जोधपुर. देश के नए एम्स में तेजी से विकसित होते जोधपुर एम्स में चिकित्सा सुविधाओं में लगातार वृद्धि हो रही है. एक बाद एक जटिल सर्जरी के बाद अब यहां पर आंखों का कार्निया प्रत्यारोपण भी शुरू हो गया है. हाल ही में 25 मई को जोधपुर एम्स में कार्निया प्रत्यारोपण शुरू किया गया है. इनमें एक बीस साल के युवक व एक पचास वर्ष के व्यक्ति को कार्निया प्रत्यरोपण कर उनके जीवन को रोशनी दी (cornea transplant started in jodhpur aiims) है. हालांकि इसके लिए एम्स प्रशासन को बहुत सारी औचारिकताएं पूरी करनी पड़ी.
एम्स के निदेशक डॉ संजीव मिश्रा के अनुसार अब यहां नियमित कॉर्निया प्रत्यारोपण की सुविधा मिलेगी. एम्स नेत्र रोग विभाग की विभागध्यक्ष डॉ कविता भटनागर ने बताया कि बीस वर्षीय युवक के आंख का कार्निया पूरी तरह से सफेद हो गया था, उसे दिखना बंद हो गया था. इसी तरह से पचास वर्षीय वृद्ध की स्थिति थी. आंख पर टार्च की सिधी रोशनी पड़ने पर ही प्रतिक्रिया दे पा रहे थे. इन दोनों की एक-एक आंख का कार्निया प्रत्यारोपित किया. जिसके बाद इनका विजन आने लगा है. जल्द ही सामान्य विजन के साथ अपना दैनिक जीवन जी सकेंगे. दोनों मरीजों के आप्टिकल ग्रेड का कार्निया प्रत्यारोपित किया गया है. कार्निया स्पेशलिस्ट डॉ निखिल अग्रवाल के मार्गदर्शन में विशेषज्ञों की एक टीम ने कॉर्निया प्रत्यारोपण सर्जरी की. जिसमें करीब डेढ घंटे का समय लगा.
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एसएमएस के बाद एम्स में प्रत्यारोपण: राजस्थान में सरकारी संस्थानों में जयपुर एसएमएस के बाद एम्स जोधपुर दूसरा अस्पताल है. जहां पर कार्निया प्रत्यरोपण की सुविधा शुरू हुई है. जोधपुर एम्स को कार्निया की आपूर्ति राजस्थान आई बैंक जयपुर से होती है. विभागध्यक्ष डॉ कविता भटनागर ने बताया कि हमारी डिमांड के दो दिन में आपूर्ति के लिए एमओयू किया गया है. जिससे भविष्य में यहां आवश्यकता होने पर कार्निया की उपलब्धता बनी रहेगी. राजस्थान सरकार ने भी कार्निया प्रत्यारोपण की एम्स को मान्यता दे दी है.
हर साल एक लाख प्रत्यारोपण की जरूरत: नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस एंड विजन इम्पेयरमेंट (एनपीसीबी और VI) के अनुमानों के अनुसार, वर्तमान में देश में 1,20,000 कॉर्नियल ब्लाइंड लोग हैं. हर साल लगभग 25,000 से 30,000 कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के मामले जुड़ते हैं. निरंतर बढ़ते मामलों के लिए हर साल 1 लाख कॉर्नियल प्रत्यारोपण की आवश्यकता है. इसके लिए मृत्यु के तुरंत बाद मृत शरीर से कार्नियल उतक प्राप्त कर उन्हें आई बैंक प्रिजर्व रखती है. जिनका बाद में प्रत्यारोपण में काम में लिया जाता है.