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राजस्थान विधानसभा में पास किए गए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ संशोधन अटके...जानें वजह

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Published : Nov 30, 2020, 2:30 PM IST

Updated : Dec 2, 2020, 6:54 PM IST

देश में एक ओर किसान कृषि कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर इन तीन कृषि कानून के खिलाफ राजस्थान विधानसभा से पास करवाए गए तीनों संशोधन विधेयक राजभवन में मंजूरी के इंतजार में पड़े हैं. ऐसे में इन विधेयकों को मंजूरी मिलने की संभावना कम है.

Rajasthan news, कृषि कानून
कृषि संशोधन विधेयक राजभवन में अटका

जयपुर. लोकसभा से पास हुए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ एक ओर किसान दिल्ली सीमा पर आंदोलन कर रहे हैं, जो दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. दूसरी ओर राजस्थान से भले ही इस आंदोलन में किसान नहीं गए हो लेकिन राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने केंद्र सरकार के इन तीनों कानूनों के खिलाफ राजस्थान विधानसभा में संशोधन विधेयक पास भी कर चुकी है और उन्हें राज्यपाल को भिजवाई भी चुकी है.

राजस्थान सरकार ने 15वीं विधानसभा का पांचवा सत्र दोबारा जिन तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के राजस्थान संशोधन को राजस्थान विधानसभा से पास करवाने के लिए लेकर आई थी, वह तीनों संशोधन कानून तो राजस्थान विधानसभा में संशोधन विधेयक के रूप में पास कर दिए लेकिन अब भी वह बिल राजभवन में रखे हैं. राजस्थान विधानसभा में 2 नवंबर को लोकसभा में पास हुए तीनों कृषि कानूनों के संशोधन बिल पास हो चुके हैं लेकिन जैसा पहले से ही उम्मीद थी कि यह बिल विधानसभा से तो पास हो जाएंगे लेकिन राजभवन से इन्हें आसानी से हरी झंडी नहीं मिलेगी और ये हुआ.

यह भी पढ़ें. Covid 19: गहलोत सरकार ने जारी की नई गाइडलाइन, जानिए क्या बंद रहेगा और क्या खुलेगा

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने जहां राजस्थान विधानसभा से पास हुए महामारी कानून को तो पास कर दिया लेकिन अब भी तीनों कृषि बिल राजभवन में ही रखे हैं. उन पर अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है. दरअसल, इन बिलों को राज्यपाल ही राष्ट्रपति के पास भेजेंगे और राष्ट्रपति की अनुमति के बाद ही इन बिलों पर अंतिम मुहर लग सकती है लेकिन यह बिल अभी राजभवन ही लंबित है. ऐसे में राजस्थान में अभी यह बिल लागू नहीं हो सकते हैं.

यह थे तीन बिल

कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020

यदि कोई व्यक्ति, कंपनी या कॉर्पोरेट हाउस या कोई अन्य व्यक्तियों का निकाय चाहे वह निगमित हो या न हो, अगर किसान के उत्पीड़न में शामिल होता है तो उसे 3 साल से 7 साल तक की सजा और कम से कम 5 लाख के जुर्माने का प्रावधान या दोनों होगा. ऐसे में कोई व्यक्ति, फर्म या कंपनी, किसी किसान या कृषि उपज के संबंध किसी व्यक्ति को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम की कीमत पर उसके कब्जे में की कृषि उपज का संविदा के अधीन विक्रय करने के लिए व्यवस्था करता है. या दबाव डालता है और तैयार उपज की सूचना दिए जाने की तारीख से 1 सप्ताह के भीतर किसी कृषि करार के अधीन उपज को स्वीकार करने या माल परिधान लेने से इनकार करता है तो उस पर सजा का प्रावधान किया गया है.

कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरणल) (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020

इस प्रावधान के तहत अगर कोई किसान का उत्पीड़न करता है जहां व्यापारी करार की गए कृषि उत्पाद के परिधान को स्वीकार नहीं करता है या परिणाम को स्वीकार कर लेने के बाद कृषक को करार के अनुसार या माल के परिधान की प्राप्ति की तारीख के 3 दिन के भीतर पेमेंट नहीं करता है तो उसके खिलाफ 3 साल की सजा और कम से कम पांच लाख के जुर्माने या दोनों का प्रावधान रखा गया है.

आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020

इस विधेयक के जरिए राज्य सरकार ने यह साफ कर दिया है कि विशेष परिस्थितियों में वह स्टॉक लिमिट तय कर सकती है. जबकि केंद्रीय कानून में स्टॉक लिमिट का कोई प्रावधान नहीं था.

राज्यपाल ने राष्ट्रपति को बिल भिजवा भी दिए तो भी राष्ट्रपति अपने ही कानून के संशोधन को मुश्किल ही करेंगे स्वीकार

राजस्थान सरकार ने यह तीनों संशोधन बिल विधानसभा से पास करवाकर राजभवन भेज दिए हैं. वैसे तो इन्हें राजभवन से ही इन संशोधन बिलों को क्लीयरेंस मिलना मुश्किल है लेकिन अगर कहीं राजभवन से इन बिलों को राष्ट्रपति के पास भेज भी दिया जाता है तो राष्ट्रपति भवन से भी इन संशोधनों को मंजूरी मिलना मुश्किल ही दिखाई दे रहा है. क्योंकि जिन केंद्रीय कानूनों के यह संशोधन है, वह केंद्रीय कानून हाल ही में राष्ट्रपति की मोहर से ही देश में कानून बने हैं. ऐसे में राष्ट्रपति अपने ही पास किए गए कानून के खिलाफ लाए गए संशोधन को इजाजत देंगे. इसकी संभावना कम ही दिखाई देती है.

