रशासन को सुध लेनी चाहिए .
एक कहावत है सागर के पास रहकर भी प्यासा. ऐसे ही लव कुश गार्डन के हालात हैं. आनासागर पानी से लबालब है लेकिन गार्डन में घास और पौधे सूख रहे हैं. गार्डन के हालात देखकर साफ नजर आता है कि वर्षों से इसकी कोई सुध नहीं ली गई है.

अजमेर. शहर को स्मार्ट सिटी बनाए जाने की कवायद पिछले 3 वर्ष से की जा रही है. इसके लिए 1947 करोड़ रुपए स्वीकृत भी किए गए हैं. स्मार्ट सिटी होने जा रहे अजमेर का एक बदरंग रूप भी है जो प्रशासन की घोर अनदेखी का शिकार है. खूबसूरत आनासागर झील से सटे लव कुश गार्डन की बदहाली अजमेर के विकास में फिक्र मंद होने का दावा करने वाले जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को दिखाई नहीं देती.

अजमेर में उत्तर विधानसभा क्षेत्र में आनासागर झील के किनारे कभी अपनी खूबसूरती से लव कुश गार्डन पर्यटकों को आकर्षित करता था. मगर आज हालात यह है कि लव कुश गार्डन से नशेड़ी और खानाबदोश प्रभावित हो रहे हैं. गार्डन का मुख्य दरवाजा टूटा है. महापुरुषों के चित्रों और उनके विचार स्लोगन की लगाई गई प्रदर्शनियों से चित्र ही गायब हो गए हैं. रोशनी के लिए सोलर से लाइट लगाई गई थी जो धराशाई पड़ी है. गार्डन के बीचो-बीच भारत माता की दीवार पर बनी मूर्ति का रंग फीका पड़ गया है.

बदहाली के आंसू रो रहा अजमेर का लवकुश गार्डन

यही नहीं फव्वारों के आसपास पौधे उग आए हैं. हर तरफ गंदे कपड़े और गंदगी का आलम है. गार्डन की सुध लेने वाला कोई नहीं है इसलिए खानाबदोश और नशेडियो के लिए लव कुश गार्डन पसंदीदा जगह बन गई है. क्षेत्र के विधायक वासुदेव देवनानी है जो पाठ्यक्रम में अकबर की जगह महाराणा प्रताप को महान बताने की बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन खुद के क्षेत्र में स्थित लव कुश गार्डन की सुंदरता और गार्डन में लगी महापुरुषों से जुड़ी प्रदर्शनियो को बचा नहीं सके.

सन 1994 में करोड़ों रुपए खर्च करके गार्डन को खूबसूरत बनाया गया था. लोगों के ज्ञान वर्धन के लिए महापुरुषों की प्रदर्शनी लगाई गई थी लेकिन वर्षो से गार्डन की अनदेखी की वजह से सब कुछ तबाह हो गया है. स्थानीय गोपाल बंजारा ने कहा कि प्रशासनिक अनदेखी की वजह से गार्डन अपनी खूबसूरती खो चुका है.

लव कुश गार्डन को बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका वसुंधरा सरकार में राज्य धरोहर परिणति संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत की रही है. उस वक्त लखावत अजमेर सुधार न्यास के अध्यक्ष थे तब यह गार्डन अपनी खूबसूरती से पहचाना जाता था मगर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी की वजह से धीरे-धीरे बदहाली का शिकार होता चला गया. क्षेत्र के 4 बार लगातार विधायक रहे वासुदेव देवनानी ने भी कभी लव कुश गार्डन की सुध नहीं ली. अब जब स्मार्ट सिटी को लेकर शहर के विकास के दावे किए जा रहे हैं तो इन दावों की पोल लव कुश गार्डन खोल रहा है.

स्मार्ट सिटी के तहत गार्डन में आना सागर से सटाकर फूड कोर्ट खोला गया है मगर दिया तले अंधेरा प्रशासन को भी दिखाई नहीं दे रहा है. तबाह हो रहा लव कुश गार्डन स्मार्ट सिटी होने जा रहे अजमेर का बदरंग चेहरा बन चुका है. स्थानीय मुकेश और गोपाल बंजारा बताते है कि नए विकास के साथ साथ पुराने सार्वजनिक स्थानों की भी प्रशासन को सुध लेनी चाहिए .
एक कहावत है सागर के पास रहकर भी प्यासा. ऐसे ही लव कुश गार्डन के हालात हैं. आनासागर पानी से लबालब है लेकिन गार्डन में घास और पौधे सूख रहे हैं. गार्डन के हालात देखकर साफ नजर आता है कि वर्षों से इसकी कोई सुध नहीं ली गई है.

