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राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती- 2019 मामला, बीकानेर एसपी सहित अन्य को नोटिस - Rajasthan Hindi News

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती- 2019 के मामले में बीकानेर पुलिस अधीक्षक की ओर से चयन सूची में भूतपूर्व सैनिकों को वरीयता देने पर कार्मिक विभाग की ओर से जारी नियम को राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है, जिसपर सुनावई करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि चयन प्रक्रिया का अंतिम परिणाम इस याचिका के अधीन रहेगा.

राजस्थान हाई कोर्ट, Rajasthan High Court
राजस्थान हाई कोर्ट
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Published : May 28, 2021, 7:19 PM IST

जोधपुर. पुलिस कांस्टेबल भर्ती- 2019 के मामले में बीकानेर पुलिस अधीक्षक की ओर से चयन सूची में भूतपूर्व सैनिकों को वरीयता देने पर कार्मिक विभाग की ओर से जारी नियम को राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ ने याचिका पर प्रारम्भिक सुनवाई कर नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है. वहीं, अंतिम परिणाम को याचिका के निर्णयाधीन रखा गया है.

याचिकाकर्ता सुरेन्द्र गोदारा की ओर से अधिवक्ता खेतसिंह राजपुरोहित ने उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका पेश की. याचिका में भूतपूर्व सैनिकों की रिक्तियों को अग्रगणित करने और उसके आधार पर बनायी गई चयन सूची को चुनौती दी गई है. याची OBC वर्ग से है. उसने पुलिस कांस्टेबल भर्ती- 2019 के लिए बीकानेर में आवेदन किया था. उसके बाद लिखित परीक्षा में उसने सामान्य श्रेणी से क्वालिफाई करते हुए शारीरिक दक्षता परीक्षा में बुलाया गया, जिसमें सभी मापदंड पूरे होने पर उसे उर्तीण माना गया. लेकिन, जब दिनांक 18 अप्रैल 2021 को चयन सूची तैयार की गई तो सामान्य और OBC वर्ग के मेरिट धारकों को चयनित करने की बजाय भूतपूर्व सैनिक कैटेगरी के अभ्यर्थीयों को चयन सूची में शामिल कर दिया गया, जिसकी वजह से सामान्य और OBC वर्ग के अधिक अंक प्राप्त करने वाले और सामाजिक आरक्षण वाले अभ्यर्थी चयन से बाहर हो गयए.

यह भी पढ़ेंः पाक विस्थापितों को लेकर आमने सामने 'मोदी और गहलोत' सरकार...जानें क्या है पूरा मामला?

कार्मिक विभाग ने दिनांक 17 अप्रैल 2018 को भूतपूर्व सैनिकों का आमेलन नियम 1988 में उपबंध कर दिया कि किसी भर्ती में अगर भूतपूर्व सैनिक उपलब्ध नही होंगे तो ऐसी रिक्तियों के एक भर्ती वर्ष तक अग्रगणित यानी की केरी फारवर्ड किया जायेगा. याची ने उक्त नियम को संविधान के अनुच्छेद 16 (4) का और उसके तहत प्राप्त सामाजिक आरक्षण और व्यक्तिगत अधिकारों के विरूध बताते हुए चुनौती दी है.

अधिवक्ता राजपुरोहित ने न्यायालय को बताया कि चयन सूची में प्रथमत: सामाजिक आरक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को, जिन्होने अधिक अंक प्राप्त किये हैं उनको स्थान देना चाहिए. उन्हे दृष्टांत देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अनिलकुमार गुप्ता के मामले में निर्धारित किया है और उसमें जो भूतपूर्व सैनिक चयनित होते हैं उसके पश्चात ही शेष पदों पर अंत में चयन होगा, जबकि पुलिस अधीक्षक बीकानेर ने इसके विपरीत सूची बनाई है. उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कार्मिक विभाग, गृह विभाग और पुलिस अधीक्षक बीकानेर को नोटिस जारी करते हुए एक जुलाई को जवाब तलब किया है. साथ आदेश दिया कि चयन प्रक्रिया का अंतिम परिणाम इस याचिका के अधीन रहेगा.

जोधपुर. पुलिस कांस्टेबल भर्ती- 2019 के मामले में बीकानेर पुलिस अधीक्षक की ओर से चयन सूची में भूतपूर्व सैनिकों को वरीयता देने पर कार्मिक विभाग की ओर से जारी नियम को राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ ने याचिका पर प्रारम्भिक सुनवाई कर नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है. वहीं, अंतिम परिणाम को याचिका के निर्णयाधीन रखा गया है.

याचिकाकर्ता सुरेन्द्र गोदारा की ओर से अधिवक्ता खेतसिंह राजपुरोहित ने उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका पेश की. याचिका में भूतपूर्व सैनिकों की रिक्तियों को अग्रगणित करने और उसके आधार पर बनायी गई चयन सूची को चुनौती दी गई है. याची OBC वर्ग से है. उसने पुलिस कांस्टेबल भर्ती- 2019 के लिए बीकानेर में आवेदन किया था. उसके बाद लिखित परीक्षा में उसने सामान्य श्रेणी से क्वालिफाई करते हुए शारीरिक दक्षता परीक्षा में बुलाया गया, जिसमें सभी मापदंड पूरे होने पर उसे उर्तीण माना गया. लेकिन, जब दिनांक 18 अप्रैल 2021 को चयन सूची तैयार की गई तो सामान्य और OBC वर्ग के मेरिट धारकों को चयनित करने की बजाय भूतपूर्व सैनिक कैटेगरी के अभ्यर्थीयों को चयन सूची में शामिल कर दिया गया, जिसकी वजह से सामान्य और OBC वर्ग के अधिक अंक प्राप्त करने वाले और सामाजिक आरक्षण वाले अभ्यर्थी चयन से बाहर हो गयए.

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कार्मिक विभाग ने दिनांक 17 अप्रैल 2018 को भूतपूर्व सैनिकों का आमेलन नियम 1988 में उपबंध कर दिया कि किसी भर्ती में अगर भूतपूर्व सैनिक उपलब्ध नही होंगे तो ऐसी रिक्तियों के एक भर्ती वर्ष तक अग्रगणित यानी की केरी फारवर्ड किया जायेगा. याची ने उक्त नियम को संविधान के अनुच्छेद 16 (4) का और उसके तहत प्राप्त सामाजिक आरक्षण और व्यक्तिगत अधिकारों के विरूध बताते हुए चुनौती दी है.

अधिवक्ता राजपुरोहित ने न्यायालय को बताया कि चयन सूची में प्रथमत: सामाजिक आरक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को, जिन्होने अधिक अंक प्राप्त किये हैं उनको स्थान देना चाहिए. उन्हे दृष्टांत देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अनिलकुमार गुप्ता के मामले में निर्धारित किया है और उसमें जो भूतपूर्व सैनिक चयनित होते हैं उसके पश्चात ही शेष पदों पर अंत में चयन होगा, जबकि पुलिस अधीक्षक बीकानेर ने इसके विपरीत सूची बनाई है. उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कार्मिक विभाग, गृह विभाग और पुलिस अधीक्षक बीकानेर को नोटिस जारी करते हुए एक जुलाई को जवाब तलब किया है. साथ आदेश दिया कि चयन प्रक्रिया का अंतिम परिणाम इस याचिका के अधीन रहेगा.

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