जयपुर. लोकसभा से पास हुए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ एक ओर किसान दिल्ली सीमा पर आंदोलन कर रहे हैं, जो दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. दूसरी ओर राजस्थान से भले ही इस आंदोलन में किसान नहीं गए हो लेकिन राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने केंद्र सरकार के इन तीनों कानूनों के खिलाफ राजस्थान विधानसभा में संशोधन विधेयक पास भी कर चुकी है और उन्हें राज्यपाल को भिजवाई भी चुकी है.

राजस्थान सरकार ने 15वीं विधानसभा का पांचवा सत्र दोबारा जिन तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के राजस्थान संशोधन को राजस्थान विधानसभा से पास करवाने के लिए लेकर आई थी, वह तीनों संशोधन कानून तो राजस्थान विधानसभा में संशोधन विधेयक के रूप में पास कर दिए लेकिन अब भी वह बिल राजभवन में रखे हैं. राजस्थान विधानसभा में 2 नवंबर को लोकसभा में पास हुए तीनों कृषि कानूनों के संशोधन बिल पास हो चुके हैं लेकिन जैसा पहले से ही उम्मीद थी कि यह बिल विधानसभा से तो पास हो जाएंगे लेकिन राजभवन से इन्हें आसानी से हरी झंडी नहीं मिलेगी और ये हुआ.

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राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने जहां राजस्थान विधानसभा से पास हुए महामारी कानून को तो पास कर दिया लेकिन अब भी तीनों कृषि बिल राजभवन में ही रखे हैं. उन पर अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है. दरअसल, इन बिलों को राज्यपाल ही राष्ट्रपति के पास भेजेंगे और राष्ट्रपति की अनुमति के बाद ही इन बिलों पर अंतिम मुहर लग सकती है लेकिन यह बिल अभी राजभवन ही लंबित है. ऐसे में राजस्थान में अभी यह बिल लागू नहीं हो सकते हैं.

यह थे तीन बिल

कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020

यदि कोई व्यक्ति, कंपनी या कॉर्पोरेट हाउस या कोई अन्य व्यक्तियों का निकाय चाहे वह निगमित हो या न हो, अगर किसान के उत्पीड़न में शामिल होता है तो उसे 3 साल से 7 साल तक की सजा और कम से कम 5 लाख के जुर्माने का प्रावधान या दोनों होगा. ऐसे में कोई व्यक्ति, फर्म या कंपनी, किसी किसान या कृषि उपज के संबंध किसी व्यक्ति को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम की कीमत पर उसके कब्जे में की कृषि उपज का संविदा के अधीन विक्रय करने के लिए व्यवस्था करता है. या दबाव डालता है और तैयार उपज की सूचना दिए जाने की तारीख से 1 सप्ताह के भीतर किसी कृषि करार के अधीन उपज को स्वीकार करने या माल परिधान लेने से इनकार करता है तो उस पर सजा का प्रावधान किया गया है.

कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरणल) (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020

इस प्रावधान के तहत अगर कोई किसान का उत्पीड़न करता है जहां व्यापारी करार की गए कृषि उत्पाद के परिधान को स्वीकार नहीं करता है या परिणाम को स्वीकार कर लेने के बाद कृषक को करार के अनुसार या माल के परिधान की प्राप्ति की तारीख के 3 दिन के भीतर पेमेंट नहीं करता है तो उसके खिलाफ 3 साल की सजा और कम से कम पांच लाख के जुर्माने या दोनों का प्रावधान रखा गया है.

आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020

इस विधेयक के जरिए राज्य सरकार ने यह साफ कर दिया है कि विशेष परिस्थितियों में वह स्टॉक लिमिट तय कर सकती है. जबकि केंद्रीय कानून में स्टॉक लिमिट का कोई प्रावधान नहीं था.

राज्यपाल ने राष्ट्रपति को बिल भिजवा भी दिए तो भी राष्ट्रपति अपने ही कानून के संशोधन को मुश्किल ही करेंगे स्वीकार

राजस्थान सरकार ने यह तीनों संशोधन बिल विधानसभा से पास करवाकर राजभवन भेज दिए हैं. वैसे तो इन्हें राजभवन से ही इन संशोधन बिलों को क्लीयरेंस मिलना मुश्किल है लेकिन अगर कहीं राजभवन से इन बिलों को राष्ट्रपति के पास भेज भी दिया जाता है तो राष्ट्रपति भवन से भी इन संशोधनों को मंजूरी मिलना मुश्किल ही दिखाई दे रहा है. क्योंकि जिन केंद्रीय कानूनों के यह संशोधन है, वह केंद्रीय कानून हाल ही में राष्ट्रपति की मोहर से ही देश में कानून बने हैं. ऐसे में राष्ट्रपति अपने ही पास किए गए कानून के खिलाफ लाए गए संशोधन को इजाजत देंगे. इसकी संभावना कम ही दिखाई देती है.

Last Updated : Dec 2, 2020, 6:54 PM IST
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