Intro:अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाए जाने की कवायद पिछले 3 वर्ष से की जा रही है। इसके लिए 1947 करोड़ रुपए स्वीकृत भी किए गए हैं। स्मार्ट सिटी होने जा रहे अजमेर का एक बदरंग रूप भी है जो प्रशासन की घोर अनदेखी का शिकार है। खूबसूरत आनासागर झील से सटे लव कुश गार्डन की बदहाली अजमेर के विकास में फिक्र मंद होने का दावा करने वाले जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को दिखाई नहीं देती।


Body:अजमेर में उत्तर विधानसभा क्षेत्र में आनासागर झील के किनारे कभी अपनी खूबसूरती से लव कुश गार्डन पर्यटकों को आकर्षित करता था। मगर आज हालात यह है कि लव कुश गार्डन से नशेड़ी और खानाबदोश प्रभावित हो रहे हैं। गार्डन का मुख्य दरवाजा टूटा है। महापुरुषों के चित्रों और उनके विचार रूपी स्लोगन की लगाई गई प्रदर्शनियों से चित्र ही गायब हो गए हैं। रोशनी के लिए सोलर से लाइट लगाई गई थी जो धराशाई पड़ी है। गार्डन के बीचो बीच भारत माता की दीवार पर बनी मूर्ति का रंग फीका पड़ गया है। फव्वारों के आसपास पौधे उग आए हैं। हर तरफ गंदे कपड़े और गंदगी का आलम है। गार्डन की सुध लेने वाला कोई नहीं है इसलिए खानाबदोश और नशेडियो के लिए लव कुश गार्डन पसंदीदा जगह बन गई है। क्षेत्र के विधायक वासुदेव देवनानी है जो पाठ्यक्रम में अकबर की जगह महाराणा प्रताप को महान बताने की बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन खुद के क्षेत्र में स्थित लव कुश गार्डन की सुंदरता और गार्डन में लगी महापुरुषों से जुड़ी प्रदर्शनियो को बचा नहीं सके। सन 1994 करोड़ों रुपए खर्च करके गार्डन को खूबसूरत बनाया गया था। लोगों के ज्ञान वर्धन के लिए महापुरुषों की प्रदर्शनी लगाई गई थी लेकिन वर्षो से गार्डन की अनदेखी की वजह से सब कुछ तबाह हो गया है। स्थानीय गोपाल बंजारा ने कहा कि प्रशासनिक अनदेखी की वजह से गार्डन अपनी खूबसूरती खो चुका है.....
बाइट- गोपाल बंजारा- स्थानीय

लव कुश गार्डन को बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका वसुंधरा सरकार में राज्य धरोहर परिणति संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत की रही है उस वक्त लखावत अजमेर सुधार न्यास के अध्यक्ष थे तब यह गार्डन अपनी खूबसूरती से पहचाना जाता था मगर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी की वजह से धीरे-धीरे बदहाली का शिकार होता चला गया क्षेत्र के 4 बार लगातार विधायक रहे वासुदेव देवनानी ने भी कभी लव कुश गार्डन की सुध नहीं ली अब जब स्मार्ट सिटी को लेकर शहर के विकास के दावे किए जा रहे हैं तो इन दावों की पोल लव कुश गार्डन खोल रहा है स्मार्ट सिटी के तहत गार्डन में आना सागर से सटाकर फूड कोर्ट खोला गया है मगर दिया तले अंधेरा प्रशासन को भी दिखाई नहीं दे रहा है तबाह हो रहा लव कुश गार्डन स्मार्ट सिटी होने जा रहे अजमेर का बदरंग चेहरा बन चुका है। स्थानीय मुकेश और गोपाल बंजारा बताते है कि नए विकास के साथ साथ पुराने सार्वजनिक स्थानों की भी प्रशासन को सुध लेनी चाहिए ....
बाइट- मुकेश- स्थानीय
बाईट- गोपाल बंजारा - स्थानीय




Conclusion:एक कहावत है सागर के पास रहकर भी प्यासा लव कुश गार्डन के हालात भी कुछ ऐसे हैं। आनासागर पानी से लबालब है। लेकिन गार्डन में घास और पौधे सूख रहे हैं। गार्डन के हालात देखकर साफ नजर आता है कि वर्षों से इसकी कोई सुध नहीं ली गई है।
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